अमूमन हर घर में उम्मीद की ही जाती है कि खाना perfect हो, लेकिन खाने में नमक कम ज्यादा हो तो शिकायत सुनना बहुत ही नॉर्मल है. लेकिन परफेक्शन की उम्मीद का लेवल अगर ये हो कि हर रोटी का व्यास 20 सेमी होना चाहिए, तो इसे आप क्या कहेंगे.
जी हां, पुणे के रहने वाले एक इंजीनियर पति परफेक्शन को लेकर इतने ज्यादा ऑबसेस्ड हैं कि इन्हें हर रोटी का साइज एक समान ही चाहिए. इंजीनियर साहब रोटी बनने के बाद उसे खाते नहीं, बल्कि पहले उसका माप लेते हैं कि वो 20 सेमी व्यास की हैं या नहीं, और अगर नहीं तो पत्नी की पिटाई करते हैं.
पति को हर चीज में परफेक्शन चाहिए. हद तो ये है कि ये बाकी पतियों की तरह पत्नी से ये नहीं पूछते कि तुम दिन भर करती क्या हो...? बल्कि ये तो पत्नी से दिनभर में किए गए कामों का ब्यौरा लिखित में चाहते हैं. पति चाहता है कि शीट पर सारे काम का ब्यौरा अलग-अलग रंगों में दर्ज किया जाए. अगर कोई काम नहीं हुआ तो उसके न होने का कारण भी एक अलग कॉलम में लिखे. और अगर कोई भी कॉलम खाली छोड़ा गया तो उस पर भी वह गाली-गलौच और मारपीट करता है. इतना ही नहीं कोई काम अगर गलत हो जाए तो वो पत्नी पर ठंडा पानी डालकर एसी वाले कमरे में बंद कर देता है.
पिछले 10 सालों से सुबह शाम पति कि अनैतिक उम्मीदें पूरी करने में जुटी इस महिला ने आत्महत्या करने की भी सोची लेकिन अपनी बच्ची की वजह से उसे जान देना नहीं बल्कि तलाक लेना ज्यादा बेहतर लगा और महिला ने तलाक के लिए आवेदन कर दिया है.
परफैक्शन की अति को आखिर कहते क्या हैं-
परफेक्शन बुरा नहीं होता, लेकिन जब परफेक्शन विकृति बन जाए और उसके चलते इंसान अमानवीय व्यवहार करने लगे तो वो निश्चित तौर पर अस्वीकार्य होता है. ये एक तरह का व्यक्तित्व विकार या...
अमूमन हर घर में उम्मीद की ही जाती है कि खाना perfect हो, लेकिन खाने में नमक कम ज्यादा हो तो शिकायत सुनना बहुत ही नॉर्मल है. लेकिन परफेक्शन की उम्मीद का लेवल अगर ये हो कि हर रोटी का व्यास 20 सेमी होना चाहिए, तो इसे आप क्या कहेंगे.
जी हां, पुणे के रहने वाले एक इंजीनियर पति परफेक्शन को लेकर इतने ज्यादा ऑबसेस्ड हैं कि इन्हें हर रोटी का साइज एक समान ही चाहिए. इंजीनियर साहब रोटी बनने के बाद उसे खाते नहीं, बल्कि पहले उसका माप लेते हैं कि वो 20 सेमी व्यास की हैं या नहीं, और अगर नहीं तो पत्नी की पिटाई करते हैं.
पति को हर चीज में परफेक्शन चाहिए. हद तो ये है कि ये बाकी पतियों की तरह पत्नी से ये नहीं पूछते कि तुम दिन भर करती क्या हो...? बल्कि ये तो पत्नी से दिनभर में किए गए कामों का ब्यौरा लिखित में चाहते हैं. पति चाहता है कि शीट पर सारे काम का ब्यौरा अलग-अलग रंगों में दर्ज किया जाए. अगर कोई काम नहीं हुआ तो उसके न होने का कारण भी एक अलग कॉलम में लिखे. और अगर कोई भी कॉलम खाली छोड़ा गया तो उस पर भी वह गाली-गलौच और मारपीट करता है. इतना ही नहीं कोई काम अगर गलत हो जाए तो वो पत्नी पर ठंडा पानी डालकर एसी वाले कमरे में बंद कर देता है.
