गलती मान लेने से कोई छोटा नहीं हो जाता है, पुर्तगाल (Portugal) की स्वास्थ्य मंत्री मार्ता टेमिडो (Marta Temido) को ही देख लीजिए. जिन्हें भारतीय गर्भवती महिला (Pregnant woman) पर्यटक की मौत का इतना दुख हुआ कि उन्होंने अपने पद का त्याग कर दिया. हमारे देश में तो गर्भवती महिलाएं मरती रहती हैं, इसलिए शायद किसी प्रेग्नेंट वुमन का मरना हमारे लिए कोई नई बात नहीं है. इसलिए यह खबर हमारे केलेजे को अधिक कचोट नहीं रही, मगर शायद मार्ता ने सोचा होगा कि उनके स्वास्थ्य पद पर रहने का क्या फायदा जब उनके रहते हुए एक गर्भवती महिला की इस तरह जान चली जाए.
गर्भवती महिला का देश के किसी कोने में मरना कहीं से भी सामान्य नहीं है, लेकिन हमारे यहां हमने इसे नॉर्मलाइज़ बना दिया है. जब तक बात अपने आंगन तक आती नहीं है हमें दूसरों की तकलीफ से कोई मतलब भी तो नहीं होता है. WHO की रिपोर्ट कहती है कि भारत में हर 5 मिनट में एक गर्भवती महिला की मौत हो जाती है. ये मौतें अधिकर शरीर में खून की कमी के कारण होती हैं. परिवार वाले गर्भवती महिला का नियमित रूप में जांच नहीं कराते हैं. महिलाओं के खान-पान पर ध्यान नहीं दिया जाता है जिससे वे एनीमिया की शिकार हो जाती हैं. डॉक्टर ऑपरेशन का बोलते हैं तो परिवार वाले नॉर्मल डिलीवरी के लिए दूसरे-तीसरे अस्पताल चक्कर लगाने लगते हैं तब तक महिला की मौत हो जाती है.
दरअसल, पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में भारतीय मूल की 34 साल की गर्भवती महिला को मेटरनिटी वार्ड में भर्ती होना था मगर वहां के सबसे बड़े अस्पताल सांता मारिया में भी उसे जगह नहीं मिली. इस कारण उसे दूसरे अस्पताल में शिफ्ट होने में लेट हो गया. इससे पहले कि वह दूसरे अस्पताल पहुंचती उसे...
गलती मान लेने से कोई छोटा नहीं हो जाता है, पुर्तगाल (Portugal) की स्वास्थ्य मंत्री मार्ता टेमिडो (Marta Temido) को ही देख लीजिए. जिन्हें भारतीय गर्भवती महिला (Pregnant woman) पर्यटक की मौत का इतना दुख हुआ कि उन्होंने अपने पद का त्याग कर दिया. हमारे देश में तो गर्भवती महिलाएं मरती रहती हैं, इसलिए शायद किसी प्रेग्नेंट वुमन का मरना हमारे लिए कोई नई बात नहीं है. इसलिए यह खबर हमारे केलेजे को अधिक कचोट नहीं रही, मगर शायद मार्ता ने सोचा होगा कि उनके स्वास्थ्य पद पर रहने का क्या फायदा जब उनके रहते हुए एक गर्भवती महिला की इस तरह जान चली जाए.
गर्भवती महिला का देश के किसी कोने में मरना कहीं से भी सामान्य नहीं है, लेकिन हमारे यहां हमने इसे नॉर्मलाइज़ बना दिया है. जब तक बात अपने आंगन तक आती नहीं है हमें दूसरों की तकलीफ से कोई मतलब भी तो नहीं होता है. WHO की रिपोर्ट कहती है कि भारत में हर 5 मिनट में एक गर्भवती महिला की मौत हो जाती है. ये मौतें अधिकर शरीर में खून की कमी के कारण होती हैं. परिवार वाले गर्भवती महिला का नियमित रूप में जांच नहीं कराते हैं. महिलाओं के खान-पान पर ध्यान नहीं दिया जाता है जिससे वे एनीमिया की शिकार हो जाती हैं. डॉक्टर ऑपरेशन का बोलते हैं तो परिवार वाले नॉर्मल डिलीवरी के लिए दूसरे-तीसरे अस्पताल चक्कर लगाने लगते हैं तब तक महिला की मौत हो जाती है.
