एक कहावत अभी कुछ दिनों में काफी प्रचलित हुई है कि Real men don't hit women यानी असली मर्द औरत पर हाथ नहीं उठाते हैं. बात सही है, औरत पर हाथ उठाने से मर्दानगी नहीं दिखती. बहुत से फिरभी इन बातों पर ध्यान नहीं देते और अपनी पत्नी को पीटकर ही असली मर्द होने का सुख पाते हैं.
वहीं कुछ मर्द ऐसे भी हैं, जो वास्तव में कभी औरत पर हाथ नहीं उठाते. वो मानते हैं कि हाथ उठाना हिंसा है. लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो भले ही ये कहते हों कि असली मर्द औरत पर हाथ नहीं उठाते, लेकिन वो बीवी पर बिना हाथ उठाये ही बता देते हैं की घर में मर्द कौन है. जी हां, अगर आप ये समझते हैं कि अपनी पत्नी पर हाथ उठाना ही हिंसा है, तो पहले ये वीडियो देख लीजिए. हो सकता है कि आपका ये भ्रम भी दूर हो जाए कि सिर्फ हाथ उठाना ही हिंसा की श्रेणी में आता है.
महिलाओं के हित में काम करने वाली संस्था ब्रेकथ्रू ने इस वाडियो के माध्यम से बताने की कोशिश की है कि महिलाओं के साथ घर में अगर पिटाई नहीं की जाती तो भी बहुत कुछ ऐसा किया जाता है जो किसी भी रूप में हिंसा या प्रताड़ना से कम नहीं होता. लोगों की ये बताने की कोशिश की है कि 'हिंसा नहीं, प्रेम सही'.
वो शारीरिक रूप से प्रताड़ित न भी हो तो उसे मौखिक रूप से जो प्रताड़ना दी जाती है जो और भी ज्यादा गंभीर होती है. शरीर पर लगे घाव तो महिलाएं झेल लेती हैं, उसे अपने ही पल्लू से औरों से छिपाती रहती हैं. लेकिन जो घाव उनके मन पर लगते हैं, वो इतने गहरे होते हैं कि उन्हें न तो भरा जाता है और न ही सहेजा जाता है. पति अगर हाथ नहीं उठाता तो क्या...वो गालियां तो देता है, ताने तो देता है. क्या वो ताने या गालियां किसी भी तरह से किसी हिंसा से कम होती हैं? जरा सोचिए कि असली मर्द...
एक कहावत अभी कुछ दिनों में काफी प्रचलित हुई है कि Real men don't hit women यानी असली मर्द औरत पर हाथ नहीं उठाते हैं. बात सही है, औरत पर हाथ उठाने से मर्दानगी नहीं दिखती. बहुत से फिरभी इन बातों पर ध्यान नहीं देते और अपनी पत्नी को पीटकर ही असली मर्द होने का सुख पाते हैं.
वहीं कुछ मर्द ऐसे भी हैं, जो वास्तव में कभी औरत पर हाथ नहीं उठाते. वो मानते हैं कि हाथ उठाना हिंसा है. लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो भले ही ये कहते हों कि असली मर्द औरत पर हाथ नहीं उठाते, लेकिन वो बीवी पर बिना हाथ उठाये ही बता देते हैं की घर में मर्द कौन है. जी हां, अगर आप ये समझते हैं कि अपनी पत्नी पर हाथ उठाना ही हिंसा है, तो पहले ये वीडियो देख लीजिए. हो सकता है कि आपका ये भ्रम भी दूर हो जाए कि सिर्फ हाथ उठाना ही हिंसा की श्रेणी में आता है.
महिलाओं के हित में काम करने वाली संस्था ब्रेकथ्रू ने इस वाडियो के माध्यम से बताने की कोशिश की है कि महिलाओं के साथ घर में अगर पिटाई नहीं की जाती तो भी बहुत कुछ ऐसा किया जाता है जो किसी भी रूप में हिंसा या प्रताड़ना से कम नहीं होता. लोगों की ये बताने की कोशिश की है कि 'हिंसा नहीं, प्रेम सही'.
वो शारीरिक रूप से प्रताड़ित न भी हो तो उसे मौखिक रूप से जो प्रताड़ना दी जाती है जो और भी ज्यादा गंभीर होती है. शरीर पर लगे घाव तो महिलाएं झेल लेती हैं, उसे अपने ही पल्लू से औरों से छिपाती रहती हैं. लेकिन जो घाव उनके मन पर लगते हैं, वो इतने गहरे होते हैं कि उन्हें न तो भरा जाता है और न ही सहेजा जाता है. पति अगर हाथ नहीं उठाता तो क्या...वो गालियां तो देता है, ताने तो देता है. क्या वो ताने या गालियां किसी भी तरह से किसी हिंसा से कम होती हैं? जरा सोचिए कि असली मर्द औरत पर हाथ नहीं उठाकर ही असली मर्द बनते हैं या फिर प्यार से.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.