मुंबई की चलती बस में एक महिला से छेड़खानी (Mumbai Molestation case) की जाती है और फिर उसे बेवकूफ बनाने की कोशिश की जाती है. मतलब जितनी अजीब यह दुनिया है उससे कहां ज्यादा अजीब लोग हैं और कुछ तो हमारी-आपकी सोच से ही परे हैं.
अगर आप सोच सोच रहे हैं कि महिला रात में अकेली बस (Bus) में जा रही होगी इसलिए सामने वाले को उसे छेड़ने (Molest) का मौका मिल गया होगा. तो बता दें कि यह मामला दिन का है और वह लड़की मुंबई के वर्ली इलाके से अपने पिता के साथ बस में बैठी थी. मुंबई की दूसरी लाइफलाइन कही जाने बस में उस वक्त अच्छी-खासी भीड़ भी थी.
आप उस महिला की तकलीफ का अंदाजा नहीं लगा सकते जिसे यह साबित करने के लिए 6 साल का इंतजार करना पड़ा कि उसके साथ बस में गंदी हरकत हुई थी. यह घटना 5 नवंबर 2015 को दोपहर 1 बजकर 40 मिनट पर हुई थी. इसके बाद से इतने सालों तक इस महिला को यह बार-बार बताना पड़ा कि किसतरह उसे सरेआम बस में मोलेस्ट किया गया.
जरा दिल पर हाथ रखकर उस पिता के बारे में सोचिए, जिसने अपने सामने ही बेटी के साथ गंदी हरकत होते हुए देखा होगा, उसे कैसा महसूस हुआ होगा इसकी हम और आप कल्पना भी नहीं कर सकते. उसे गुस्सा भी आया होगा और अफसोस कि मैं साथ में रहते हुए बेटी की सुरक्षा नहीं कर पाया. गलती करे कोई और शर्मिंदा होना पड़े पिता और बेटी को...यह समाज की कैसी रीत है?
ऐसा भी नहीं है कि महिला ने इस बात का विरोध नहीं किया था. जब वह सीट पर बैठी थी तभी एक व्यक्ति धीरे-धीरे उसके करीब आ गया. इसके बाद वह पीड़िता के सीट के एकदम बगल में आ गया और महिला की कंधे पर बार-बार अपना प्राइवेट पार्ट से छूने लगा. जब महिला ने इस हरकत के लिए उसे टोका...
मुंबई की चलती बस में एक महिला से छेड़खानी (Mumbai Molestation case) की जाती है और फिर उसे बेवकूफ बनाने की कोशिश की जाती है. मतलब जितनी अजीब यह दुनिया है उससे कहां ज्यादा अजीब लोग हैं और कुछ तो हमारी-आपकी सोच से ही परे हैं.
अगर आप सोच सोच रहे हैं कि महिला रात में अकेली बस (Bus) में जा रही होगी इसलिए सामने वाले को उसे छेड़ने (Molest) का मौका मिल गया होगा. तो बता दें कि यह मामला दिन का है और वह लड़की मुंबई के वर्ली इलाके से अपने पिता के साथ बस में बैठी थी. मुंबई की दूसरी लाइफलाइन कही जाने बस में उस वक्त अच्छी-खासी भीड़ भी थी.
आप उस महिला की तकलीफ का अंदाजा नहीं लगा सकते जिसे यह साबित करने के लिए 6 साल का इंतजार करना पड़ा कि उसके साथ बस में गंदी हरकत हुई थी. यह घटना 5 नवंबर 2015 को दोपहर 1 बजकर 40 मिनट पर हुई थी. इसके बाद से इतने सालों तक इस महिला को यह बार-बार बताना पड़ा कि किसतरह उसे सरेआम बस में मोलेस्ट किया गया.
