अपना ही अपना क्यों कहलाया है, कैसे कोई तय करता है कौन पराया है...एक वही रिश्ता तेरी कमाई है दुख के पल में जिसने तेरा साथ निभाया है…सच में कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिनके सहारे हम जीने की हिम्म्त कर पाते हैं. इस जमाने में जब सगा अपने सगे को नहीं पूछता, भाई अपने भाई से बैर कर लेता है तब हनुमंत लाल तिवारी जैसे लोग दिल को सुकून देते हैं. इनकी सच्ची कहानी से हमें यकीन होता है कि इस दुनियां में इंसानियत अभी जिंदा है.
हनुमंत लाल तिवारी थाना प्रभारी हैं, जिन्होंने एक बेसहारा लड़की को अपनी बहन माना और धूम-धाम से उसकी शादी करवाई. हनुमंत ने उस लड़की से राखी बंधवाई थी और अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए वादा भी पूरा किया. इतना ही नहीं, इस पुलिसवाले ने अपनी मुंहबोली बहन की शादी का पूरा खर्चा भी उठाया. जिसने भी यह खबर सुनी इन्हें सलाम कर रहा है.
पुलिस का नाम सुनते ही लोग थोड़ा अजीब सी प्रतिक्रिया देते हैं. होता यूं है कि एक तरफ कहीं किसी पुलिस वाले को उनके अच्छे कामों के लिए सराहना मिलती है तो दूसरी तरफ कहीं किसी सिपाही की आलोचना भी हो रही होती है. अब हर पुलिसवाला अच्छा तो नहीं होता लेकिन पुलिस को हनुमंत लाल तिवारी जैसा ही होना चाहिए, हम ऐसा क्यों कह रहें हैं आपको आगे की कहानी पढ़कर पता चल जाएगा.
कुछ लोग पुलिस से इतना घबराते हैं कि शिकायत दर्ज कराने में भी घबराते हैं. गांव में तो आज भी पुलिस की गाड़ी देखकर लोग डर जाते हैं. ऐसे में हनुमंत लाल तिवारी जैसे पुलिस वाले ने लोगों को विश्वास दिलाया है कि सच्चे पुलिस अधिकारी आज भी मौजूद हैं जो लोगों की सेवा करने के लिए, उनकी सुरक्षा करने के लिए नौकरी करते हैं.
दरअसल, हनुमंत लाल तिवारी दूसरों की सहायता करने के लिए जाने जाते हैं. ये हमेशा लोगों की मदद करते हैं. कुछ दिन पहले ही इन्होंने जंगल किनारे भटक रही एक बूढ़ी मां को उनके परिवार से मिलाया था, जबकि उस बुजुर्ग अम्मा को कुछ याद भी नहीं था. वहीं अब इन्होंने अपने भाई होने का फर्ज बखूबी निभाया है. लोगों का सहारा बनने वाले...
अपना ही अपना क्यों कहलाया है, कैसे कोई तय करता है कौन पराया है...एक वही रिश्ता तेरी कमाई है दुख के पल में जिसने तेरा साथ निभाया है…सच में कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिनके सहारे हम जीने की हिम्म्त कर पाते हैं. इस जमाने में जब सगा अपने सगे को नहीं पूछता, भाई अपने भाई से बैर कर लेता है तब हनुमंत लाल तिवारी जैसे लोग दिल को सुकून देते हैं. इनकी सच्ची कहानी से हमें यकीन होता है कि इस दुनियां में इंसानियत अभी जिंदा है.
हनुमंत लाल तिवारी थाना प्रभारी हैं, जिन्होंने एक बेसहारा लड़की को अपनी बहन माना और धूम-धाम से उसकी शादी करवाई. हनुमंत ने उस लड़की से राखी बंधवाई थी और अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए वादा भी पूरा किया. इतना ही नहीं, इस पुलिसवाले ने अपनी मुंहबोली बहन की शादी का पूरा खर्चा भी उठाया. जिसने भी यह खबर सुनी इन्हें सलाम कर रहा है.
