मेरी तमन्ना ना हीरा ना पन्ना, मोहे पहना दो लोहे का गहना... इस ऐड का सार यही है. प्रोजेक्ट स्त्रीधन ने इस ऐड के जरिए बताया है कि, गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी सोने-चांदी के गहने से पूरी नहीं हो सकती. गोदभराई की रस्म के लिए बैकग्राउंड में जो गाना बज रहा है, वह भी आयरन की कमी को पूरा करने के लिए प्रेरित कर रहा है. प्रेग्नेंसी में बच्चों का लिंग चुनने से अच्छा है कि, हम गर्भवती महिलाओं (pregnant women) के लिए वह सब चुने जो इस ऐड में दिखाया गया है.
प्रेग्नेंट महिलाओं में आयरन की कमी होने से हीमोग्लोबिन भी कम हो जाता है, क्योंकि हमारा शरीर आयरन की सहायता से ही हीमोग्लोबिन बनाता है. अगर शरीर में इसकी कमी हो जाए तो महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हो जाती हैं. ऐसे में महिला के साथ होने वाले बच्चे के लिए भी खतरा बढ़ जाता है. महिलाओं को प्री मैच्योर डिलीवरी हो सकती है, गर्भ में बच्चे की ग्रोथ ठीक से नहीं हो पाती है.
इस ऐड को बेहद की खूबसूरती के साथ पेश क्या गया है. जिसे बार-बार देखने को मन करता है. इस एड में हम देख सकते हैं कि एक महिला गर्भवती है. घर की सभी महिलाएं मिलकर उसकी गोदभराई की रस्म कर रही हैं. जिसके लिए वह भारतीय परंपरा के तहत तैयार हुई है. उसने साड़ी पहनी है और बिंदी लगाई है. इसके बाद ऐड में हवन की अग्नी दिखती है. गर्भवती महिला वहां पूजा के लिए बैठी है. तभी घर की बुजुर्ग से लेकर छोटी बेटी तक एक-एक करके उसके पास आती हैं और उसे गोदभराई में सोना, चांदी, हीरे, मोती की जूलरी न देकर, फलों से बनी हुए गहने पहनाती हैं. एक बुजुर्ग महिला अनार और चेरी से बने हुए हार पहनाती हैं. बाकी महिलाएं भी मक्के, बेरीज से बनी हुई कंगन और रानी हार पहनाती...
मेरी तमन्ना ना हीरा ना पन्ना, मोहे पहना दो लोहे का गहना... इस ऐड का सार यही है. प्रोजेक्ट स्त्रीधन ने इस ऐड के जरिए बताया है कि, गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी सोने-चांदी के गहने से पूरी नहीं हो सकती. गोदभराई की रस्म के लिए बैकग्राउंड में जो गाना बज रहा है, वह भी आयरन की कमी को पूरा करने के लिए प्रेरित कर रहा है. प्रेग्नेंसी में बच्चों का लिंग चुनने से अच्छा है कि, हम गर्भवती महिलाओं (pregnant women) के लिए वह सब चुने जो इस ऐड में दिखाया गया है.
प्रेग्नेंट महिलाओं में आयरन की कमी होने से हीमोग्लोबिन भी कम हो जाता है, क्योंकि हमारा शरीर आयरन की सहायता से ही हीमोग्लोबिन बनाता है. अगर शरीर में इसकी कमी हो जाए तो महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हो जाती हैं. ऐसे में महिला के साथ होने वाले बच्चे के लिए भी खतरा बढ़ जाता है. महिलाओं को प्री मैच्योर डिलीवरी हो सकती है, गर्भ में बच्चे की ग्रोथ ठीक से नहीं हो पाती है.
इस ऐड को बेहद की खूबसूरती के साथ पेश क्या गया है. जिसे बार-बार देखने को मन करता है. इस एड में हम देख सकते हैं कि एक महिला गर्भवती है. घर की सभी महिलाएं मिलकर उसकी गोदभराई की रस्म कर रही हैं. जिसके लिए वह भारतीय परंपरा के तहत तैयार हुई है. उसने साड़ी पहनी है और बिंदी लगाई है. इसके बाद ऐड में हवन की अग्नी दिखती है. गर्भवती महिला वहां पूजा के लिए बैठी है. तभी घर की बुजुर्ग से लेकर छोटी बेटी तक एक-एक करके उसके पास आती हैं और उसे गोदभराई में सोना, चांदी, हीरे, मोती की जूलरी न देकर, फलों से बनी हुए गहने पहनाती हैं. एक बुजुर्ग महिला अनार और चेरी से बने हुए हार पहनाती हैं. बाकी महिलाएं भी मक्के, बेरीज से बनी हुई कंगन और रानी हार पहनाती हैं.