जरा दिल पर हाथ रखकर उस पिता के बारे में सोचिए, जिसने अपने सामने ही बेटी के साथ गंदी हरकत होते हुए देखा होगा, उसे कैसा महसूस हुआ होगा इसकी हम और आप कल्पना भी नहीं कर सकते. उसे गुस्सा भी आया होगा और अफसोस कि मैं साथ में रहते हुए बेटी की सुरक्षा नहीं कर पाया. गलती करे कोई और शर्मिंदा होना पड़े पिता और बेटी को...यह समाज की कैसी रीत है?
ऐसा भी नहीं है कि महिला ने इस बात का विरोध नहीं किया था. जब वह सीट पर बैठी थी तभी एक व्यक्ति धीरे-धीरे उसके करीब आ गया. इसके बाद वह पीड़िता के सीट के एकदम बगल में आ गया और महिला की कंधे पर बार-बार अपना प्राइवेट पार्ट से छूने लगा. जब महिला ने इस हरकत के लिए उसे टोका तो उसने कहा कि ‘मैं बेल्ट ठीक कर रहा था. मेरी बेल्ट आपके कंधे पर लगी है.’
ऐसे लोग एक तो पहले महिलाओं के गंदी हरकत करते हैं फिर 10 बहाने बनाकर उसे ही गिल्ट महसूस करवात हैं. जैसे कि महिला ने ही गलत समझल लिया है. ऐसे आरोपी सामने वाली महिला को ही दोषी करार देते हैं और अपनी किए गए हरकत से साफ इनकार कर जाते हैं. वैसे छेड़खानी करने वाले एक बहुत बड़ी गलतफैमी में जीते हैं कि महिलाएं उनकी गंदी हरकतों का विरोध तो करेंगी नहीं.
जब महिलाएं कड़ा विरोध जता देती हैं तो इनके पास बहाना बनाने के सिवा कोई और कोई विकल्प भी नहीं होता. इस महिला के साथ भी मनचले यात्री ने यही किया. उसने हंसते हुए कहा कि वह प्राइवेट पार्ट नहीं बेल्ट का टच था. उसे शायद लगा था कि महिलाएं बेवकूफ होती हैं और गुड टच या बैड टच के समझती नहीं है.
क्या महिलाओं को बेल्ट और प्राइवेट पार्ट के फर्क को समझने की क्षमता नहीं है? महिलाएं आसानी ने बेल्ट छूने और प्राइवेट पार्ट से छेड़खानी को समझ सकती हैं. महिला ने इसके बाद उस आरोपी की पिटाई कर दी और बस रूकवाकर पिता के साथ उसे पुलिस स्टेशन ले गई. अब अदालत ने आरोपी को दस हजार रुपए जुर्माने के साथ 6 महीने सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. जिसमें से 7 हजार रूपए महिला को हर्जाने के रूप पीड़िता को हर्जान के रूप में दिया जाएगा. इतना ही नहीं कोर्ट ने आरोपी का बचाव करने वाले वकील को भी फटकार लगाई है.
असल में आरोपी का बचाव करने वाले वकील ने अपने जिरह में कहा था कि अगर महिला को यह महसूस हुआ कि उसके साथ छेड़खानी की जा रही है तो उसे अपनी सीट बदल लेनी चाहिए. एक वकील इतनी गिरी हुई बात कैसे कर सकता है? ऐसी ही मानसिकता वाले लोग सोचते हैं कि लड़कियों को शाम होते ही घर आना चाहिए, जींस नहीं पहननी चाहिए और अपने साथ होने वाले अन्नाय के लिए चुप रहना चाहिए.
वकील की बात पर अदालत ने कहा था कि 'यह बेहद गंदी सोच है और अपने साथ होने वाली छेड़खानी को महिला नजरअंदाज क्यों करे?' अदालत ने कहा कि आरोपी ने बेहद भरी हुई बस में गुनाह किया है. ‘प्राइवेट पार्ट है या बेल्ट, महिलाएं सब समझती हैं' वैसे अदालत के इस फैसले पर आपका क्या कहना है, आपके हिसाब से ऐसी गिरी हुई हरकत करने वाले इंसान को किस तरह की सजा मिलनी चाहिए?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.