I wish all the women in the world give men as much happiness as Sunny Leone gives
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) March 8, 2017
(ये है फिल्म निर्माता और निर्देशक रामगोपाल वर्मा का ट्वीट जो उन्होंने वुमंस डे पर महिलाओं के नाम संदेश्ा के रूप में भेजा था. सरल शब्दों में समझें तो वे कहना चाह रहे थे- मैं चाहता हूं दुनिया की सारी औरतें मर्दों को वैसी ही खुशी दें जैसी खुशी सनी लियोनी देती हैं).
वर्मा के इस ट्वीट पर सनी लियोनी ने सधा हुआ जवाब दिया था कि किसी भी व्यक्ति को कुछ कहने से पहले अपने शब्दों पर ध्यान देना चाहिए. लेकिन वर्मा रुके नहीं. उन्होंने सनी लियोनी के नाम का इस्तेमाल करते हुए एक छोटी फिल्म ही बना डाली. फिल्म क्या बनाई, भारतीय समाज के औसत चिंतन पर हमला कर दिया. फिल्म का नाम रखा- 'मेरी बेटी सनी लियोनी बनना चाहती है'.
11 मिनट की यह फिल्म एक बेटी और उसके मां-बाप के बीच चल रही बहस को दिखाती है. जो इस बात से शुरू होती है जब बेटी कहती है कि वह सनी लियोनी की तरह पोर्न स्टार बनना चाहती है. इस फिल्म के मूल चिंतन और उसके कुछ डॉयलॉग पर बात करते हैं.
'एक औरत की सबसे बड़ी वैल्यू सिर्फ और सिर्फ उसकी खूबसूरती और सेक्स अपील होती है'...
ये स्टेटमेंट सुनकर आपको क्या लगता है? क्या ये सही है? क्या किसी लड़की के पास सिर्फ यही ताकत होती है? आपका तो पता नहीं, लेकिन मेरे लिए ये स्टेटमेंट किसी भी तरह से सही नहीं है.
एक होती है फिल्म, एक होता है थिएटर, एक...
I wish all the women in the world give men as much happiness as Sunny Leone gives
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) March 8, 2017
(ये है फिल्म निर्माता और निर्देशक रामगोपाल वर्मा का ट्वीट जो उन्होंने वुमंस डे पर महिलाओं के नाम संदेश्ा के रूप में भेजा था. सरल शब्दों में समझें तो वे कहना चाह रहे थे- मैं चाहता हूं दुनिया की सारी औरतें मर्दों को वैसी ही खुशी दें जैसी खुशी सनी लियोनी देती हैं).
वर्मा के इस ट्वीट पर सनी लियोनी ने सधा हुआ जवाब दिया था कि किसी भी व्यक्ति को कुछ कहने से पहले अपने शब्दों पर ध्यान देना चाहिए. लेकिन वर्मा रुके नहीं. उन्होंने सनी लियोनी के नाम का इस्तेमाल करते हुए एक छोटी फिल्म ही बना डाली. फिल्म क्या बनाई, भारतीय समाज के औसत चिंतन पर हमला कर दिया. फिल्म का नाम रखा- 'मेरी बेटी सनी लियोनी बनना चाहती है'.
11 मिनट की यह फिल्म एक बेटी और उसके मां-बाप के बीच चल रही बहस को दिखाती है. जो इस बात से शुरू होती है जब बेटी कहती है कि वह सनी लियोनी की तरह पोर्न स्टार बनना चाहती है. इस फिल्म के मूल चिंतन और उसके कुछ डॉयलॉग पर बात करते हैं.
'एक औरत की सबसे बड़ी वैल्यू सिर्फ और सिर्फ उसकी खूबसूरती और सेक्स अपील होती है'...
ये स्टेटमेंट सुनकर आपको क्या लगता है? क्या ये सही है? क्या किसी लड़की के पास सिर्फ यही ताकत होती है? आपका तो पता नहीं, लेकिन मेरे लिए ये स्टेटमेंट किसी भी तरह से सही नहीं है.
एक होती है फिल्म, एक होता है थिएटर, एक होती है डॉक्युमेंट्री, एक होती है वेब सीरीज और एक शॉर्ट फिल्म. राम गोपाल वर्मा ने इस सभी में अपना योगदान कहीं ना कहीं दिया ही है. एक जमाने के बेस्ट फिल्म मेकर माने जाने वाले वर्मा जी अब शायद अपनी फिल्म मेकिंग के तरीकों में जो भी बदलाव चाहते हैं वो सिर्फ कुछ तरीकों पर ही सिमटा हुआ है. इसमें महिला और उसकी सेक्शुएलिटी शामिल है. ऐसा सिर्फ ताजा शॉर्ट फिल्म से नहीं साबित होता. मेरी ऐसी घारणा राम गोपाल वर्मा की वेब सीरीज 'गन्स एंड थाईस (Guns and thighs)' को देखकर भी बनी है.
