संस्कारी लड़की (Sanskari ladki) के मायने क्या है? अरे बहू थोड़ा धीरे-धीरे बात किया करो, पड़ोसी कहेंगे कि फलाना की बहू की आवाज हमारे घर तक सुनाई देती है या फिर पैर छूकर, सिर झुकाकर घर आए मेहमानों के सामने घंटों मुस्कुराते रहना? जिन लोगों को लड़कियों का खुलेआम पैड खरीदना भी पसंद नहीं वो लोग उसके कंडोम खरीदने पर क्या कहेंगे? इसकी कल्पना आप कर सकते हैं. आज भी कई लड़कियां दुकान पर जाने के बाद वहां से सबके चले जाने का इंतजार करती हैं फिर पैड खरीदती हैं. एक लड़की अगर जोर से हंस दे तो उसे उदंड समझ लिया जाता है. अगर किसी लड़की के लड़के दोस्त हैं और वह उनके साथ बाहर घूमने जाती है तब तो उसे बेशर्म ही बोल दिया जाता है.
समझ नहीं आता कि ये कौन लोग हैं जो लड़कियों को जज करते हैं. हमारे समाज में लड़कियों के लिए दो ही कैटेगरी होती है. एक अच्छी और दूसरी बुरी. लोग अपनी सोच के हिसाब से किसी लड़की को संस्कारी और बिगड़ैल की कैटेगरी में रखते हैं. समाज के लोग किस तरह की लड़कियों को संस्कारी कहते हैं, यह जानने के लिए हमने पुरूषों से बातचीत की. तो चलिए आपको बताते हैं कि इस बारे में लड़कों की सोच क्या है.
1-उत्तम नगर के रहने वाले जय कहते हैं कि जो लड़की बड़ों का रिस्पेक्ट करती है, उनकी सेवा करती है वह संस्कारी होती है. जो सास-ससुर को अपना मां-बाप समझती है वह लड़की अच्छी होती है. जो ठीक-ठाक कपड़े पहनती है, शराब नहीं पीती है और पूरे घरवालों का ख्याल रखती है, ऐसी लड़की अच्छी होती है
अब आप बताइए, क्या एक लड़के को पत्नी के मां-बाप को अपना नहीं समझना चाहिए. शराब पीना तो सभी के लिए हानिकारक है. शराब पीकर नशे में तो पुरुष भी हंगामा करते हैं. तो फिर कपड़ों के हिसाब...
संस्कारी लड़की (Sanskari ladki) के मायने क्या है? अरे बहू थोड़ा धीरे-धीरे बात किया करो, पड़ोसी कहेंगे कि फलाना की बहू की आवाज हमारे घर तक सुनाई देती है या फिर पैर छूकर, सिर झुकाकर घर आए मेहमानों के सामने घंटों मुस्कुराते रहना? जिन लोगों को लड़कियों का खुलेआम पैड खरीदना भी पसंद नहीं वो लोग उसके कंडोम खरीदने पर क्या कहेंगे? इसकी कल्पना आप कर सकते हैं. आज भी कई लड़कियां दुकान पर जाने के बाद वहां से सबके चले जाने का इंतजार करती हैं फिर पैड खरीदती हैं. एक लड़की अगर जोर से हंस दे तो उसे उदंड समझ लिया जाता है. अगर किसी लड़की के लड़के दोस्त हैं और वह उनके साथ बाहर घूमने जाती है तब तो उसे बेशर्म ही बोल दिया जाता है.
समझ नहीं आता कि ये कौन लोग हैं जो लड़कियों को जज करते हैं. हमारे समाज में लड़कियों के लिए दो ही कैटेगरी होती है. एक अच्छी और दूसरी बुरी. लोग अपनी सोच के हिसाब से किसी लड़की को संस्कारी और बिगड़ैल की कैटेगरी में रखते हैं. समाज के लोग किस तरह की लड़कियों को संस्कारी कहते हैं, यह जानने के लिए हमने पुरूषों से बातचीत की. तो चलिए आपको बताते हैं कि इस बारे में लड़कों की सोच क्या है.
1-उत्तम नगर के रहने वाले जय कहते हैं कि जो लड़की बड़ों का रिस्पेक्ट करती है, उनकी सेवा करती है वह संस्कारी होती है. जो सास-ससुर को अपना मां-बाप समझती है वह लड़की अच्छी होती है. जो ठीक-ठाक कपड़े पहनती है, शराब नहीं पीती है और पूरे घरवालों का ख्याल रखती है, ऐसी लड़की अच्छी होती है
अब आप बताइए, क्या एक लड़के को पत्नी के मां-बाप को अपना नहीं समझना चाहिए. शराब पीना तो सभी के लिए हानिकारक है. शराब पीकर नशे में तो पुरुष भी हंगामा करते हैं. तो फिर कपड़ों के हिसाब के लड़की को जज करने वालों की मानसिकता कब दूर होगी?