पिछले 10 सालों से सुबह शाम पति कि अनैतिक उम्मीदें पूरी करने में जुटी इस महिला ने आत्महत्या करने की भी सोची लेकिन अपनी बच्ची की वजह से उसे जान देना नहीं बल्कि तलाक लेना ज्यादा बेहतर लगा और महिला ने तलाक के लिए आवेदन कर दिया है.
परफैक्शन की अति को आखिर कहते क्या हैं-
परफेक्शन बुरा नहीं होता, लेकिन जब परफेक्शन विकृति बन जाए और उसके चलते इंसान अमानवीय व्यवहार करने लगे तो वो निश्चित तौर पर अस्वीकार्य होता है. ये एक तरह का व्यक्तित्व विकार या पर्सनालिटी डिसॉडर है. जिसे OCPD या Obsessive-Compulsive Personality Disorder कहा जाता है जिसमें व्यक्ति चीजों के क्रम, व्यवस्था और परफैक्शन को लेकर बहुत ज्यादा सोचता है. और ऐसा होना उस व्यक्ति के काम करने के तरीके और सोच को प्रभावित करता है. इन्हें सब कुछ परफेक्ट चाहिए. परफेक्ट यानी बिलकुल परफेक्ट न एक इंच ऊपर न एक ग्राम कम. OCPD से पीड़ित व्यक्ति के लिए बेहद मामूली चीजें भी बहुत महत्वपूर्ण होती हैं. जैसे किचन में रखे डब्बे एकदम करीने से लगे हों, किताबें जिस क्रम में रखी हों उसी क्रम में चाहिए. और इस जुनून की वजह से उस व्यक्ति का जीवन इसी चिंता में घिरा रहता है और उसका काम, उसके संबंध, और उसकी खुशियां सब प्रभावित होते हैं.
इस विकार के कारण-
personality disorders और OCPD के कारण कई कारकों पर आधारित होते हैं और हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं. बचपन के अनुभव और जीवन में घटी दर्दनाक घटनाएं भी इसका कारण हो सकती हैं. OCPD आंशिक रूप से आनुवंशिक होता है और महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा होता है. सभी व्यक्तित्व विकारों की तरह, OCPD भी एक दीर्घकालिक चारित्रिक विशेषता है जिसकी जड़ें काफी गहरी होती हैं.
OCPD के लक्षण-
- डीटेल्स, नियम, सूचि, क्रम, संगठन या शेड्यूल के साथ इतना व्यस्त हो जाना कि काम का मक्सद ही खो जाए.
- काम पूरा होने के रास्ते में अगर परफैक्शनिज्म या पूर्णतावाद आ रहा हो.
- नैतिकता या मूल्यों को लेकर अति विवेकशील, ईमानदार या कड़ा दृष्टिकोण होना.
- बेकार की वस्तुओं के प्रति लगाव रखना या उन्हें न फेंकना जबकि उसमें कोई भावनात्मक जुड़ाव भी न हो.
- जब तक काम अपने तरीके से न हो उसे करते रहना, दूसरों के साथ काम करने की अनिच्छा रखना या औरों को काम न करने देना बल्कि खुद सही तरह से करना.
- अड़ियल या जिद्दी होना.
ऐसे लोग आपको जीवन में बहुत मिले होंगे जिन्हें इस तरह का डिसऑर्डर होता है, लेकिन वो अमूमन इतना नहीं होता कि वो किसी और के जीवन को प्रभावित करे. फिल्म स्टार आमिर खान भी एक परफेक्शनिस्ट कहे जाते हैं. वो तब तक शॉट देते रहते हैं जब तक उनके हिसाब से वो परफेक्ट न हो जाए, और जब उस शॉट को हम फिल्म में देखते हैं तब उस परफेक्शन का शानदार रिजल्ट हमें देखने मिलता है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति परफेक्शन को पागलपन की हद तक ले जाए और उसके अनुरूप काम न हो तो पूरी दुनिया उन्हें अपनी दुशमन लगने लगती है, जैसा कि इस इंजीनियर को लगता है. हालांकि सही इलाज, दवाएं और थेरेपी की मदद से इस विकार से निजात पाई जा सकती है.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.