दुनिया में कुछ लोग सच में कमाल के होते हैं, वे कुछ ऐसा कर जाते हैं कि लाखों दिलों पर राज करते हैं. ऐसे लोग हमें जिंदगी में कुछ करने की प्रेरणा (motivational story) देते हैं. इस दुनिया में कितने लोग रहते हैं लेकिन कुछ लोग ही अपनी लाइफ में कुछ अच्छा करते हैं जिससे उनका नाम हो जाता है. जिस शख्स की हम बात कर रहे हैं वह कोरोना पॉजिटिव (corona positive) था और कोविड-19 (covid-19) से जंग जीतने के बाद उसने दो लोगों को प्लाज्मा डोनेट (plasma donation in covid) कर उनकी जान बचाई.
उनके परिवार वालों ने तो इस शख्स को फरिश्ता मान लिया. जिस भले मानुष की हम बात कर रहे हैं उनका नाम राजीव मिश्रा ( rajiv mishra allahabad) है. इतना ही नहीं राजीव अब तक 55493 किमी का सफर कर कई राज्यों में जाकर 75 बार रक्तदान कर चुके हैं, वो भी निस्वार्थ भाव से.
कोरोना काल (corona time) में जब लोग डर की वजह से अपनों का साथ छोड़ रहे हैं. उस समय में राजीव इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं. एक दिन राजीव मिश्रा को एक अजनबी का कॉल (phone call for plasma) आया फिर वे प्लाज्मा डोनेट करने के लिए प्रयागराज से 1600 किलोमीटर यात्रा करके हरियाणा पहुंचे और वेदांता हॉस्पिटल में कोरोना पेशेंट के लिए प्लाज्मा डोनेट (plasma verified phone number) किया हरियाणा के रहने वाले उस व्यक्ति को कोरोना संक्रमण (coronavirus) की चपेट में था.
उसकी जान (covid positive patient) को खतरा था, उसे बचाने के लिए प्लाज्मा (plasma donate) की जरूरत थी. किसी के जरिए राजीव मिश्रा का नंबर मिला और उसने बात करके प्लाज्मा की जरूरत के बारे में बात की, फिर क्या राजीव सहायता करने के लिए बना देरी के निकल पड़े.
इतना ही नहीं...
दुनिया में कुछ लोग सच में कमाल के होते हैं, वे कुछ ऐसा कर जाते हैं कि लाखों दिलों पर राज करते हैं. ऐसे लोग हमें जिंदगी में कुछ करने की प्रेरणा (motivational story) देते हैं. इस दुनिया में कितने लोग रहते हैं लेकिन कुछ लोग ही अपनी लाइफ में कुछ अच्छा करते हैं जिससे उनका नाम हो जाता है. जिस शख्स की हम बात कर रहे हैं वह कोरोना पॉजिटिव (corona positive) था और कोविड-19 (covid-19) से जंग जीतने के बाद उसने दो लोगों को प्लाज्मा डोनेट (plasma donation in covid) कर उनकी जान बचाई.
उनके परिवार वालों ने तो इस शख्स को फरिश्ता मान लिया. जिस भले मानुष की हम बात कर रहे हैं उनका नाम राजीव मिश्रा ( rajiv mishra allahabad) है. इतना ही नहीं राजीव अब तक 55493 किमी का सफर कर कई राज्यों में जाकर 75 बार रक्तदान कर चुके हैं, वो भी निस्वार्थ भाव से.
कोरोना काल (corona time) में जब लोग डर की वजह से अपनों का साथ छोड़ रहे हैं. उस समय में राजीव इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं. एक दिन राजीव मिश्रा को एक अजनबी का कॉल (phone call for plasma) आया फिर वे प्लाज्मा डोनेट करने के लिए प्रयागराज से 1600 किलोमीटर यात्रा करके हरियाणा पहुंचे और वेदांता हॉस्पिटल में कोरोना पेशेंट के लिए प्लाज्मा डोनेट (plasma verified phone number) किया हरियाणा के रहने वाले उस व्यक्ति को कोरोना संक्रमण (coronavirus) की चपेट में था.
उसकी जान (covid positive patient) को खतरा था, उसे बचाने के लिए प्लाज्मा (plasma donate) की जरूरत थी. किसी के जरिए राजीव मिश्रा का नंबर मिला और उसने बात करके प्लाज्मा की जरूरत के बारे में बात की, फिर क्या राजीव सहायता करने के लिए बना देरी के निकल पड़े.
इतना ही नहीं कुछ राजीव ने नोएडा के रहने वाले एक शख्स को प्लाज्मा डोनेट किया और उसकी भी जान बचाई. दोनों परिवार ने राजीव का भगवान रूप माना और आभार जताया. कोरोना के जिन मरीजों में संक्रमण ज्यादा होता है उन्हें प्लाज्मा थेरेपी ( what is plasma therapy) दी जाती है. इस टाइम में लोग जैसे-तैसे ऑक्सीजन, मेडिसिन और बेड (oxygen bed) का इंतजाम तो कर ले रहे लेकिन प्लाज्मा डोनेट करने वालों (plasma donor) की भारी किल्लत है.
लोग ठीक होने के बाद भी घबरा रहे हैं और प्लाज्मा दान (how to do plasma donate) नहीं कर रहे हैं. बलिया निवासी राजीव इलाहाबाद में रहकर प्राइवेट काम करते हैं. ये अब तक कई लोगों को ब्लड देकर (blood donate) उनकी जान बचाई है. ये दूसरे लोगों को ब्लड और प्लाज्मा डोनेट करने के लिए जागरूक (aware for blood and plasma donation) करते हैं. अपने लिए तो सब जीते हैं लेकिन राजीव का दूसरों की लाइफ बचाने का सिलसिला काफी पहले से जारी है.
इनका मानना है कि कोरोना काल में प्लाजमा डोनेट करके हम एक पूरी फैमिली को खुशी दे सकते हैं. राजीव (plasma donor rajiv story) के इस सराहनीय काम की वजह से कई बार इन्हें सम्मानित किया जा चुका है. वहीं महामहिम श्री रामनाथ कोविंद ने भी इनसे मिलने की इच्छा जाहिर की है.
जरा सोचिए एक छोटे से शहर के रहने वाले इंसान की दिल कितना बड़ा है. यह बात सच है कि अभी प्लाज्मा की कमी से कोरोना पेशेंट जूझ रहे हैं. ऐसी कहानियां (motivation story in corona time) ज्यादा से ज्यादा सामने आनी चाहिए और शेयर होनी चाहिए ताकि लोग प्रेरित (inspire for plasma donation) हो सके, क्या पता किसी की छोटी सी कोशिश किसी की जिंदगी बचा (save life together in corona time) सकती है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.