राम मंदिर निर्माण के शुभारंभ के संभावित मुहूर्त से लेकर निर्माण पूरा होने के चरणबद्ध कार्यक्रम का खाका तैयार करने पर चर्चा भी लाज़िमी है. ट्रस्ट के सदस्यों के मुताबिक पहली बैठक में औपचारिक चर्चा के साथ सदस्यों के खाली पदों को भरने का उपक्रम. फिर मंदिर निर्माण शुरू करने से पहले कई तरह की तैयारियां पूरी करनी होंगी. कुछ क़ानूनी तो कुछ आर्थिक और कुछ प्रशासनिक मुद्दे तय करने होंगे. कानूनी के तहत रामजन्मभूमि न्यास के अधिकार वाली सम्पदा तीर्थक्षेत्र न्यास के हवाले करने, आय व्यय का ब्यौरा देने जैसी चीजें हैं. चंदे का स्वरूप आर्थिक मुद्दा होगा. मंदिर निर्माण के लिए कौन कैसे चन्दा इकट्ठा करेगा. जवाबदारी और ज़िम्मेदारी किसकी होगी ये भी तय करना होगा.
मंदिर निर्माण का उपक्रम किस सिलसिले से होगा? क्या भूमिपूजन और शिलान्यास दोबारा नए सिरे से होगा या पिछला वाला ही मान्य होगा. मंदिर के डिजाइन पर भी औपचारिक सहमति ज़रूरी है. क्योंकि अनौपचारिक तौर पर तो ये ही कहा जा रहा है कि विहिप के तय मॉडल पर ही नागर वास्तुशैली में ही राममंदिर बनेगा.
रही शुभारंभ के मंगलमुहूर्त की बात तो तैयारियां पूरी करने में जितना वक्त लगेगा उस हिसाब से अगले दो महीने में चार सर्वश्रेष्ठ उत्तम मुहूर्त तो आ रहे हैं. सबसे पहले होली के 15 दिन बाद वर्ष प्रतिपदा, इसके नौवें दिन रामनवमी, फिर हनुमान जयंती और इसके बाद वैशाख में अक्षय तृतीया. अब ट्रस्ट को विचार करना है कि जल्दी से जल्दी में कब तक पूर्व पीठिका बन जाती है जिससे शुभस्य शीघ्रं हो सके.
रोडमैप बनाने वालों ने अनौपचारिक तौर पर मंदिर बनाने के लिए दो साल की अवधि...
राम मंदिर निर्माण के शुभारंभ के संभावित मुहूर्त से लेकर निर्माण पूरा होने के चरणबद्ध कार्यक्रम का खाका तैयार करने पर चर्चा भी लाज़िमी है. ट्रस्ट के सदस्यों के मुताबिक पहली बैठक में औपचारिक चर्चा के साथ सदस्यों के खाली पदों को भरने का उपक्रम. फिर मंदिर निर्माण शुरू करने से पहले कई तरह की तैयारियां पूरी करनी होंगी. कुछ क़ानूनी तो कुछ आर्थिक और कुछ प्रशासनिक मुद्दे तय करने होंगे. कानूनी के तहत रामजन्मभूमि न्यास के अधिकार वाली सम्पदा तीर्थक्षेत्र न्यास के हवाले करने, आय व्यय का ब्यौरा देने जैसी चीजें हैं. चंदे का स्वरूप आर्थिक मुद्दा होगा. मंदिर निर्माण के लिए कौन कैसे चन्दा इकट्ठा करेगा. जवाबदारी और ज़िम्मेदारी किसकी होगी ये भी तय करना होगा.
मंदिर निर्माण का उपक्रम किस सिलसिले से होगा? क्या भूमिपूजन और शिलान्यास दोबारा नए सिरे से होगा या पिछला वाला ही मान्य होगा. मंदिर के डिजाइन पर भी औपचारिक सहमति ज़रूरी है. क्योंकि अनौपचारिक तौर पर तो ये ही कहा जा रहा है कि विहिप के तय मॉडल पर ही नागर वास्तुशैली में ही राममंदिर बनेगा.
