कलियुग में अपने पैसों से व्यक्ति के तीर्थ में रामेश्वरम और अयोध्या जाने से लेकर सरकारी पैसे से तीर्थ यात्रा के रूप में 'गोवा' जाने तक. इस दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है सब गीता में लिखा हुआ है. दुनिया में क्या घटेगा ये बात हजारों साल पहले ही भगवान श्री कृष्ण ने पांचों पांडवों को बता दी थी. बात आगे बढ़ेगी मगर उससे पहले एक किस्सा सुन लीजिये. किस्सा इंटरेस्टिंग है.
एक बार पांडवों ने भगवान श्री कृष्ण से पांडवों ने कलियुग की अवधारणा पर पूछा था तब भगवान ने उन्हें वन का गमन करने और उन्होंने वहां क्या देखा? ये बताने को कहा था. पांचों पांडव वन गए और अपने किस्से श्री कृष्ण को बताए. नकुल ने श्रीकृष्ण को बताया कि मैंने भी एक आश्चर्य देखा. वह यह कि एक बड़ी सी चट्टान पहाड़ पर से लुढ़की, वृक्षों के तने और चट्टानें उसे रोक न पाए किंतु एक छोटे से पौधे से टकराते ही वह चट्टान रुक गई. इस पर कृष्ण ने कहा कि कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा, उसका जीवन पतित होगा. यह पतित जीवन धन की शिलाओं से नहीं रुकेगा, न ही सत्ता के वृक्षों से रुकेगा. किंतु हरि नाम के एक छोटे से पौधे से, हरि कीर्तन के एक छोटे से पौधे से मनुष्य जीवन का पतन होना रुक जाएगा.
ये किस्सा रोचक है मगर पहली पहली लाइन कन्फयूजिंग है. दिमाग में सवाल आएगा कि भला तीर्थयात्रा का गोवा से क्या सम्बन्ध है? साथ ही ये भी कि सरकारी पैसों से तीर्थ यात्रा का क्या चक्कर है? तो आपको बताते चलें कि राजस्थान देवस्थान विभाग की ओर से हर साल राज्य के वरिष्ठ नागरिकों के लिए दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थयात्रा का आयोजन किया जाता है. पूरी शानो शौकत के साथ सरकारी खर्चे पर तीर्थयात्रा पर जाने वाले वरिष्ठ नागरिकों में...
कलियुग में अपने पैसों से व्यक्ति के तीर्थ में रामेश्वरम और अयोध्या जाने से लेकर सरकारी पैसे से तीर्थ यात्रा के रूप में 'गोवा' जाने तक. इस दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है सब गीता में लिखा हुआ है. दुनिया में क्या घटेगा ये बात हजारों साल पहले ही भगवान श्री कृष्ण ने पांचों पांडवों को बता दी थी. बात आगे बढ़ेगी मगर उससे पहले एक किस्सा सुन लीजिये. किस्सा इंटरेस्टिंग है.
एक बार पांडवों ने भगवान श्री कृष्ण से पांडवों ने कलियुग की अवधारणा पर पूछा था तब भगवान ने उन्हें वन का गमन करने और उन्होंने वहां क्या देखा? ये बताने को कहा था. पांचों पांडव वन गए और अपने किस्से श्री कृष्ण को बताए. नकुल ने श्रीकृष्ण को बताया कि मैंने भी एक आश्चर्य देखा. वह यह कि एक बड़ी सी चट्टान पहाड़ पर से लुढ़की, वृक्षों के तने और चट्टानें उसे रोक न पाए किंतु एक छोटे से पौधे से टकराते ही वह चट्टान रुक गई. इस पर कृष्ण ने कहा कि कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा, उसका जीवन पतित होगा. यह पतित जीवन धन की शिलाओं से नहीं रुकेगा, न ही सत्ता के वृक्षों से रुकेगा. किंतु हरि नाम के एक छोटे से पौधे से, हरि कीर्तन के एक छोटे से पौधे से मनुष्य जीवन का पतन होना रुक जाएगा.