दरअसल, पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में भारतीय मूल की 34 साल की गर्भवती महिला को मेटरनिटी वार्ड में भर्ती होना था मगर वहां के सबसे बड़े अस्पताल सांता मारिया में भी उसे जगह नहीं मिली. इस कारण उसे दूसरे अस्पताल में शिफ्ट होने में लेट हो गया. इससे पहले कि वह दूसरे अस्पताल पहुंचती उसे हार्ट अटैक आया और उसकी मौत हो गई. हालांकि उसके बच्चे को सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए बचा लिया गया. यह घटना राजधानी में हुई, अगर महिला को अस्पताल में जगह मिल गई होती तो उसे मजबूरी में भटकना नहीं पड़ता आज वह अपने बच्चे के साथ होती. लोगों का कहना है कि कार्डियक अरेस्ट की चपेट में आने पर अगर महिला को सही समय में कार्डिएक सेंटर ट्रांसफर किया गया होता तो उसकी जान बच सकती थी.
इस बात को फैलने में देर नहीं लगी और लोगों ने स्वास्थ्य मंत्री मार्ता टेमिडो पर सवाल उठाने शुरु कर दिए. हालांकि किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि मंत्री अपना इस्तीफा सौंप देंगी. यह खबर सुनकर कोई भी हैरान हो सकता है, क्योंकि मामूली महिला के मरने पर किस नेता ही हिम्मत है कि वह आगे आकर कहे कि यह मेरी गलती की नतीजा है. मैं अपना काम संभालने में फेल हो गया, यह मेरा फैल्योर है कि मैं एक महिला की जान भी नहीं बचा पाया...यह वही मार्ता हैं जिन्होंने कोरोना काल में स्वास्थ्य व्यवस्था को बखूबी से संभाल था. उस समय इनके काम की वहां तारीफ हुई थी.
हमारे देश में हर रोज गर्भवती महिलाएं मरती हैं लेकिन कोई नेता आगे आकर इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता है. जिम्मेदारी लेना तो दूर इस बारे में कोई बात भी नहीं करता है. कोरोना काल में भी कई गर्भवती महिलाओं की मौत हो गई थी.
वहीं पुर्तगाल में एक गर्भवती महिला मरी तो स्वास्थ्य्य विभाग की सर्वोच्च ने इसे अपनी गलती मानी और अपना पद छोड़ दिया. मार्ता ने महिला की मौत को अपनी नाकामी मानी और जिम्मेदारी लेते हुए त्यागपत्र ही दे दिया. यह इनका बड़प्पन ही है वरना एक महिला की मौत किसी देश के लिए कोई बड़ी बात नहीं, पल्ला झाड़ने के लिए 10 बहाने मौजूद होते हैं. अब सोचिए इस तरह की घटना अपने यहां होती है तो नेता और मंत्री क्या करते हैं? वो बोल देते हैं कि कोरोना काल में मौतें ही नहीं हुई, प्रसूता अपनी गलती से मर गई.
ऐसे कई वीडियो सामने आते हैं जिसमें परिजन, मरीज को कभी कंधे तो कभी ठेले पर लेकर अस्पताल जाते हैं, मगर किसी अधिकारी और नेता की हिम्मत नहीं होती कि वह आगे आकर अपनी जिम्मेदारी ले ले...ऐसे में मार्ता ने अपनी गलती मानकर हमें स्तब्ध तो कर ही दिया है.
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