एक दौर था जब आइडियल मॉडल होने का पैमाना दुबला पतला शरीर होता था. लेकिन फैशन की दुनिया ने बहुत देर में समझा कि कपड़े तो सभी तरह की महिलाएं पहनगेंगी लिहाजा कपड़ों की मॉडल्स भी असल महिलाओं की तरह ही लगनी चाहिए. उससे वो महिलाएं भी उन कपड़ों की तरफ आकर्षित होंगी जो दुबली पतली नहीं बल्कि भारी और मोटी हैं. और तब शुरुआत हुई प्लस साइज मॉडलिंग की.
जीरो फिगर का चार्म सिर्फ कल्पना था और प्लस साइज हकीकत है. प्लस साइज़ मॉडल्स को देखकर मोटी महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ता है, लिहाजा मॉडलिंग इंडस्ट्री ने अपने दरवाजे मोटी महिलाओं के लिए भी खोल दिए. लेकिन इस फैशन इंडस्ट्री में काम करने वाली इन प्लस साइज़ मॉडल्स ने जो सच्चाई दुनिया के सामने रखी है, वो हैरान करने वाली है.
फैशन इंडस्ट्री में काम करने वाली मॉडल लॉरेन फ्रेड्रिक का कहना है कि 7 साल पहले जब उन्होंने काम शुरू किया तो वो अच्छी खासी मोटी थीं, लेकिन उनमें आत्मविश्वास भरपूर था. तब उन्हें कहा गया कि इस काम के लिए वो उतनी मोटी नहीं है जितनी होनी चाहिए. 'यानी मोटी और curvy महिलाओं के लिए काम की कोई कमी नहीं है, लेकिन मैं उतनी curvy नहीं थी. मुझे वजन बढ़ाने के लिए कहा गया जिसके लिए मैं तैयार नहीं थी. और तब मुझे पैडिंग पहनने को कहा गया. (पैडिंग यानी फोम से बने हुए Spanx या अंतर्वस्त्र) जिससे मेरे उभार और उभरे हुए लगें. कभी-कभी तो एक पैडिंग के बजाए दो दो पैडिंग पहनने के लिए कहते थे. मैंने कभी उसे पहनकर सहज महसूस नहीं किया. वो एक झूठ था. मेरी उन तस्वीरों को देखकर दोस्त कहते थे कि तुम इस साइज़ की हो ही नहीं.'
अब जरा सोचकर देखिए कि फोम वाले spanx कोई क्यों पहनेगा, और सोचने वाली बात है कि ये मिलते कहां हैं? लेकिन मॉडलिंग एजेंसी के...
एक दौर था जब आइडियल मॉडल होने का पैमाना दुबला पतला शरीर होता था. लेकिन फैशन की दुनिया ने बहुत देर में समझा कि कपड़े तो सभी तरह की महिलाएं पहनगेंगी लिहाजा कपड़ों की मॉडल्स भी असल महिलाओं की तरह ही लगनी चाहिए. उससे वो महिलाएं भी उन कपड़ों की तरफ आकर्षित होंगी जो दुबली पतली नहीं बल्कि भारी और मोटी हैं. और तब शुरुआत हुई प्लस साइज मॉडलिंग की.
जीरो फिगर का चार्म सिर्फ कल्पना था और प्लस साइज हकीकत है. प्लस साइज़ मॉडल्स को देखकर मोटी महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ता है, लिहाजा मॉडलिंग इंडस्ट्री ने अपने दरवाजे मोटी महिलाओं के लिए भी खोल दिए. लेकिन इस फैशन इंडस्ट्री में काम करने वाली इन प्लस साइज़ मॉडल्स ने जो सच्चाई दुनिया के सामने रखी है, वो हैरान करने वाली है.
फैशन इंडस्ट्री में काम करने वाली मॉडल लॉरेन फ्रेड्रिक का कहना है कि 7 साल पहले जब उन्होंने काम शुरू किया तो वो अच्छी खासी मोटी थीं, लेकिन उनमें आत्मविश्वास भरपूर था. तब उन्हें कहा गया कि इस काम के लिए वो उतनी मोटी नहीं है जितनी होनी चाहिए. 'यानी मोटी और curvy महिलाओं के लिए काम की कोई कमी नहीं है, लेकिन मैं उतनी curvy नहीं थी. मुझे वजन बढ़ाने के लिए कहा गया जिसके लिए मैं तैयार नहीं थी. और तब मुझे पैडिंग पहनने को कहा गया. (पैडिंग यानी फोम से बने हुए Spanx या अंतर्वस्त्र) जिससे मेरे उभार और उभरे हुए लगें. कभी-कभी तो एक पैडिंग के बजाए दो दो पैडिंग पहनने के लिए कहते थे. मैंने कभी उसे पहनकर सहज महसूस नहीं किया. वो एक झूठ था. मेरी उन तस्वीरों को देखकर दोस्त कहते थे कि तुम इस साइज़ की हो ही नहीं.'
अब जरा सोचकर देखिए कि फोम वाले spanx कोई क्यों पहनेगा, और सोचने वाली बात है कि ये मिलते कहां हैं? लेकिन मॉडलिंग एजेंसी के पास ये उपलब्ध होते हैं. क्योंकि यहीं इनकी जरूरत होती है. हालांकि जब लॉरेन के पास उनकी अपनी पैडिंग नहीं थी तो वो तकिए के साथ पैडिंग करती थीं.
फैशन इंडस्ट्री का सच कितना अजीब है. अभी तक हमने देखा कि कैसे सामान्य मॉडल्स के शरीर से अनचाहा फैट फोटोशॉप के जरिए हटाकर लोगों को गुमराह किया जाता है. और अब भारी शरीर की मॉडल्स को पैडिंग पहनाकर उनके उभारों को और बढ़ाया जा रहा है. साइज़ जीरो के लिए जितनी मेहनत एक सामान्य मॉडल किया करती है, इन प्लस साइज़ मॉडल्स की मेहनत उससे कहीं भी कम नही हैं. फैशन इंडस्ट्री में संघर्ष दोनों के बराबर हैं.
प्लस साइज़ मॉडल 70 किलो के आगे कितनी भी वजन की हो सकती हैं. एक बार लोगों ने इनकी curvy बॉडी को पसंद कर लिया फिर ये मुड़कर नहीं देखतीं. ये मॉडल्स भी एक दिन में करीब 18 लाख रुपए तक कमा लेती हैं. और जब ये इंडस्ट्री इतना पैसा देती है तो उसके लिए पैडिंग क्या और डबल पैडिंग क्या, इन मॉडल्स को अपना वजन और साइज़ और बढ़ाने में भी कोई परेशानी नहीं होती.
इस इंडस्ट्री की ये सच्चाई जानकर एक बात फिर पुख्ता होती है कि महिला यहां सिर्फ उत्पाद है, चाहे वो दुबली हो या मोटी. ग्लैमर ज़ीरो फिगर की मॉडल्स में भी खोज लिया जाता है और प्लस साइज मॉडल्स के curves में भी.
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