लड़की होकर शहर पढ़ने जाएगी कहीं ऊंच-नीच हो गई तो? हम दुनिया को क्या मुंह दिखाएंगे. हमारे यहां लड़कियां रसोई में चू्ल्हा-चौका संभालने का काम करती हैं ना कि उड़ान भरने का. ऐसा ही कुछ राजस्थान (Rajasthan) के गांव की रहने वाली ममता चौधरी (Mamta Chaudhary) से घरवालों ने कहा. मगर ममता का सपना एयर होस्टेस (Air hostess) बनने का था. वह सबसे लड़ी, अपने जिद के आगे किसी की नहीं सुनी, बुरे दिन देखे मगर हार नहीं मानी और आज वह विदेश जाने वाली गांव की पहली लड़की बन गई. ममता की कहानी को ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे ने प्रकाशित किया है.
ममता ने लिखा है कि रणबीर कपूर ने कहा था ना, 'मैं उड़ना चाहता हूं, दौड़ना चाहता हूं...बस रुकना नहीं चाहता.' मैं भी यही चाहता थी लेकिन, मैं राजस्थान के एक गांव से थी जहां महिलाओं से केवल खाना बनाने, साफ-सफाई करने और बच्चों को पालने की उम्मीद की जाती है. मेरे लिए इस रूढ़िवादी सोच को तोड़ना आसान नहीं था लेकिन मैं लड़ने के लिए तैयार थी.
मैंने जब स्कूली शिक्षा पूरी की तो सभी ने कहा कि इसकी शादी करा दो. मगर मेरा सपना यह नहीं था. मैंने पापा से कहा कि मैं शहर जाउंगी. वह मान गए मगर उन्होंने मुझसे सारे रिश्ते-नाते तोड़ लिए. अपने सपने के लिए मैं यह कीमत चुकाने को तैयार हो गई. मैं दिल्ली चली गई मगर गांव से होने के कारण मेरी अंग्रेजी एक परेशानी बन गई.
मुझे पता था कि मुझे मेरे अपीयरेंस के आधार पर जज किया जाएगा और इंटरव्यू में रिजेक्ट कर दिया जाएगा. इसलिए यू ट्यूब औऱ कुछ दोस्तों की मदद से मैंने खुद को अपग्रेड किया. इसके बाद मुझे जुलाई 2018 में कैबिन क्रू की नौकरी मिल गई. मैंने खुश होकर घर पर फोन किया मगर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा. इसके उलट जब यह...
लड़की होकर शहर पढ़ने जाएगी कहीं ऊंच-नीच हो गई तो? हम दुनिया को क्या मुंह दिखाएंगे. हमारे यहां लड़कियां रसोई में चू्ल्हा-चौका संभालने का काम करती हैं ना कि उड़ान भरने का. ऐसा ही कुछ राजस्थान (Rajasthan) के गांव की रहने वाली ममता चौधरी (Mamta Chaudhary) से घरवालों ने कहा. मगर ममता का सपना एयर होस्टेस (Air hostess) बनने का था. वह सबसे लड़ी, अपने जिद के आगे किसी की नहीं सुनी, बुरे दिन देखे मगर हार नहीं मानी और आज वह विदेश जाने वाली गांव की पहली लड़की बन गई. ममता की कहानी को ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे ने प्रकाशित किया है.
ममता ने लिखा है कि रणबीर कपूर ने कहा था ना, 'मैं उड़ना चाहता हूं, दौड़ना चाहता हूं...बस रुकना नहीं चाहता.' मैं भी यही चाहता थी लेकिन, मैं राजस्थान के एक गांव से थी जहां महिलाओं से केवल खाना बनाने, साफ-सफाई करने और बच्चों को पालने की उम्मीद की जाती है. मेरे लिए इस रूढ़िवादी सोच को तोड़ना आसान नहीं था लेकिन मैं लड़ने के लिए तैयार थी.
मैंने जब स्कूली शिक्षा पूरी की तो सभी ने कहा कि इसकी शादी करा दो. मगर मेरा सपना यह नहीं था. मैंने पापा से कहा कि मैं शहर जाउंगी. वह मान गए मगर उन्होंने मुझसे सारे रिश्ते-नाते तोड़ लिए. अपने सपने के लिए मैं यह कीमत चुकाने को तैयार हो गई. मैं दिल्ली चली गई मगर गांव से होने के कारण मेरी अंग्रेजी एक परेशानी बन गई.
मुझे पता था कि मुझे मेरे अपीयरेंस के आधार पर जज किया जाएगा और इंटरव्यू में रिजेक्ट कर दिया जाएगा. इसलिए यू ट्यूब औऱ कुछ दोस्तों की मदद से मैंने खुद को अपग्रेड किया. इसके बाद मुझे जुलाई 2018 में कैबिन क्रू की नौकरी मिल गई. मैंने खुश होकर घर पर फोन किया मगर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा. इसके उलट जब यह खबर मेरे गांव में पहुंची तो सभी ने कहा कि यह लड़की नाक कटा देगी. इसके बाद मेरे परिवार ने मुझसे पूरी तरह दूरी बना ली.
मेरी मुश्किले यहीं रूकने वाली नहीं थी क्योंकि पासपोर्ट ना होने के कारण मैंने मेरी जॉब खो दी. मैं एक बार फिर से बेरोजगार थी. कई समय ऐसा बीता कि जब मैं बिना खाना खाए दिन बिता दिए. मैं लॉस्ट महसूस कर रही थी. मेरे हर तरफ उदासी थी. एक रात हिम्मत करके मैंने मां को फोन किया औऱ कहा कि मैं अकेले मर जाउंगी और तुम्हें पता भी नहीं चलेगा. वह रोने लगी औऱ कहा कि घऱ आ जा. मैं घर चली गई मगर मेरे सपने को नहीं छोड़ पाई. मेरे अंदर कुछ तो बदल गया था. मुझे एहसास हुआ कि मैं अपने सपने को नहीं छोड़ सकती हूं. इसके बाद पापा ने कहा कि तू कर जो करना है.
मैं और मजबूती के साथ लौटी और मॉडलिंग शुरु कर दी. मैंने बॉडी डबल के रूप में भी काम किया. इसके बाद जब मैंने अपनी पहली घरेलू उड़ान भरी तो मेरे जीवन ने उड़ान भर दिया. साल 2022, में मुझे अबू धाबी में केबिन क्रू के रूप में दूसरी नौकरी मिली. इस तरह विदेश में काम करने वाली मैं अपने गांव की पहली महिला बन गई. मेरे पिता जी को मुझ पर बहुत गर्व हुआ. पापा ने मुझे गले से लगाया औऱ कहा शाबाश.
इस तरह अब एक साल हो गया है. तब से मैंने अब तक 23 देशों की यात्री कर ली है. मैंने अपने पिता जी के लिए एक कार भी खरीदी है. इतना ही नहीं अब मुझे लड़कियां के स्कूलों औऱ कॉलेजों में बोलने के लिए बुलाया जाता है. जब बार जब मैं अपने परिवार के पास जा रही थी तो एक लड़की ने मुझसे कहा कि दीदी आप हमारी प्रेरणा हो. यह एक पल ऐसा था जब मैंने सोचा कि मेरे सारे संघर्ष, आंसू और वे अकेली रातें सुर्लभ हो गईं. औऱ मैं यह बार-बार कहना चाहूंगी कि क्योंकि मेरी जैसी औऱ ममता के लिए यह बदलाव की किरण है...
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