ऋषभ पंत (Rishabh Pant) की किस्मत अच्छी है कि भयानक कार एक्सीडेंट (Car Accident) होने के बाद भी वे बाल-बाल बच गए. सुबह करीब 5 बजे गुरुकुल नारसन क्षेत्र में NH 58 पर उनकी मर्सिडीज बेंज जीएल कार डिवाइडर से टकरा गई. असल में उन्हें नींद के कारण झपकी आ गई थी, जिसके बाद कार अनियंत्रित हो गई. उनके पैर और पीठ पर गंभीर चोटें आईं हैं. रिपोर्टस् के अनुसार, वे नए साल पर अपनी मां को सरप्राइज देने के लिए से दिल्ली से अपने घर रुड़की, उत्तराखंड जा रहे थे.
एक्सीडेंट के बाद कार में से चिनगारी निकलने लगी थी. इसी समय पंत ने विंडस्क्रीन तोड़ा और बाहर निकले. वे खुद ड्राइव कर रहे थे और कार में अकेले थे. उनकी मदद करने वाले बस ड्राइवर सुशील कुमार ने बताया कि पंत के कार से बाहर निकले के कुछ मिनट बाद ही कार आग का गोला बन गई. सुशील कुमार ने ही पुलिस को फोन करके हादसे की जानकरी दी, इसके बाद पंत को अस्पताल ले जाया गया. फिलहाल वे खतरे से बाहर हैं, मगर यह सोचकर ही मन सिहर जाता ही कि आज उनके साथ कुछ भी हो सकता था.
ऋषभ पंत के कार एक्सीडेंट से इतना तो समझ आ गया है कि एक छोटी सी गलती हमारी जान ले सकती है. दुर्घटना से देर भली, इस लाइन को गांठ बांध लीजिए और घटना से कुछ सबक लेकर अपने अनमोल जीवन की रक्षा कीजिए. इतना याद रखिए कि कोई है जो आपका घर पर इंतजार करता है और वह आपको किसी भी हाल में खोना नहीं चाहता.
नींद पूरी न होने पर गाड़ी बिल्कुल न चलाएं
अगर आपकी नींद पूरी ना हुई हो तो किसी भी हाल में गाड़ी न चलाएं. क्योंकि आपकी एक पल की झपकी बड़े हादसे का रूप ले सकती है. इसलिए अगर नींद पूरी हो तभी ड्राइव करने का ख्याल अपने मन में...
ऋषभ पंत (Rishabh Pant) की किस्मत अच्छी है कि भयानक कार एक्सीडेंट (Car Accident) होने के बाद भी वे बाल-बाल बच गए. सुबह करीब 5 बजे गुरुकुल नारसन क्षेत्र में NH 58 पर उनकी मर्सिडीज बेंज जीएल कार डिवाइडर से टकरा गई. असल में उन्हें नींद के कारण झपकी आ गई थी, जिसके बाद कार अनियंत्रित हो गई. उनके पैर और पीठ पर गंभीर चोटें आईं हैं. रिपोर्टस् के अनुसार, वे नए साल पर अपनी मां को सरप्राइज देने के लिए से दिल्ली से अपने घर रुड़की, उत्तराखंड जा रहे थे.
एक्सीडेंट के बाद कार में से चिनगारी निकलने लगी थी. इसी समय पंत ने विंडस्क्रीन तोड़ा और बाहर निकले. वे खुद ड्राइव कर रहे थे और कार में अकेले थे. उनकी मदद करने वाले बस ड्राइवर सुशील कुमार ने बताया कि पंत के कार से बाहर निकले के कुछ मिनट बाद ही कार आग का गोला बन गई. सुशील कुमार ने ही पुलिस को फोन करके हादसे की जानकरी दी, इसके बाद पंत को अस्पताल ले जाया गया. फिलहाल वे खतरे से बाहर हैं, मगर यह सोचकर ही मन सिहर जाता ही कि आज उनके साथ कुछ भी हो सकता था.
ऋषभ पंत के कार एक्सीडेंट से इतना तो समझ आ गया है कि एक छोटी सी गलती हमारी जान ले सकती है. दुर्घटना से देर भली, इस लाइन को गांठ बांध लीजिए और घटना से कुछ सबक लेकर अपने अनमोल जीवन की रक्षा कीजिए. इतना याद रखिए कि कोई है जो आपका घर पर इंतजार करता है और वह आपको किसी भी हाल में खोना नहीं चाहता.
नींद पूरी न होने पर गाड़ी बिल्कुल न चलाएं
अगर आपकी नींद पूरी ना हुई हो तो किसी भी हाल में गाड़ी न चलाएं. क्योंकि आपकी एक पल की झपकी बड़े हादसे का रूप ले सकती है. इसलिए अगर नींद पूरी हो तभी ड्राइव करने का ख्याल अपने मन में लाइए.
लंबे सफर पर निकलें तो हर सौ किमी पर रूक कर ब्रेक लें
नींद पूरी होने के बावजूद कई लोगों का गाड़ी में नींद आ जाती है. इसलिए बीच-बीच में ब्रेक लेना जरूरी है. ब्रेक लेने से आपकी बॉडी रिलैक्स हो जाएगी और आप तरोताजा भी महसूस करेंगे.
दूर जाना हो तो ड्राइवर को साथ रखें, और उसे भी ब्रेक दें
इन सब के बावजूद अगर आपको दूर जाना हो तो ड्राइवर को साथ रखें. उससे पहले ही पूछ लें कि वह लगातार ड्राइवर तो नहीं कर रहा है. इसके साथ ही उसे भी बीच-बीच में ब्रेक दें.
सड़क कितनी भी अच्छी क्यों न हो, ओवर स्पीडिंग न करें
ऐसा नहीं है कि रोड अच्छा मिल गया तो गाड़ी को तेज भगाने लगे. कई बार ओवर स्पीड के कारण भी गाड़ियां अनियंत्रित हो जाती हैं औऱ टकरा जाती हैं. इसलिए स्पीड का खास ध्यान रखें.
ज्यादा कोहरे में गाड़ी चलाते वक्त अतिरिक्त सावधानी बरतें
कोशिश करें कि मौसम के विपरीत यानी तेज बारिश औऱ अधिक कोहरे में गाड़ी न चलाएं. ऐसे मौसम में हादसे की संभावना बढ़ जाती है. अगर चलानी भी पड़ें तो अधिक सावधान रहें.
नशे की हालत में गाड़ी न चलाएं
इस नियम को तो घोलकर पी जाना चाहिए. कभी भी शरीब पीकर या नशे की हालत में गाडी नहीं चलानी चाहिए, ऐसा करना हादसे को न्योता देना है.
इसके अलावा ट्रैफिक नियमों का पालन करना, सीट बेल्ट पहनना, फोन पर बात न करना भी शामिल हैं. जिनका पालन सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए. याद रखिए जान है तो जहान है...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.