बसंत पंचमी (vasant panchami) के दिन देशभर में मां सरस्वती की पूजा (saraswati puja 2021) की जा रही है. इस पर्व को बसंत मौसम की शुरुआत का सूचक माना जाता है. यह त्योहार बंगाल में काफी महत्व रखता है और धूमधाम से मनाया जाता है. बंगाल में बाकी त्योहार एक तरफ और बसंत पंचमी का त्योहार एक तरफ. बसंत पंचमी के दिन को काफी शुभ माना जाता है. इसलिए आज के दिन किसी भी नए काम की शुरुआत की जा सकती है.
दरअसल, बंगाल के लोगों के लिए बसंत पंचमी एक तरह से उनका वैलेंटाइन डे माना जाता है. सरस्वती पूजा को बोंग वैलेंटाइन डे भी कहा जाता है. इस दिन लड़के कुर्ता पजामा तो लड़कियां पीली साड़ी पहनती हैं. आज के दिन पारंपरिक रूप में युवा जोड़ों को ट्विनिंग करते हुए देखा जा सकता है.
देबाज्योति जो कोलकाता में रहते हैं उन्होंने बताया कि आज के लिए स्कूल और कॉलेज खुले रहते हैं. स्कूलों में पंडाल लगते हैं पूजा होती है और किताबों को जमा कर दिया जाता है. इसके बाद छात्र-छात्राओं के एक दूसरे के स्कूल और कॉलेज में जाने की आजादी होती है.
बाकी दिनों में गर्ल्स स्कूल में लड़कों का और बॉय स्कूल में लड़कियों का जाना मना होता है, लेकिन सरस्वती पूजा के दिन एक्जीबीशन लगाए जाते हैं. इस तरह सभी एक-दूसरे के स्कूल और कॉलेज में जा सकते हैं. सभी दोस्त आपस में ग्रुप बनाकर घूमने जाते हैं खाते-पीते हैं और मस्ती करते हैं.
कोलकाता की रहने वाली रीना बताती हैं कि एक तरह से सरस्वती पूजा का दिन आजादी वाला दिन होता है. बंगाल में दुर्गा पूजा के बाद अगर किसी फेस्टिवल को लेकर उत्साह और इंतजार रहता है तो वो है सरस्वती पूजा.
पंडाल में आपको हाथो में हाथ...
बसंत पंचमी (vasant panchami) के दिन देशभर में मां सरस्वती की पूजा (saraswati puja 2021) की जा रही है. इस पर्व को बसंत मौसम की शुरुआत का सूचक माना जाता है. यह त्योहार बंगाल में काफी महत्व रखता है और धूमधाम से मनाया जाता है. बंगाल में बाकी त्योहार एक तरफ और बसंत पंचमी का त्योहार एक तरफ. बसंत पंचमी के दिन को काफी शुभ माना जाता है. इसलिए आज के दिन किसी भी नए काम की शुरुआत की जा सकती है.
दरअसल, बंगाल के लोगों के लिए बसंत पंचमी एक तरह से उनका वैलेंटाइन डे माना जाता है. सरस्वती पूजा को बोंग वैलेंटाइन डे भी कहा जाता है. इस दिन लड़के कुर्ता पजामा तो लड़कियां पीली साड़ी पहनती हैं. आज के दिन पारंपरिक रूप में युवा जोड़ों को ट्विनिंग करते हुए देखा जा सकता है.
देबाज्योति जो कोलकाता में रहते हैं उन्होंने बताया कि आज के लिए स्कूल और कॉलेज खुले रहते हैं. स्कूलों में पंडाल लगते हैं पूजा होती है और किताबों को जमा कर दिया जाता है. इसके बाद छात्र-छात्राओं के एक दूसरे के स्कूल और कॉलेज में जाने की आजादी होती है.
