पहले दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की शादी, फिर प्रियंका चोपड़ा और निक जोनास की शादी और उसके बाद भारत के सबसे अमीर परिवार अंबानी की बेटी ईशा अंबानी की शादी, यूं समझिए कि इन शादियों को देखकर ही भारतीयों ने आलीशान शादियों का मतलब सही मायने में समझा. लेकिन एक शादी ऐसी हुई जिसने इन सभी शादियों की चर्चाओं को एक झटके में खत्म कर दिया. वो शादी थी भारत की स्टार बैडमिंटन प्लेयर सायना नेहवाल की शादी.
सायना ने 14 दिसंबर को अपने दोस्त और सह खिलाड़ी पारुपल्ली कश्यप से शादी की. शादी उनके घर पर बहुत ही सादगी से संपन्न हुई जिसे बाद में रजिस्टर भी करा लिया गया. दोनों खिलाड़ियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी शादी की खबर पूरी दुनिया को दी. 16 दिसबंर को दोनों रिसेप्शन दे रहे हैं.
सायना नेहवाल वो महिला हैं जो समाज में चलने वाले बहुत से नियम और कायदों के खिलाफ चली हैं. हम ये भी कह सकते हैं कि उन्होंने अपने रास्ते खुद बनाए हैं. स्टीरोटाइप्स को तोड़ा है, उन्होंने वो किया जो उन्हें अच्छा लगा, वो नहीं जो समाज को अच्छा लगता हो. जिसका नतीजा ये है कि आज उन्हें दुनिया सलाम करती है. आज हम उनके जीवन से जुड़ी उन बातों को एकसाथ रखते हैं तो समझते हैं कि क्यों वो सबसे अलग हैं.
ऐसी जगह जन्म लेना जहां लड़कियों से ज्यादा लड़कों की चाहत हो
हरियाणा की धरती ने भारत को बहुत से खिलाड़ी दिए हैं जिन्होंने दुनिया में देश का नाम रौशन किया है. सायन उन्हीं में से एक हैं. सायना हिसार के एक जाट परिवार में जन्मीं....
पहले दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की शादी, फिर प्रियंका चोपड़ा और निक जोनास की शादी और उसके बाद भारत के सबसे अमीर परिवार अंबानी की बेटी ईशा अंबानी की शादी, यूं समझिए कि इन शादियों को देखकर ही भारतीयों ने आलीशान शादियों का मतलब सही मायने में समझा. लेकिन एक शादी ऐसी हुई जिसने इन सभी शादियों की चर्चाओं को एक झटके में खत्म कर दिया. वो शादी थी भारत की स्टार बैडमिंटन प्लेयर सायना नेहवाल की शादी.
सायना ने 14 दिसंबर को अपने दोस्त और सह खिलाड़ी पारुपल्ली कश्यप से शादी की. शादी उनके घर पर बहुत ही सादगी से संपन्न हुई जिसे बाद में रजिस्टर भी करा लिया गया. दोनों खिलाड़ियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी शादी की खबर पूरी दुनिया को दी. 16 दिसबंर को दोनों रिसेप्शन दे रहे हैं.
सायना नेहवाल वो महिला हैं जो समाज में चलने वाले बहुत से नियम और कायदों के खिलाफ चली हैं. हम ये भी कह सकते हैं कि उन्होंने अपने रास्ते खुद बनाए हैं. स्टीरोटाइप्स को तोड़ा है, उन्होंने वो किया जो उन्हें अच्छा लगा, वो नहीं जो समाज को अच्छा लगता हो. जिसका नतीजा ये है कि आज उन्हें दुनिया सलाम करती है. आज हम उनके जीवन से जुड़ी उन बातों को एकसाथ रखते हैं तो समझते हैं कि क्यों वो सबसे अलग हैं.
ऐसी जगह जन्म लेना जहां लड़कियों से ज्यादा लड़कों की चाहत हो
हरियाणा की धरती ने भारत को बहुत से खिलाड़ी दिए हैं जिन्होंने दुनिया में देश का नाम रौशन किया है. सायन उन्हीं में से एक हैं. सायना हिसार के एक जाट परिवार में जन्मीं. लेकिन हारियाणा के बारे में एक बात और खास ये है कि पुरुषप्रधान समाज क्या होता है वो आप यहां घर-घर में देख सकते हैं. यहां महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को अहमियत दी जाती है. इसलिए घर में लड़का होने पर जश्न मनाया जाता है, लड़की होने पर नहीं. सायना की दादी को भी पोता ही चाहिए था. लेकिन जब सायना का जन्म हुआ तो दादी इतनी खफा हो गईं कि उन्होंने जन्म के एक महीने बाद तक सायना का मुंह नहीं देखा था, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो लड़की थीं.
