2018 आ गया है और यकीनन नए साल पर कई लोगों का रेजोल्यूशन होगा कि भाई अब इस साल से एक्सरसाइज करनी है और पतले होना है. एक रिसर्च के मुताबिक हिंदुस्तान दुनिया की सबसे ओबेस यानि मोटे लोगों वाले देशों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर है. शहरी इलाकों में तो बच्चों में मोटापे की समस्या भी बढ़ रही है. 2015 में किए गए एक सर्वे की बात करें तो पिछले पांच सालों में बच्चों में मोटापे की समस्या 16% से बढ़कर 29% तक हो गई है.
पर मोटापे का कारण क्या है? अगर ध्यान से देखें तो सभी खाने को दोष देंगे. ये सही भी है. खाना और लाइफस्टाइल काफी हद तक मोटापे का कारण बनता है, लेकिन इसके अलावा क्या?
1. डिप्रेशन...
आधी बीमारियों की जड़ दिमाग में होती है ऐसा कई बार दादी-नानी को कहते सुना है और ये 100 फीसदी सच है. डिप्रेशन में या तो वजन काफी तेजी से बढ़ने लगता है या फिर तेजी से घटने लगता है. भारत में डिप्रेशन की बात करें तो एक रिपोर्ट के मुताबिक 56,675,969 लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. 2015 के आंकड़ों की बात करें तो 42.6% कर्मचारियों को डिप्रेशन की समस्या थी अब ये आंकड़ा बढ़ गया होगा. इसके अलावा, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हर 5 में से 1 इंसान को यहां काउंसलिंग की जरूरत है. अब खुद ही समझ लीजिए.
2. फास्ट फूड...
मोटापे के बढ़ने का कारण फास्ट फूड का आसानी से उपलब्ध होना भी है. जैसे-जैसे फास्ट फूड आउटलेट्स बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे ही मोटापा भी लोगों में बढ़ रहा है. एक रिसर्च कहती है कि भारतीय खाने से उतना मोटापा नहीं बढ़ता जितना फास्ट फूड से बढ़ता है.
3. काम और...
2018 आ गया है और यकीनन नए साल पर कई लोगों का रेजोल्यूशन होगा कि भाई अब इस साल से एक्सरसाइज करनी है और पतले होना है. एक रिसर्च के मुताबिक हिंदुस्तान दुनिया की सबसे ओबेस यानि मोटे लोगों वाले देशों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर है. शहरी इलाकों में तो बच्चों में मोटापे की समस्या भी बढ़ रही है. 2015 में किए गए एक सर्वे की बात करें तो पिछले पांच सालों में बच्चों में मोटापे की समस्या 16% से बढ़कर 29% तक हो गई है.
पर मोटापे का कारण क्या है? अगर ध्यान से देखें तो सभी खाने को दोष देंगे. ये सही भी है. खाना और लाइफस्टाइल काफी हद तक मोटापे का कारण बनता है, लेकिन इसके अलावा क्या?
1. डिप्रेशन...
आधी बीमारियों की जड़ दिमाग में होती है ऐसा कई बार दादी-नानी को कहते सुना है और ये 100 फीसदी सच है. डिप्रेशन में या तो वजन काफी तेजी से बढ़ने लगता है या फिर तेजी से घटने लगता है. भारत में डिप्रेशन की बात करें तो एक रिपोर्ट के मुताबिक 56,675,969 लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. 2015 के आंकड़ों की बात करें तो 42.6% कर्मचारियों को डिप्रेशन की समस्या थी अब ये आंकड़ा बढ़ गया होगा. इसके अलावा, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हर 5 में से 1 इंसान को यहां काउंसलिंग की जरूरत है. अब खुद ही समझ लीजिए.
2. फास्ट फूड...
मोटापे के बढ़ने का कारण फास्ट फूड का आसानी से उपलब्ध होना भी है. जैसे-जैसे फास्ट फूड आउटलेट्स बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे ही मोटापा भी लोगों में बढ़ रहा है. एक रिसर्च कहती है कि भारतीय खाने से उतना मोटापा नहीं बढ़ता जितना फास्ट फूड से बढ़ता है.
3. काम और बोझ...
टावर्स वॉट्सन द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार लगभग 55% लोग भारत में वर्क प्रेशर से ग्रसित हैं. काम करने के घंटे भी भारत में कई देशों की तुलना में काफी ज्यादा हैं. आधे से ज्यादा ये कहते हैं कि भारत में उनसे अपेक्षाएं बहुत की जाती हैं. भारतीय कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी काफी ज्यादा होती है.
4. कसरत अब कहां...
पहले के समय में भारत में कुश्ती, अखाड़े आदि में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे. अब सिर्फ लैपटॉप और स्मार्टफोन में लगे रहते हैं. अगर बच्चों की ही बात करें तो पहले जहां बच्चे साइकिल चलाने, लुका छुपी खेलने को अच्छा समझते थे वहीं अब वीडियो गेम और साइकिल चलाना जरूरी समझते हैं.
5. पढ़ाई का प्रेशर..
काम का प्रेशर बढने के कारण पढ़ाई का प्रेशर भी बढ़ने लगा है. बच्चों के पास, स्कूल और ट्यूशन क्लास से फुर्सत नहीं है और इसके बाद फिर खाने पीने से वजन बढ़ना स्वाभाविक है.
6. दवाइयां...
इंसुलिन लेने से या कई तरह की दवाइयां खाने से भी मोटापा बढ़ता है और भारतीय मार्केट में ऐसी कई दवाएं उपलब्ध हैं जो मोटापे का कारण बनती हैं.
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