जीएसटी लागू होने से पहले से ही एक देश एक टैक्स वाला जुमला फेमस हो गया था. जेटली जी ने जब जीएसटी लागू किया तब से हर किसी को टैक्स के दायरे में लाने की बातें हो रही हैं. छोटे से छोटा व्यक्ति किसी न किसी तरह से जीएसटी चुका रहा है. जहां सब्जी से लेकर पीने के पानी तक सब कुछ जीएसटी के दायरे में आ गया हो वहां आखिर बाथरूम जाना कैसे छोड़ा जा सकता है.
जी हां, अब बाथरूम जाना भी जीएसटी के अंतरगत आ गया है. कम से कम तमिलनाडु के एक होटल का तो यही मानना है. रुकमनी अम्मल फूड्स रेस्ट्रां में एक आदमी को बाथरूम जाना महंगा पड़ गया. बाथरूम जाने के लिए टॉयलेट का बिल दिया गया. जिसमें बिल नंबर के साथ पार्सल चार्ज, SGST और CGST भी लगाया गया. कुल 11 रुपए का बिल बनाया गया.
जीएसटी तक तो ठीक था, लेकिन पार्सल चार्ज? मतलब बाथरूम जाते समय पार्सल कर क्या लेकर जाएंगे?
ये तो बड़ी ही अजीब बात है. इस बिल के साथ-साथ एक नई बहस शुरू हो गई है कि आखिर बाथरूम जाने के लिए भी अगर जीएसटी देना पड़ा तो फिर स्वच्छ भारत अभियान के चलते बनाए जा रहे शौचालयों का क्या होगा? गरीब आदमी तो फिर खेतों में ही जाएगा. ये वो बात नहीं कि जन सुविधा केंद्र में 5 रुपए दे दिए और काम हो गया.
खुद ही सोचिए मार्केट में घंटो घूमने के बाद अगर किसी को बाथरूम जाना पड़ा तो उसे जीएसटी के साथ पार्सल बिल देकर किसी रेस्त्रां में बाथरूम का इस्तेमाल करना होगा. ये शायद रेस्त्रां का नया तरीका था कि वो अपने यहां आने वाले लोगों को फ्री का बाथरूम इस्तेमाल करने से रोक सके, लेकिन इसके लिए वो ये...
जीएसटी लागू होने से पहले से ही एक देश एक टैक्स वाला जुमला फेमस हो गया था. जेटली जी ने जब जीएसटी लागू किया तब से हर किसी को टैक्स के दायरे में लाने की बातें हो रही हैं. छोटे से छोटा व्यक्ति किसी न किसी तरह से जीएसटी चुका रहा है. जहां सब्जी से लेकर पीने के पानी तक सब कुछ जीएसटी के दायरे में आ गया हो वहां आखिर बाथरूम जाना कैसे छोड़ा जा सकता है.
जी हां, अब बाथरूम जाना भी जीएसटी के अंतरगत आ गया है. कम से कम तमिलनाडु के एक होटल का तो यही मानना है. रुकमनी अम्मल फूड्स रेस्ट्रां में एक आदमी को बाथरूम जाना महंगा पड़ गया. बाथरूम जाने के लिए टॉयलेट का बिल दिया गया. जिसमें बिल नंबर के साथ पार्सल चार्ज, SGST और CGST भी लगाया गया. कुल 11 रुपए का बिल बनाया गया.
जीएसटी तक तो ठीक था, लेकिन पार्सल चार्ज? मतलब बाथरूम जाते समय पार्सल कर क्या लेकर जाएंगे?
ये तो बड़ी ही अजीब बात है. इस बिल के साथ-साथ एक नई बहस शुरू हो गई है कि आखिर बाथरूम जाने के लिए भी अगर जीएसटी देना पड़ा तो फिर स्वच्छ भारत अभियान के चलते बनाए जा रहे शौचालयों का क्या होगा? गरीब आदमी तो फिर खेतों में ही जाएगा. ये वो बात नहीं कि जन सुविधा केंद्र में 5 रुपए दे दिए और काम हो गया.
खुद ही सोचिए मार्केट में घंटो घूमने के बाद अगर किसी को बाथरूम जाना पड़ा तो उसे जीएसटी के साथ पार्सल बिल देकर किसी रेस्त्रां में बाथरूम का इस्तेमाल करना होगा. ये शायद रेस्त्रां का नया तरीका था कि वो अपने यहां आने वाले लोगों को फ्री का बाथरूम इस्तेमाल करने से रोक सके, लेकिन इसके लिए वो ये नियम लगा सकते थे कि जो यहां से कुछ खरीदेगा उसे ही बाथरूम का इस्तेमाल करने को दिया जाएगा, ऐसा नियम कई जगह होता है. पर ये नायाब तरीका निकालने वाले रेस्त्रां यकीनन देश की भलाई के लिए जीएसटी देने में योगदान कर रहे हैं.
बाथरूम सर्विसेज के लिए अगर जीएसटी को लागू कर दिया गया तो जरा सोचिए सार्वजनिक सुविधा केंद्र पर दो और पांच रुपए की रसीद के साथ भी जीएसटी देना होगा. तब तो स्वच्छ भारत का सपना सिर्फ सपना ही रह जाएगा.
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