बाकी दिनों में गर्ल्स स्कूल में लड़कों का और बॉय स्कूल में लड़कियों का जाना मना होता है, लेकिन सरस्वती पूजा के दिन एक्जीबीशन लगाए जाते हैं. इस तरह सभी एक-दूसरे के स्कूल और कॉलेज में जा सकते हैं. सभी दोस्त आपस में ग्रुप बनाकर घूमने जाते हैं खाते-पीते हैं और मस्ती करते हैं.
कोलकाता की रहने वाली रीना बताती हैं कि एक तरह से सरस्वती पूजा का दिन आजादी वाला दिन होता है. बंगाल में दुर्गा पूजा के बाद अगर किसी फेस्टिवल को लेकर उत्साह और इंतजार रहता है तो वो है सरस्वती पूजा.
पंडाल में आपको हाथो में हाथ डाले जोड़े क्वालिटी टाइम बिताते हुए दिख जाएंगे. यह दोस्ती की शुरुआत करने का सही समय माना जाता है, क्योंकि बंगाल के लोग आज के दिन को बहुत शुभ मानते हैं. इस तरह प्रेम की कहानी शुरू करने का एक बहाना मिल जाता है.
सरस्वती पूजा के दिन छात्रों और छात्राओं को पढ़ाई से छुट्टी मिल जाती है. लड़कें-लड़कियां पहले से आज के दिन के लिए तैयारी करते हैं. अपने खास दोस्तो के साथ टाइम बिताने के लिए आजाद होते हैं.
जहां एक तरफ सर्दी समाप्त होती है वहीं दूसरी तरफ फूल खिलने लगते हैं और पक्षियों की चहचहाहट मन को मोह लेता है. ऐसे में धूप में पेड़ की छाया में झपकी लेनी हो, सूकून पाना हो या फिर दोस्तों के साथ आइसक्रीम या पुचका (पानी पुरी) का मजा लेना हो. कई किशोरों को आज के दिन उनका साथी मिल जाता है. कई रिश्ते जीवनभर के लिए बन जाते हैं.
दरअसल, बोंग वेलेंटाइन डे की सुंदरता इस एथनिसिटी में है. जो कल्चर को बनाए हुए है. वैसे भी बंगाल में कल्चर, संगीत और नृत्य को लोग पूजते हैं. वैलेंटाइन वीक में गिफ्ट देने का चलन है लेकिन बंगाल के इस वैलेंटाइन में पुराने रीति-रिवाज अपनाए जाते हैं. जहां प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए कविताएं और गीत लिखते हैं. जो अपने मन की बात कहने का पुराना तरीका है. पारंपरिक परिधान में लड़कियां साड़ी और लड़के कुर्ते पहनकर इस जमाने में भी सच्चे प्यार की खुशबू बिखेरते हैं.
प्यार करने वालों के अलावा यह दिन सिंगल स्टेटस वाले लोगों के लिए भी खास होता है. वे आज के दिन दोस्तों के साथ खुली हवा में चिल करते हैं. इस तरह से यह उत्साह का त्योहार लोगों के जीवन में उमंग भरता है. खासतौर पर छात्रों के लिए. आज के दिन जगह-जगह पंडाल लगाए जाते हैं. आज के दिन पीली साड़ी और बिंदी लगाए लड़कियों का ग्रुप आपको दिख जाएगा.
आज का दिन लड़कियों के लिए रोक-टोक से परे होता है. उन्हें सहेलियों के साथ घूमने-फिरने की आजादी होती है. जिन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे वे बसंत बिखेर रही हों. वहीं कई छात्र खासकर अपने जीवनसाथी की तलाश में निकलते हैं, जो उनकी जीवन भर की संगीनी बन जाती है. ऐसा होता है बंगाल का वैलेंटाइन डे कहा जाने वाला यह त्योहार. जो दोस्ती और प्यार का एक पवित्र त्योहार है लेकिन अपने कल्चर और रीति रिवाज के साथ.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.