जस्टिस रंजन गोगोई ने 3 अक्टूबर को देश के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला. जस्टिस गोगोई इस पद पर पहुंचने वाले नार्थ ईस्ट इंडिया के पहले मुख्य न्यायाधीश हैं. जस्टिस गोगोई देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं. उन्होंने 23 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश का पद संभाला था. वे मुख्य न्याायाधीश के पद से 17 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त होंगे. मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल 1 साल 1 महीने से अधिक होगा.
सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में उन्होंने कई अहम् फैसले दिए हैं जिसमें प्रमुख हैं- असम में एनआरसी, सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन, राजीव गांधी हत्याकांड के मुजरिमों की उम्रकैद की सजा में कमी, लोकपाल की नियुक्ति आदि.
उनको काफी एक्टिव जज माना जाता है. जनवरी 2018 में उन्होंने उस समय सब को अचरज में डाल दिया था जब उन्हेंने पूर्व जस्टिस जे चेलामेश्वर, कुरियन जोसेफ़ आदि के साथ न्यायपालिका के भीतर फैली अव्यवस्था के बारे में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी. इसमें इन्होंने आरोप लगाया था कि महत्वपूर्ण मसलों को चुनिंदा जजों के पास भेजा जा रहा है, जो लोकतंत्र के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोगोई के सामने कई चुनौतियां होंगी
1. उनके ऊपर सबसे मुख्य चुनौती होगी अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई. यह एक बेहद अहम् मुद्दा है. देश के हर नागरिक की निगाहें इस पर रहेंगी. इसी महीने ही अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच सुनवाई शुरू करने जा रही है. कई वर्षो से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
2. देश भर में लंबित मुकदमों की भारी-भरकम संख्या है. एक अनुमान के अनुसार सुप्रीम...
जस्टिस रंजन गोगोई ने 3 अक्टूबर को देश के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला. जस्टिस गोगोई इस पद पर पहुंचने वाले नार्थ ईस्ट इंडिया के पहले मुख्य न्यायाधीश हैं. जस्टिस गोगोई देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं. उन्होंने 23 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश का पद संभाला था. वे मुख्य न्याायाधीश के पद से 17 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त होंगे. मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल 1 साल 1 महीने से अधिक होगा.
सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में उन्होंने कई अहम् फैसले दिए हैं जिसमें प्रमुख हैं- असम में एनआरसी, सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन, राजीव गांधी हत्याकांड के मुजरिमों की उम्रकैद की सजा में कमी, लोकपाल की नियुक्ति आदि.
उनको काफी एक्टिव जज माना जाता है. जनवरी 2018 में उन्होंने उस समय सब को अचरज में डाल दिया था जब उन्हेंने पूर्व जस्टिस जे चेलामेश्वर, कुरियन जोसेफ़ आदि के साथ न्यायपालिका के भीतर फैली अव्यवस्था के बारे में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी. इसमें इन्होंने आरोप लगाया था कि महत्वपूर्ण मसलों को चुनिंदा जजों के पास भेजा जा रहा है, जो लोकतंत्र के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोगोई के सामने कई चुनौतियां होंगी
1. उनके ऊपर सबसे मुख्य चुनौती होगी अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई. यह एक बेहद अहम् मुद्दा है. देश के हर नागरिक की निगाहें इस पर रहेंगी. इसी महीने ही अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच सुनवाई शुरू करने जा रही है. कई वर्षो से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
2. देश भर में लंबित मुकदमों की भारी-भरकम संख्या है. एक अनुमान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट मे भी लंबित मुकदमों की संख्या करीब 57000 के आस-पास हैं. इनसे निपटने की चुनौती भी रहेगी और साथ ही साथ न्यायपालिका की कार्यप्रणाली का और सुधार किस तरह किया जाए उसपर भी वे जोर जरूर देंगे.
3. न्यायपालिका में जजों के पद काफी खाली हैं. जजों की कमी के कारण कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में इनकी नियुक्ति करना भी चैलेंज होगा. वर्त्तमान में जजों की कमी के कारण न्यायपालिका के ऊपर प्रेशर काफी ज्यादा है.
4. अनुच्छेद 35 ए से संबंधित मामले की भी सुनवाई करना. इसको लेकर हाल में ही जम्मू-कश्मीर में सियासी बवाल मचा हुआ था. 2019 लोकसभा चुनावों से पहले ये मुद्दा काफी राजनीतिक महत्व रखता है.
5. इसके अलावा आरुषि मर्डर केस, मुस्लिम समाज के अंतर्गत Polygamy law आदि कई अन्य मसलों पर भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
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