2- वहीं लखनऊ के रहने वाले अभिषेक का मानना है कि लड़कियों को जज करने का हक किसने दिया. शराब पीने का यह मतलब तो नहीं कि वह लड़की संस्कारी नहीं है. हमने अपने हिसाब से लड़कियों के लिए एक दायरा बना लिया है जो लड़की उस पर खरी नहीं उतरती उसे बुरा बना दिया जाता है. हमारे यहां तो इंसान शब्द का अर्थ पुरूषों से लिया जाता है, क्या महिलाएं इंसान नहीं होतीं. मेरे हिसाब से लड़कियां भी इंसान हैं, उनके साथ 10 तरह की बातें हमने ही जोड़ी हैं.
3- गाजियाबाद के रहने वाले प्रकाश कहते हैं कि संस्कारी लड़की वो होती है जो सुंदर होती है. जो अपने परिवार के लिए त्याग करती है. सबको साथ लेकर चलती है. जिसके पास नॉलेज हो और जो सर्वगुण संपन्न हो. जो दूसरों से से इधर-उधर की बात ना करती हो यानी चुगली ना करती हो. सर्वगुण संपन्न यानी जिसके पास सभी गुण हों. जो हर काम को परफेक्ट करती हो, जिसमें कोई कमी ना हो.
अब आप बताइए ये कैसे संभव है क्योंकि हम सभी के अंदर कोई ना कोई कमी है, चाहे पुरुष या महिला. जरूरी तो नहीं कि जिसे खाना बनाना आता हो वह सिलाई भी कर ले. खुदा ने हर किसी को किसी ना किसी नेमत के साथ नवाजा है. अगर कोई महिला करियर में बेहतर कर रही है ऐसा जरूरी नहीं है कि वह घर के कामों में भी माहिर हो. पता नहीं क्यों आज भी लोग लड़कियों को खाना बनाने से ही जज करते हैं, जबकि हाउसहोल्ड्स के काम तो सभी को आने चाहिए. लोगों को आज भी अपने बेटे के लिए सर्वगुण संपन्न बहू ही चाहिए. जहां तक चुगली या निंदा करने की बात है तो क्या पुरुष चुगली नहीं करते?
4- नोएडा के सोनू कहते हैं कि ऐसी लड़की जो हमेशा अपने से बड़ों का सम्मान करें. ऐसी लड़की जिसकी बोली मधुर हो यानी कि जो हमेशा धीमी आवाज में प्यार से बात करे और समझदारी की बात करे. जिसे घर का पूरा काम करना आता हो. क्या सम्मान करने मतलब यह है कि पति या घरवाले कुछ भी करें चुपचाप सब सहती रहे. अपने हक की लड़ाई ना लड़े बस छिपकर रोती रहे. क्या तेज बोलने वाली महिला संस्कारी नहीं होती. क्या अपने बारे में बात करना फालतू काम है. घर के काम ना आने से कोई संस्कारी कैसे हो सकता है.
इस विषय पर लोगों से बात करके इतना तो समझ आ गया कि किसी के लिए दुपट्टा ओढ़कर सिर झुकाकर चलने वाली लड़की संस्कारी है तो किसी के लिए नमस्ते बोलने वाली. किसी के लिए खानदानी लड़की संस्कारी होती है वरना वो कहते हैं कि क्या बताएं किस नीच खानदान से पाला पड़ गया. किसी के लिए सुबह-शाम पूजा करने वाली लड़की संस्कारी होती है तो किसी के लिए पैर छूने वाली. मोहल्ले में उस बहू की बहुत तारीफ होती है जो दिखने में गोरी हो, जिसके पैर लक्ष्मी जैसे हों और जो धीरे कम बोलती हो.
जबकि संस्कारी होने का मतलब है 'दिल का साफ होना, कोई छल कपट ना करना, किसी का बुरा ना करना और किसी को नुकसान ना पहुंचाना, वह चाहे पुरुष हो या महिला'. जबकि आज भी हमारे देश में डार्क लिपस्टिक लगाने वाली, बालों को रंगने वाली, घर देर से आने वाली, ब्रा खुले में सुखाने वाली, शराब-सिगरेट पीने वाली, गहरे गले का कपड़ा पहनने वाली, लड़कों से बात करने वाली, पैर फैलाकर बैठने वाली, पीरियड्स और सेक्स एजुकेशन पर बात करने वाली, किसी काम के लिए ना कहने वाली और माफी ना मांगने वाली...हर लड़की बिगलैड़ होती है. आज भी लोगों को अपने बेटे के लिए संस्कारी बहू ही चाहिए, आप लाख दावे या बहस कीजिए, लेकिन यही सच है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.