आपने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक महिला का वीडियो जरूर देखा होगा जिसमें वो लड़कियों से लड़ती दिख रही थी और कह रही थी कि 'जो लड़कियां छोटे कपड़े पहनती हैं उनका रेप हो जाना चाहिए'. उस महिला ने तो सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली थी कि उसे ऐसा नहीं कहना चाहिए था. लेकिन 'कपड़ों की वजह से रेप होते हैं' ये सोच सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं है. हर रेप के बाद तमाम लोग कुछ इसी तरह की बातें करते हैं.
बहस करके ऐसे लोगों की सोच बदलना शायद मुश्किल हो लेकिन लेकिन व्यंग एक ऐसी विधा है जिसके जरिए अपनी बात दूसरे तक पहुंचाई जा सकती है. Sayfty नाम की एक संस्था है जो यौन शोषण के खिलाफ महिलाओं के हित में काम करती है. इस संस्था के कार्यकर्ताओं ने रेप के लिए पीड़िता को ही दोष देने की मानसिकता के खिलाफ एक वेबसाइट बनायी है जिसके जरिए उन्होंने Anti Rape Saree यानी रेप से बचाने वाली संस्कारी साड़ियों के बारे में बताया है.
ये वेबसाइट है www.sanskari-saree.com. इसके जरिए इस संस्था की कार्यकर्ताओं ने उन्हीं 'आंटी जी' पर व्यंग्यात्मक कटाक्ष किया है जिन्होंने एक महिला को उसकी छोटी ड्रेस के लिए शर्मिंदा किया था. और कहा था कि उसके साथ बलात्कार होना चाहिए. वेबसाइट में कहा गया है कि- #viralaunty को जवाब देने के लिए हमने साड़ियों की एक रेंज बनाई है जो इतनी शालीन हैं कि इससे बलात्कार रोके जा सकते हैं.
वेबसाइट ने कहा है कि - 'ये सुपर संस्कारी साड़ी एंटी-रेप तकनीक के साथ बनाई गई हैं और कुछ भारतीयों के हिसाब से इन्हें पहनकर महिलाएं बलात्कारियों के लिए अदृश्य हो जाएंगी. इस बेहद शालीन साड़ियों को पहनकर...
आपने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक महिला का वीडियो जरूर देखा होगा जिसमें वो लड़कियों से लड़ती दिख रही थी और कह रही थी कि 'जो लड़कियां छोटे कपड़े पहनती हैं उनका रेप हो जाना चाहिए'. उस महिला ने तो सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली थी कि उसे ऐसा नहीं कहना चाहिए था. लेकिन 'कपड़ों की वजह से रेप होते हैं' ये सोच सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं है. हर रेप के बाद तमाम लोग कुछ इसी तरह की बातें करते हैं.
बहस करके ऐसे लोगों की सोच बदलना शायद मुश्किल हो लेकिन लेकिन व्यंग एक ऐसी विधा है जिसके जरिए अपनी बात दूसरे तक पहुंचाई जा सकती है. Sayfty नाम की एक संस्था है जो यौन शोषण के खिलाफ महिलाओं के हित में काम करती है. इस संस्था के कार्यकर्ताओं ने रेप के लिए पीड़िता को ही दोष देने की मानसिकता के खिलाफ एक वेबसाइट बनायी है जिसके जरिए उन्होंने Anti Rape Saree यानी रेप से बचाने वाली संस्कारी साड़ियों के बारे में बताया है.
ये वेबसाइट है www.sanskari-saree.com. इसके जरिए इस संस्था की कार्यकर्ताओं ने उन्हीं 'आंटी जी' पर व्यंग्यात्मक कटाक्ष किया है जिन्होंने एक महिला को उसकी छोटी ड्रेस के लिए शर्मिंदा किया था. और कहा था कि उसके साथ बलात्कार होना चाहिए. वेबसाइट में कहा गया है कि- #viralaunty को जवाब देने के लिए हमने साड़ियों की एक रेंज बनाई है जो इतनी शालीन हैं कि इससे बलात्कार रोके जा सकते हैं.
वेबसाइट ने कहा है कि - 'ये सुपर संस्कारी साड़ी एंटी-रेप तकनीक के साथ बनाई गई हैं और कुछ भारतीयों के हिसाब से इन्हें पहनकर महिलाएं बलात्कारियों के लिए अदृश्य हो जाएंगी. इस बेहद शालीन साड़ियों को पहनकर खुद को घूरने वाली आंखों से बचाएं और इस अनचाहे खतरे से बचें. क्योंकि जब देखने के लिए कुछ होगा ही नहीं तो, रेप के लिए भी कुछ नहीं होगा.'
Ambitious Naari Office Saree यानी महत्वाकांक्षी महिलाओं के लिए साड़ी -
Sanskari Item-Number Saree यानी आइटम नंबर के लिए भी संस्कारी साड़ी
Sun-Skari Beachwear Saree यानी बीच पर पहनने के लिए भी साड़ी
Loungewear Saree यानी घर पर पहनने के लिए भी साड़ी
Acchi Bacchi’ Saree for Kids यानी बच्चियों के लिए भी साड़ी-
ये व्यंग इतनी शालीनता से किए गए हैं कि ये जरा भी फेक या फूहड़ नहीं लगते. यानी वेबसाइट बिल्कुल किसी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट की ही तरह है जिसमें कपड़े पहने हुए मॉडल और साड़ी की विशेषताओं के बारे में बहुत अच्छी तरह से बताया गया है. साड़ियों के बारे में जो भी लिखा गया वो चुभेगा जरूर. लेकिन सोचने को मजबूर भी करेगा.
यहां ये भी लिखा गया है कि 'महिला चाहे कोई भी कपड़े पहने, भारत में हर 15 मिनट में एक बच्चे पर यौन हमला किया जाता है. हर 20 मिनट में एक महिला का बलात्कार होता है.'
वेबसाइट के मुताबिक इन साड़ियों से मिलने वाला पैसा Sayfty का दान किया जाएगा. जिनका उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना और उनकी सुरक्षा को बढ़ावा देना है.
रेप की मानसिकता पर बात चाहे बहस के रूप में की जाए या व्यंग में, बात की गंभीरता खत्म नहीं होती. वास्तविकता ये है कि लोगों की सोच बदलनी चाहिए. क्योंकि जो महिलाएं साड़ी पहनकर बाहर निकलती हैं रेप तो उनका भी होता है. रेप तो कुछ महीने की बच्चियों का भी होता है जो भड़काऊ कपड़े नहीं पहनतीं. फिर क्यों रेप के लिए लड़कियों के कपड़ों को जिम्मेदार माना जाता है. और अगर ऐसा है तो विदेशों में जहां महिलाओं का पहनावा ही स्कर्ट और पैंट्स हैं वहां तो हर किसी के साथ रेप होता होगा...नहीं. वहां ऐसे नहीं होता क्योंकि रेप करना एक विकृति है जो एक पुरुष के दिमाग में होती है. महिलाओं के कपड़ों में नहीं. इसलिए सोच बदलना जरूरी है, कपड़े नहीं.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.