पुलिस का नाम सुनते ही लोग थोड़ा अजीब सी प्रतिक्रिया देते हैं. होता यूं है कि एक तरफ कहीं किसी पुलिस वाले को उनके अच्छे कामों के लिए सराहना मिलती है तो दूसरी तरफ कहीं किसी सिपाही की आलोचना भी हो रही होती है. अब हर पुलिसवाला अच्छा तो नहीं होता लेकिन पुलिस को हनुमंत लाल तिवारी जैसा ही होना चाहिए, हम ऐसा क्यों कह रहें हैं आपको आगे की कहानी पढ़कर पता चल जाएगा.
कुछ लोग पुलिस से इतना घबराते हैं कि शिकायत दर्ज कराने में भी घबराते हैं. गांव में तो आज भी पुलिस की गाड़ी देखकर लोग डर जाते हैं. ऐसे में हनुमंत लाल तिवारी जैसे पुलिस वाले ने लोगों को विश्वास दिलाया है कि सच्चे पुलिस अधिकारी आज भी मौजूद हैं जो लोगों की सेवा करने के लिए, उनकी सुरक्षा करने के लिए नौकरी करते हैं.
दरअसल, हनुमंत लाल तिवारी दूसरों की सहायता करने के लिए जाने जाते हैं. ये हमेशा लोगों की मदद करते हैं. कुछ दिन पहले ही इन्होंने जंगल किनारे भटक रही एक बूढ़ी मां को उनके परिवार से मिलाया था, जबकि उस बुजुर्ग अम्मा को कुछ याद भी नहीं था. वहीं अब इन्होंने अपने भाई होने का फर्ज बखूबी निभाया है. लोगों का सहारा बनने वाले हनुमंत लाल तिवारी कुछ दिनों पहले चर्चा में तब आए जब उन्होंने अपनी राखी बांधने वाली मुंहबोली बहन की शादी कराई.
चलिए आपको पूरी कहानी बताते हैं. उत्तर प्रदेश के सिकंदराबाद में रहने वाले विचल त्रिवेदी की पिछले साल करंट लगने से मौत हो गई. वे ही घर के मुखिया थे और कमाने वाले भी. उनके यूं अचानक गुजर जाने के बाद परिवार बेसहारा हो गया. उस वक्त रोते बिलखते इस परिवार को सिकंदराबाद पुलिस चौकी पर तैनात प्रभारी हनुमंत लाल तिवारी ने संभाला.
इसके बाद उन्होंने विचल त्रिवेदी की बड़ी बेटी को अपनी बहन मानकर राखी बंधवा ली. अब हनुमंत लाल ने बहन के शादी की जिम्मेदारी भी अपने सिर ले ली. कुछ दिनों बाद हनुमंत लाल का तबादला हो गया और वे मझगई चौकी के थाना प्रभारी हो गए. जगह बदलने के बाद भी हनुमंत लाल अपने किए वादे से बदले नहीं और अपनी जिम्मेदारी निभाते रहे.
कुछ दिनों पहले ही उन्होंने मुंहबोली बहन अनीता की शादी करवाई और पूरा खर्चा भी खुद ही उठाया. दिवंगत विचल त्रिवेदी की पत्नी कमलेश कहती हैं कि हनुमंत लाल ने एक बेटे की तरह परिवार का हर फर्ज निभाया है.
इतना ही नहीं हनुमंत लाल अनीता के तिलक में भी गए थे और शादी के दिन एक बड़े भाई की तरह दरवाजे पर खड़े होकर मेहमानों का स्वागत किया. वहीं हनुमंत लाल का कहना है कि दिवंगत विचल का परिवार बेहद गरीब है. वह अपने पीछे पत्नी, तीन बेटियां और एक बेटे को छोड़ गए हैं. बेटा अभी बहुत छोटा है और वह घर की जिम्मेदारी नहीं उठा सकता है. मैं कहीं भी रहूं, इस परिवार की हमेशा मदद करता रहूंगा.
आपको इस पुलिस यानी हनुमंत लाल की सच्ची कहानी कैसी लगी...इस रक्षाबंधन के मौके पर इन्होंने समाज को प्रेरणा देने का काम किया है. हमारा मन तो यही कहता है कि ये है असली रक्षाबंधन, और इसे कहते हैं भाई...जो सौ दिखावों से कहीं ज्यादा सच्चा है. जिसके पास हनुमंत लाल जैसे भाई हों, उसे फिर किस बात का दुख...ऐसे लोगों को दिल से सैल्यूट करने का मन करता है...
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