ये किस्सा रोचक है मगर पहली पहली लाइन कन्फयूजिंग है. दिमाग में सवाल आएगा कि भला तीर्थयात्रा का गोवा से क्या सम्बन्ध है? साथ ही ये भी कि सरकारी पैसों से तीर्थ यात्रा का क्या चक्कर है? तो आपको बताते चलें कि राजस्थान देवस्थान विभाग की ओर से हर साल राज्य के वरिष्ठ नागरिकों के लिए दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थयात्रा का आयोजन किया जाता है. पूरी शानो शौकत के साथ सरकारी खर्चे पर तीर्थयात्रा पर जाने वाले वरिष्ठ नागरिकों में राजस्थान के लोग अयोध्या जाने के बजाए गोवा जाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
ध्यान रहे कि राजस्थान से अयोध्या जाने के मुकाबले गोवा जाने वाले लोगों की संख्या कहीं अधिक है. इसके अलावा दिलचस्प बात ये भी है कि राजस्थान के लोगों ने हवाई यात्रा के जरिये तीर्थ के रूप में अयोध्या को सबसे निचले पायदान पर रखा है. बात अगर लोगों की पसंद की हो तो सबसे ज्यादा लोग रामेश्वरम जाना चाहते हैं. हवाई यात्रा से तीर्थयात्रा करने के लिए अयोध्या जाने के लिए सिर्फ 75 लोगों ने आवेदन किया. वहीं गोवा के लिए तीनों प्राथमिकताओं में 962 लोगों ने आवेदन किया है.
आपको बताते चलें कि तीर्थयात्रा मे लिए कुल 37 हजार 92 आवेदन पहुंचे हैं. इन आवेदनों में 61 हजार 87 यात्री निशुल्क यात्रा करना चाहते हैं. मिले हुए आवेदनों में कई आवेदन ऐसे हैं जिसपर एक ही फॉर्म पर पति और पत्नी दोनों ने सरकार के पास अपनी यात्रा के लिए अर्जी भेजी है. एयर प्लेन के जरिये यात्रा की चाह रखने वाले 23749 आवेदकों में से सबसे ज्यादा रामेश्वरम जाने के इच्छुक हैं. गौरतलब है कि इस बार 17 तीर्थस्थलों पर वरिष्ठ नागरिक जा सकेंगे पहले ये संख्या 10 थी जिसपर सरकार ने 7 नए स्थानों को जोड़कर इसे 17 किया है.
बहरहाल, अब कोई कहां जाए ये बात मायने नहीं रखती. मगर ये अपने आप में दिलचस्प है कि लोगों ने अयोध्या के मुकाबले गोवा को चुना. यहां हम यही कहेंगे कि अच्छा हूं ये यात्रा पूर्णतः देसी थी. कहीं इसमें विदेश के डेस्टिनेशन भी शामिल होते तो निश्चित तौर पर लोगों की एक बड़ी संख्या ऐसी होती. जो सरकारी खर्च पर तीर्थ के नाम पर थाईलैंड, मॉरीशस जाती और भरपूर एन्जॉय करती. खैर ये बात हमें अच्छे से पता है कि महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने कलयुग के विषय में बताया था. मगर कलयुग इतना भयंकर होगा इस बात का अंदाजा हमें तो बिल्कुल नहीं था.
हम अपनी बात उसी अवधारणा पर खत्म करेंगे जहां पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण से कलयुग के बारे में पूछा था. वन में गमन के दौरान अर्जुन ने देखा था कि एक पक्षी के पंखों पर वेद की ऋचाएं लिखी हुई हैं और वह पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है. इस दृश्य पर भगवान श्री कृष्ण का तर्क था कि इसी प्रकार कलियुग में ऐसे लोग रहेंगे, जो बड़े ज्ञानी और ध्यानी कहलाएंगे. वे ज्ञान की चर्चा तो करेंगे, लेकिन उनके आचरण राक्षसी होंगे. बड़े पंडित और विद्वान कहलाएंगे किंतु वे यही देखते रहेंगे कि कौन-सा मनुष्य मरे और हमारे नाम से संपत्ति कर जाए.
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