इस फलों से बने जेवरात को देखकर वह महिला बहुत खुश होने लगती है और प्यार से उन्हें खाने लगती है. इस ऐड के जरिए समझाने की कोशिश की गई है कि प्रेग्नेंसी में महंगे तोहफों के बदले एक महिला को आयरन की कमी को पूरा करने वाले फूड और सप्लीमेंट्स की आधिक जरूरत होती है. गर्भवती महिला को फल खाते देख सारी महिलाएं बेहद खुश होती हैं. महिलाओं का असली स्त्री धन उनकी सेहत है. उन्हें प्रेग्नेंसी के समय में खाने को फल दें, उनका ख्याल रखें तभी मां और बच्चे दोनों हेल्दी रहेंगे.
यह विज्ञापन समझाने की कोशिश कर रहा है कि, गर्भवती महिलाओं को आयरन की कितनी जरूरत होती है. हमें किस तरह उन्हें उपहार में आयरन पूरा करने वाली खाने की चीजें दे सकते हैं. इस वीडियो को प्रेग्नेंट सोनम कपूर ने भी अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है. उन्होंने भी गर्भवती महिलाओं को आयरन की कमी पूरा करने पर जोर दिया है.
यहां तो महिलाएं गर्भवती होती हैं तो कई घरवालों को यह चिंता सताने लगती है कि लड़का होगा या लड़की. वे कई तरीकों से यह पता लगाने में जुट जाते हैं. महिला की सेहत का लोग कितना ध्यान रखते हैं यह तो पता ही है. महिलाएं भी पहले पुरी दुनिया का ख्याल रखती हैं बाद में अपना...वे दिन भर पति और बच्चों के पीछे भागती रहेंगी लेकिन क्या मजाल है तो अपने लिए कुछ कर लें. दूसरों के लिए उनके पास टाइम रहता है, फुर्ती भी रहती है लेकिन अपने लिए समय नहीं रहता है, अपने लिए कुछ करने में उन्हें आलस आती है.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की माने तो भारत में बच्चों और महिलाओं में एनिमिया की कमी है. साल 2019 की रिपोर्ट कहती है कि 68.4 प्रतिशत बच्चे और 66.4 फीसदी महिलाएं एनिमिया से पीड़ित थीं. WHO का यह भी कहना है कि गर्भावस्था के समय और बच्चे के जन्म के दौरान हर 5 मिनट पर एक भारतीय मां की मौत होती है.
आकड़ों की बात छोड़ दें, अगर हम हमारे घर की महिलाओं पर ध्यान देंगे तो पता लग जाएगा कि उनकी हालत क्या है? अगर उनकी आंखों पीली हैं, अगर उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है, अगर वे जल्दी थक जाती हैं, अगर उनका बीपी लो रहता है, अगर उनका सिर दर्द होता है, अगर वे किसी काम में मन नहीं लगा पा रहीं तो ये सारे लक्षण बताते हैं कि उनके अंदर खून की कमी है, यानी वे एनीमिया से ग्रसित हैं.
देश सहस्राब्दी विकास लक्ष्य (MDG) का कहना है कि भारत में ब्लीडिंग की घटनाएं ज्यादा होती हैं. मातृत्व मृत्यु दर के वर्ष 2011-13 की रिपोर्ट कहती है कि हर एक लाख बच्चा पैदा करने के समय करीब 167 माताओं की मौत हो जाती है. सोचिए हम इस बारे में कितना सोचते हैं?
प्रेग्नेंसी में महिलाओं को आयरन की अधिक जरूरत होती है, क्योंकि इससे शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है, जिससे प्रसव में आसानी होती है. बच्चे को जन्म देने के बाद महिलाओं को काफी ब्लीडिंग होती है, ऐसे में अगर शरीर में खून कम होगा तो उनकी जान को खतरा हो सकता है.
कुछ महिलाएं भी खाने से अधिक कपड़े, फैशन और मेकअप पर ध्यान देती हैं. आयरन हर महिला के लिए जरूरी है. अगर यही पैसा और मेहनत खुद की सेहत पर लगाएं तो वे स्वस्थ रहेंगी. अगर महिलाएं स्वस्थ रहेगी तो अपने आप उनके चेहरे पर चमक होगी, फिर मेकअप की भी जरूरत नहीं होगी. जिंदगी है तभी तो सब है. लोगों को होने वाली बच्चे की चिंता रहती है लेकिन मां की टेंशन नहीं रहती है. बेटा हो या बेटी, वह हमारी ही संतान है फिर लिंग की पहचान करने के टोटके छोड़कर मां और बच्चे की सेहत पर ध्यान दें.
इस ऐड में यही दिखाया गया है कि गर्भवती महिला की सेहत के लिए जरूरी है कि उसे आयरन की कमी न हो. इसके लिए वे लोहे के बर्तन में पका खाना का सकती हैं. इसके अलावा से संतरा, ब्रोकली, स्ट्रॉबेरी, अनार, चेरी, स्ट्राबेरी, मांस, मछली, नट्स, हरी सब्जी खा सकती हैं. वैसे आयरन के बारे में संदेश देने वाला ऐड आपको कैसा लगा?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.