रही शुभारंभ के मंगलमुहूर्त की बात तो तैयारियां पूरी करने में जितना वक्त लगेगा उस हिसाब से अगले दो महीने में चार सर्वश्रेष्ठ उत्तम मुहूर्त तो आ रहे हैं. सबसे पहले होली के 15 दिन बाद वर्ष प्रतिपदा, इसके नौवें दिन रामनवमी, फिर हनुमान जयंती और इसके बाद वैशाख में अक्षय तृतीया. अब ट्रस्ट को विचार करना है कि जल्दी से जल्दी में कब तक पूर्व पीठिका बन जाती है जिससे शुभस्य शीघ्रं हो सके.
रोडमैप बनाने वालों ने अनौपचारिक तौर पर मंदिर बनाने के लिए दो साल की अवधि तय की है. शुरुआती तीन महीने तो 66 एकड़ भूमि समतल करने और जीर्ण निर्माणों को ढहाने में लगेंगे. वास्तुकारों के मुताबिक सदियों तक मज़बूत मंदिर निर्माण की नींव पुख्ता करने के लिए आवश्यक है कि नीव पर सर्दी, गर्मी बरसात सहित चारों मौसम गुजर जाएं. ऐसे तो साल भर यूं ही लग जाएंगे.
इसी सिलसिले में एक और मसला रामलला के पहचान पत्र का भी अटका है. पहचान पत्र नहीं तो बैंक खाता नहीं. खाता नहीं तो रामलला के लिए जमा धनराशि कहाँ सुरक्षित रहेगी? यानी कुल जमा बात यहां ठहरती है कि बैंक के लिए रामलला का बनेगा पहचान पत्र!
पहचान पत्र के बिना रामलला के नाम की करोड़ों रुपए की फिक्स डिपॉजिट बैंक में नहीं हो सकेगी. रकम जमा नहीं होगी तो लाखों रुपए सालाना का नुकसान भी होगा. यानी पहचान पत्र तो बनवाना ही होगा. लेकिन अब सवाल उठता है कि कौन सा? पहचान पत्र बनेगा तो कौन सा वाला जो व्यवहारिक, कानूनी और नियमों के मुताबिक हो? उसमे आवास और फोटो के ज़रिए भी पहचान सुनिश्चित हो. कानूनी,सरकारी मान्यता और प्रचलन में तो पहचान के लिए तीन कार्ड हैं. आधार कार्ड, वोटर कार्ड और PAN कार्ड.
पहले आधार कार्ड पर बात कर लें! तो रामलला को जीवित और कानूनी व्यक्ति माना गया है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दलीलों में भी यही कहा गया और सबसे बड़े फैसले ने इसकी तस्दीक भी कर दी. लेकिन आधार कार्ड के लिए हाथों की उंगलियों की छाप और आंखों की पुतलियों का स्कैन ही पहचान का आधार रहता है. रामलला के श्री विग्रह में ये सब स्कैन कैसे हो पाएगा? उंगलियों की महीन धारियों की बनावट और आंखों की पुतलियों का रंग और तंत्रिका के जाल को परख कर ही विज्ञान किसी भी व्यक्ति की अलग पहचान की तस्दीक करता है. लेकिन रामलला के वास्ते विज्ञान के पास इसका जवाब नहीं है.
दूसरा पहचान पत्र वोटर आईडी. रामलला तो चिर बालक हैं. उनकी सेवा भी सदियों से रामलला यानी 4-5 साल के बालक के रूप में ही है. लिहाज़ा जब वो कभी बालिग ही नहीं होंगे तो वोटर कार्ड बनवाने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता. दूर दूर तक नहीं.. भविष्य में भी नहीं.
अब बात आकर रुकती है PAN कार्ड पर. ये बन सकता है permanent account number यानी स्थायी खाता संख्या. अब रामलला के लिए मंदिर के पते पर उनका PAN नम्बर ही लिया जा सकता है. पूरे विश्व मे सदियों से जिनकी पहचान मर्यादा पुरूषोत्तम के रूप में है उनको भी लोकतांत्रिक भारत मे अपनी पहचान साबित करने के लिए कार्ड बनवाना और दिखलाना भी पड़ेगा!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.