स्मार्टफोन के जमाने में अगर सड़क पर कोई शख्स लैंडलाइन फोन के रिसीवर से पर बात करता हुआ दिखे, तो लोग उसे पागल कहेंगे और हंसेंगे. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर कुछ ऐसा ही कारनामा कर के चर्चा में आ गए हैं. यूं तो भारतीय राजनीति में नेताओं की चर्चा अधिकतर उनके ऊल-जुलूल बयानों को लेकर ही होती है, लेकिन जावड़ेकर अपने इस फैंसी आइटम की वजह से चर्चा में आ गए हैं. जब उनसे इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह रेडिएशन से मुक्ति का एक उपाय है. जावड़ेकर के इस जवाब के बाद अब लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं, जो डराने वाले हैं.
प्रकाश जावड़ेकर को इस फैंसी आइटम के साथ देखते ही सारी नजरें और कैमरे उनकी ओर घूम गए.
डराने वाला फैंसी आइटम
जब प्रकाश जावड़ेकर संसद के विंटर सेशन में हिस्सा लेने आए, उस समय उनके हाथ में मोबाइल (आईफोन) के साथ जुड़ा हुआ बैंगनी रंग का एक लैंडलाइन फोन का रिसीवर था. ये देखते ही सारी नजरें और कैमरे जावड़ेकर की ओर घूम गए. सभी जानना चाह रहे थे कि ये जो फैंसी आइटम लेकर वह घूम रहे हैं, वह क्या है और वह ऐसा क्यों कर रहे हैं. सवाल पूछे जाने पर मंत्री जी अपनी ओर से कुछ नहीं बोले, लेकिन जब एक रिपोर्टर ने कहा कि क्या यह मोबाइल रेडिएशन से बचने के लिए है तो वह बोले- 'ये रेडिएशन से मुक्ति है'. अब लोग यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि क्या मोदी सरकार के इस मंत्री को सिर्फ अपनी सेहत की चिंता है? वह लोगों को इसके बारे में क्यों नहीं बता रहे? लोग सोच रहे हैं कि अगर मोबाइल रेडिएशन खतरनाक है तो ये बात जनता को क्यों नहीं बताई जा रही? सरकार इसे छुपा क्यों रही है?
क्या है ये फैंसी आइटम?
यह एक रिसीवर है, जिसे मोबाइल से जोड़ा जा सकता है. इस तरह के रिसीवर अमेजन, फ्लिपकार्ट, ईबे जैसी शॉपिंग वेबसाइट पर मिल जाएंगे. इसकी कीमत 300 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक हो सकती है. अलग-अलग फोन के लिए ये रिसीवर अलग-अलग हो सकते हैं. कई बार लोग ब्लूटूथ डिवाइस इस्तेमाल नहीं करना चाहते, उनके लिए यह अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. यह कई अलग-अलग रंगों में मिलता है, जिनमें से बैंगनी रंग का रिसीवर मोदी सरकार के मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के हाथों में देखा गया है.
क्या वाकई खतरनाक है मोबाइल रेडिएशन?
मोबाइल फोन से रेडियो तरंगें निकलती हैं ये बात किसी से छुपी नहीं है. लेकिन ये रेडियो तरंगे इतनी ताकवर नहीं होती हैं, जिससे शरीर को या फिर डीएनए को कोई भी नुकसान पहुंचे. इसका दावा खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी कर चुका है. देश में रेडिएशन को लेकर फैल रही गलतफहमियों को दूर करने के लिए दूरसंचार विभाग ने 'तरंग संचार' नाम का एक वेब पोर्टल भी शुरू किया है. सरकार डिजिटल इंडिया में किसी भी अफवाह को फैलने से रोकना चाहती है, जबकि मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर खुद इस तरह की अफवाहों को बढ़ावा दे रहे हैं. इस वीडियो को देखकर आप मोबाइल रेडिएशन के बारे में सब समझ जाएंगे।
ऐसे चेक करें अपने मोबाइल का रेडिएशन
हर मोबाइल से रेडियो तरंगें निकलती हैं, लेकिन वह खतरनाक नहीं होती हैं. इसके लिए आप अपने मोबाइल का 'स्पेसिफिक एबजॉर्प्शन रेट (एसएआर)' चेक कर सकते हैं. अगर आपके पास एंड्रॉइड मोबाइल है तो उसकी एसएआर वैल्यू जानने के लिए आपको *#07# डायल करना होगा. इसके बाद आपके सामने एक मैसेज आएगा, जिसमें आपको मोबाइल की एसएआर वैल्यू लिखी होगी. 1.6W/Kg तक की एसएआर वैल्यू होने से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इससे अधिक नहीं होनी चाहिए. हालांकि, आजकल के मोबाइल फोन में 0.5W/Kg-0.6W/Kg की एसएआर वैल्यू ही होती है.
ये भी पढ़ें-
स्मृति ईरानी गुजरात CM बन जाएंगी तो बीजेपी बाकी मोर्चों पर किसे भेजेगी ?
ओह, तो इस वजह से ऊल-जुलूल बयान देते हैं डोनाल्ड ट्रंप!
और उस बीजेपी कार्यकर्ता ने रसगुल्ला मणिशंकर अय्यर के मुंह में डाल दिया...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.