पहले बात शॉर्ट फिल्म की ही कर लेते हैं. इस फिल्म में बेटी अपने मां-पापा को ये बताती है कि वो सनी लियोनी बनाना चाहती है. क्यों? क्योंकि इस काम को करने में अच्छे पैसे मिलेंगे जो उसके पिता अगले 5 साल में भी नहीं कमा पाएंगे. क्योंकि बॉडी उसकी है और उसपर सिर्फ उसका ही हक है... क्योंकि उसे ये अच्छा लगता है. शॉर्ट फिल्म में बेटी कहती है, 'सनी लियोनी अपनी सेक्शुएलिटी बेचती है और इससे वो फेमस है. आज हर कोई सनी लियोनी को जानता है. भले ही उसे रिस्पेक्ट नहीं करते लोग, लेकिन जिनकी रिस्पेक्ट करते हैं उनका नाम ही कितनी बार ले लेते हैं लोग. दुनिया में हर कोई कुछ ना कुछ बेचता है इसी तरह सनी लियोनी अपनी सेक्शुएलिटी बेचती है. मेरी सेक्शुएलिटी मेरी अमानत है और मैं इसे शान से इस्तेमाल करना चाहती हूं. एक अपीयरेंस के लिए सनी लियोनी को जितने पैसे मिलते हैं वो पापा आप अगले 5 साल में भी नहीं कमा पाएंगे.'
नैना गांगुली जिसने बेटी का किरदार निभाया है वो कहती है कि पॉर्न स्टार बनना ठीक वैसा ही है जैसे उसके पिता (मकरंद देशपांडे) एक आम सरकारी कर्मचारी हैं, दीदी डॉक्टर है, मां हाउस वाइफ है. किसी हद तक ये बात सही भी है. पॉर्न स्टार होना एक प्रोफेशन ही है. एक लड़की के पास उसकी अपनी जिंदगी और अपनी सोच होती है. वो क्या करती है इसपर सिर्फ उसका हक है, लेकिन अगर बात ये कही जाए कि वुमेन एम्पावरमेंट का मतलब ये है कि लड़कियां सेक्स के मामले में खुल जाएं या फिर अपनी सेक्शुएलिटी को ही सब कुछ मानें तो ये सरासर गलत है.
ये एक ऐसा सब्जेक्ट है जिसके बारे में आजकल अधिकतर लोग बोल रहे हैं सुन रहे हैं कह रहे हैं. हर कोई अपनी- अपनी तरह से इस सब्जेक्ट पर विचार रखता है, लेकिन महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों के बारे में राम गोपाल वर्मा का जो भी ख्याल है वो गलत है.
अब एक बार दोबारा राम गोपाल वर्मा के वुमंस डे वाले ट्वीट पर चलते हैं...
I wish all the women in the world give men as much happiness as Sunny Leone gives
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) March 8, 2017
Soon making short film on exposing sanctimoniousness of extremely antithetical multifarious perspectives on the phenomenon of @SunnyLeone
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) March 8, 2017
Like there is a Womens Day is there a Womens Night also???
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) March 8, 2017
तो इस फिल्म के जरिए राम गोपाल वर्मा क्या साबित करना चाहते हैं कि ज्यादा पैसे कमाने हैं इसलिए सनी लियोनी पॉर्न स्टार बनी. चाहें गन्स एंड थाईस हो या फिर मेरी बेटी सनी लियोनी बनना चाहती है राम गोपाल वर्मा के ये दोनों ही प्रोजेक्ट महिलाओं को सिर्फ उनकी सेक्शुएलिटी को लेकर ही दिखाते हैं. वर्मा साहब महिलाओं की बोल्डनेस का मतलब सिर्फ सेक्शुएलिटी नहीं होती. सोशल मीडिया पर इस फिल्म के सब्जेक्ट को सिरे से नकार दिया है, लेकिन फिर भी इस फिल्म को अब तक 2.3 मिलियन व्यूज मिल चुके हैं.
ये भी पढ़ें-
कामुकता नहीं, जरूरत भी फिल्माई जा सकती है कंडोम के विज्ञापन में
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.