हरियाणा से आने वाली खबरें हमेशा ही वहां के सामज का रुख महिलाओं के प्रति दिखाती आई हैं. ऐसे में खेलों में रुचि रखना भी उस दौर में सायना के खिलाफ ही जाता रहा होगा. सायना के रास्ते में समाज की ये सोच भी रोड़ा बनकर आई होगी कि ये तो लड़की है, इसे तो घर के काम करने चाहिए, ये लड़कों की तरह क्यों खेल रही है. लेकिन चूंकि सायना के माता-पिता दोनों बैडमिंटन खिलाड़ी रहे हैं इसलिए उन्होंने कभी सायना को नहीं रोका. सायना 8 साल की उम्र से बैडमिंटन खेल रही हैं. फिर वो हैदराबाद शिफ्ट हो गए जहां सायना की रुचि को और निखरने का मौका मिला. सायना को पुलेला गोपीचंद की अकादमी में एडमीशन दिलवाया गया.
अपने लिए जीवन की राह और जीवन साथी चुनना
इसी अकादमी में पारुपल्ली कश्यप भी बैडमिंटन की कोचिंग लेने आते थे. ये दोनों तभी अच्छे दोस्त बन गए थे. 2014 तक दोनों अकादमी में कोचिंग लेते रहे. सायना ने न सिर्फ अपने भविष्य के लिए राह चुनी बल्कि अपने लिए एक लाइफ पार्टनर भी चुन लिया था, जो उनका सबसे अच्छा दोस्त भी था. ये दोनों पिछले 10 सालों से साथ हैं. एक राज्य जो प्रेम की भाषा नहीं समझता, जिसे प्यार से ज्यादा जरूरी घर की इज्जत लगती है, जो प्यार के लिए ऑनर किलिंग में यकीन रखता हो, ऐसे राज्य से आने वाली एक खिलाड़ी प्यार भी करती है और उसे अपना जीवन साथी भी बनाती है. ये बात अपने आप में स्टीरोटाइप तोड़ने वाली ही थी.
सेलिब्रिटी होकर भी सिंपल है सायना
सायना भारत की ही नहीं विश्व की नंबर 1 बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुकी हैं. ये अपने आप में गौरव की बात है. उनके पास 23 से भी ज्यादा इंटरनेशनल टाइटल हैं. ओलंपिक में पहली बार बैडमिंटन के लिए पदक लाने वाली वो पहली महिला थीं. उन्हें भारत की सबसे सफल खिलाड़ी कहा जाता है. पदम भूषण, राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड, अर्जुन अवार्ड से सम्मानित हैं सायना. उनके लिए क्या-क्या लिखा जाए, ये समझ नहीं आता. जो भी हो, वो आज स्टार सेलिब्रिटी खिलाड़ी हैं. पॉपुलैरिटी के मामले में किसी भी रूप में विराट कोहली से कम नहीं हैं. मैगज़ीन के कवर पेज पर भी दिखाई देती हैं और कई ब्रांड्स की एंबेसडर भी हैं. लेकिन उन्होंने अपनी शादी में कोई हो हल्ला नहीं किया. शादी से पहले दुनिया को बताने के लिए शादी का कार्ड भी शेयर नहीं किया. शादी के लिए विदेशी धरती पर कोई आलीशान वेन्यू भी नहीं चुना और न ही खुद को स्टाइल करने के लिए किसी बड़े डिजाइनर को सौंप दिया हो. बेहद सादगी से उन्होंने अपने घर में शादी की रस्में कीं. और शादी रजिस्टर कराई.
हालांकि समाज में शादी की परंपरा ही ऐसी है कि यहां हर कोई दिखावा करता आया है, जितना होता है उससे भी ज्यादा, उससे भी भव्य दिखाने की कोशिश की जाती है. चाहे अंबानी हो या प्रियंका चोपड़ा, शादी पर बढ़-चढ़कर खर्च किया जाता है, जो हो न हो नकलीपन ही दिखाता है. इस मामले में भी सायना ने इस स्टीरोटाइप को तोड़कर ये साबित किया है कि वो असल मायने में चैंपियन हैं.
सायना की इन बातों से एक बात जो हर लड़की को समझनी चाहिए, वो ये कि अपने जीवन में जब कोई लड़की सफल होती है, किसी मुकाम पर पहुंच जाती है, तब समाज की रूढ़ियां और बंधन मायने नहीं रखते. तब दुनिया उनके खिलाफ नहीं उनके साथ होती है, उनपर सिर्फ और सिर्फ गर्व करती है. इसलिए सायना सिर्फ हरियाणा नहीं बल्कि देश की तमाम लड़कियों के लिए मिसाल हैं जो जीवन में कुछ करने का सपना देखती हैं. अपनी राह खुद चुनना, उसपर ईमानदारी से चलना, सफल होना और फिर दुनिया के लिए मिसाल बनना...यही कहानी होनी चाहिए आज भारत की हर लड़की की.
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