दिल्ली एक बार फिर से ऐसी स्थिती में पहुंच गया है जब उसे ऑक्सीजन की जरूरत है. हमारे देश की राजधानी दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शुमार है और वाकई हो भी क्यों न, दुनिया के कई हिस्सों में साफ पीने का पानी नहीं मिलता और यहां तो पानी की दिक्कत जो है वो है ही पर सांस लेने को साफ हवा तक नहीं मिल रही है. दिल्ली के ही श्रीगंगाराम हॉस्पिटल के एक डॉक्टर ने 2017 में ये स्टेटमेंट दिया था कि दिल्ली का प्रदूषण इतना खतरनाक हो गया है कि ये ऐसा है जैसे 50 सिगरेट रोज़ पी जा रही हो. ये अपने आप में एक इमर्जेंसी की तरह था, लेकिन लगता है कि जिसके कारण ये हो रहा है वहां अभी भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ा.
नरेंद्र मोदी ने अपने 14 अक्टूबर के मन की बात कार्यक्रम में पंजाब के एक किसान गुरबचन सिंह की तारीफ की जिसने अपने खेत में पराली नहीं जलाई. लेकिन जो बात वो भूल गए वो ये कि पंजाब में न जाने कितने किसान हैं जो पराली जलाकर दिल्ली की हालत खराब कर रहे हैं. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने पंजाब की जो तस्वीरें जारी की हैं उन्हें देखकर लगता है कि पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार सो रही है और ऐसा कुछ भी नहीं है जो दिल्ली को प्रदूषण से बचाने के लिए किया जा सकता है.
महज एक हफ्ते में दिल्ला का जो हाल हुआ है उसे देखकर लगता है कि स्थिती दीवाली के बाद और बद्तर हो जाएगी. जरा सोचिए हर साल दीवाली के बाद दिल्ली किस कदर स्मॉग की चादर ओढ़ लेती है ऐसे में किस कदर हालत बिगड़ जाएगी 7 नवंबर के बाद.
दिल्ली एक बार फिर से ऐसी स्थिती में पहुंच गया है जब उसे ऑक्सीजन की जरूरत है. हमारे देश की राजधानी दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शुमार है और वाकई हो भी क्यों न, दुनिया के कई हिस्सों में साफ पीने का पानी नहीं मिलता और यहां तो पानी की दिक्कत जो है वो है ही पर सांस लेने को साफ हवा तक नहीं मिल रही है. दिल्ली के ही श्रीगंगाराम हॉस्पिटल के एक डॉक्टर ने 2017 में ये स्टेटमेंट दिया था कि दिल्ली का प्रदूषण इतना खतरनाक हो गया है कि ये ऐसा है जैसे 50 सिगरेट रोज़ पी जा रही हो. ये अपने आप में एक इमर्जेंसी की तरह था, लेकिन लगता है कि जिसके कारण ये हो रहा है वहां अभी भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ा.
नरेंद्र मोदी ने अपने 14 अक्टूबर के मन की बात कार्यक्रम में पंजाब के एक किसान गुरबचन सिंह की तारीफ की जिसने अपने खेत में पराली नहीं जलाई. लेकिन जो बात वो भूल गए वो ये कि पंजाब में न जाने कितने किसान हैं जो पराली जलाकर दिल्ली की हालत खराब कर रहे हैं. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने पंजाब की जो तस्वीरें जारी की हैं उन्हें देखकर लगता है कि पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार सो रही है और ऐसा कुछ भी नहीं है जो दिल्ली को प्रदूषण से बचाने के लिए किया जा सकता है.
महज एक हफ्ते में दिल्ला का जो हाल हुआ है उसे देखकर लगता है कि स्थिती दीवाली के बाद और बद्तर हो जाएगी. जरा सोचिए हर साल दीवाली के बाद दिल्ली किस कदर स्मॉग की चादर ओढ़ लेती है ऐसे में किस कदर हालत बिगड़ जाएगी 7 नवंबर के बाद.
दिल्ली में रहने वालों की हालत ये है कि आंखें जलना, सांस की दिक्कत होना, अस्थमा, खांसी, फेफड़ों की अन्य बीमारियां आदि हो रही हैं और हर साल प्रदूषण से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हो रहा हो. पिछले साल और उसके पिछले साल भी पंजाब के खेतों में पराली जलाने की संख्या इतनी ही ज्यादा थी और लोग इतने ही परेशान हो रहे थे.
पिछले एक महीने में पंजाब के हालात
आखिर दिल्ली ही क्यों?
पंजाब और हरियाणा में अगर खेतों में आग लगाई जाती है तो वहां न ही दिल्ली की तरह बिल्डिंग हैं, न ही वहां इतना कंस्ट्रक्शन चलता है, न ही वहां प्रदूषण का स्तर पहले से ही खराब है. ये तीनों बातें दिल्ली को इसलिए भी खतरे में डालती हैं क्योंकि पंजाब से डाउनविंड यानी दक्षिण-पूर्व की ओर बहने वाली हवा असल में दिल्ली से होकर जाती है. यानी पंजाब का धुआं उड़कर दिल्ली आ जाता है. दिल्ली की हवा वैसे ही भारी है क्योंकि यहां प्रदूषण ज्यादा है और यहां आने के बाद हवा ठहर जाती है क्योंकि दिल्ली की हवा में धूल के कण ज्यादा हैं. इससे एक कोहरे जैसी परत बनती है जो असल में कोहरा नहीं बल्कि प्रदूषण होता है.
अगर आपको लग रहा है कि सिर्फ पंजाब के किसानों को ही दोष क्यों दिया जा रहा है तो पूरे देश के नक्शे पर एक बार नजर डालिए.
नासा की वो वेबसाइट जहां से ये तस्वीरें ली गई हैं.
यहां साफ देखा जा सकता है कि पंजाब में किस कदर पराली जलानी की समस्या हो रही है. देश के बाकी हिस्सों में ये हाल नहीं है और शायद यही कारण है कि दिल्ली का ऐसा हाल है.
दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) रविवार 28 अक्टूबर को ही 614 यानी बेहद खतरनाक स्थिती में पहुंच गया.
AQI अगर 0 से 50 होता है तभी ये अच्छा होता है यानी Good क्वालिटी, इसके 51 से 100 होने पर भी खतरा ज्यादा नहीं होता इसे Satisfactory क्वालिटी में रखा जाता है, लेकिन फिर भी ऐसे समय में बचना चाहिए. 101-200 के बीच खतरा होता है इसे Poor क्वालिटी में रखा जाता है, 201-300 के बीच खतरा बढ़ जाता है इसे Severe क्वालिटी में रखा जाता है और 301 से ऊपर हवा की स्थिती बेहद खराब हो जाती है इसके बाद Dangerous और Hazardeous क्वालिटी आती है.
दिल्ली की स्थिती दिवाली के बाद और बिगड़ने वाली है ये तो अभी से ही कहा जा रहा है, लेकिन क्या इसका कुछ किया जा सकेगा? ये तो नहीं पता. कोर्ट के ऑर्डर के बाद भी न तो पंजाब में पराली जलाने की स्थिती रुकी, न ही यहां पटाखों की बिक्री पर कोई बहुत बड़ा असर पड़ा, न ही कंस्ट्रक्शन उस हिसाब से रुके और न ही दिवाली पर लोग कम पटाखे जलाकर कम से कम अपने लिए शुद्ध सांस लेने की हवा का इंतजाम करेंगे.
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