'शादी के बाद तू बदल गया है रे' ये शायद आपने भी अपने किसी दोस्त को कहा होगा. यकीनन ऐसा बहुत लोग कहते हैं और बहुत सुनते भी हैं. पर ये असल मायने में बताया नहीं जा सकता कि बदलाव किस वजह से आया है. पर अब विज्ञान ने इसका सही जवाब खोज निकाला है.
जॉर्जिया यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी के अनुसार जोड़े शादी के पहले साल में ही काफी बदल जाते हैं. जैसे-जैसे शादी को वक्त बीतता जाता है वैसे-वैसे लोग एक दूसरे की बातों पर कम ध्यान देते हैं और अपनी शादीशुदा जिंदगी के आदी होते जाते हैं.
रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने 169 नवदंपतियों को देखा और उनकी जांच की. पहली सालगिराह से लेकर 18 महीने तक के समय तक उनपर रिसर्च की. पहले 6 महीने में, फिर 1 साल में और फिर 18 महीने में.
हर दौरे पर रिसर्च करने वाले लोगों ने जोड़ों से कुछ सवाल पूछे..
1. आपका पार्टनर कितना सोशल और बोलचाल बढ़ाने वाला है? 2. कितना बौद्धिक रूप से उत्सुक और साहसी है. 3. आप कितना निर्भर कर सकते हैं अपने पार्टनर पर और कितनी बार वो तय प्लान के हिसाब से चलता है? 4. कितनी सहायता करता है? 5. कितना चिंतित, उदास या गुस्से वाला है आपका पार्टनर?
इस रिसर्च में दो तरह के निष्कर्ष निकले. एक तरफ शादी को सफल बनाने वाले लोग थे जिनका कहना था कि पति अपने नए रोल में फिट बैठते हैं और पत्नियों की चिंता कम हो गई, डिप्रेशन कम हो गया, गुस्सा खत्म होने लगा.
दूसरा थोड़ा डराने वाला निष्कर्ष है. दूसरी ओर पति और पत्नी के बीच समस्याएं बढ़ गईं. वो शादीशुदा जिंदगी के आदी होने लगे और एक दूसरे से विपरीत फैसले लेना, गुस्सा करना और प्लान के मुताबिक काम न करना ही उनकी आम जिंदगी बन गई.
खास बात ये है कि इस रिसर्च में अलग-अलग उम्र के जोड़ों को देखा गया, लेकिन सबके नतीजे लगभग एक जैसे ही रहे. इसमें वो...
'शादी के बाद तू बदल गया है रे' ये शायद आपने भी अपने किसी दोस्त को कहा होगा. यकीनन ऐसा बहुत लोग कहते हैं और बहुत सुनते भी हैं. पर ये असल मायने में बताया नहीं जा सकता कि बदलाव किस वजह से आया है. पर अब विज्ञान ने इसका सही जवाब खोज निकाला है.
जॉर्जिया यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी के अनुसार जोड़े शादी के पहले साल में ही काफी बदल जाते हैं. जैसे-जैसे शादी को वक्त बीतता जाता है वैसे-वैसे लोग एक दूसरे की बातों पर कम ध्यान देते हैं और अपनी शादीशुदा जिंदगी के आदी होते जाते हैं.
रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने 169 नवदंपतियों को देखा और उनकी जांच की. पहली सालगिराह से लेकर 18 महीने तक के समय तक उनपर रिसर्च की. पहले 6 महीने में, फिर 1 साल में और फिर 18 महीने में.
हर दौरे पर रिसर्च करने वाले लोगों ने जोड़ों से कुछ सवाल पूछे..
1. आपका पार्टनर कितना सोशल और बोलचाल बढ़ाने वाला है? 2. कितना बौद्धिक रूप से उत्सुक और साहसी है. 3. आप कितना निर्भर कर सकते हैं अपने पार्टनर पर और कितनी बार वो तय प्लान के हिसाब से चलता है? 4. कितनी सहायता करता है? 5. कितना चिंतित, उदास या गुस्से वाला है आपका पार्टनर?
इस रिसर्च में दो तरह के निष्कर्ष निकले. एक तरफ शादी को सफल बनाने वाले लोग थे जिनका कहना था कि पति अपने नए रोल में फिट बैठते हैं और पत्नियों की चिंता कम हो गई, डिप्रेशन कम हो गया, गुस्सा खत्म होने लगा.
दूसरा थोड़ा डराने वाला निष्कर्ष है. दूसरी ओर पति और पत्नी के बीच समस्याएं बढ़ गईं. वो शादीशुदा जिंदगी के आदी होने लगे और एक दूसरे से विपरीत फैसले लेना, गुस्सा करना और प्लान के मुताबिक काम न करना ही उनकी आम जिंदगी बन गई.
खास बात ये है कि इस रिसर्च में अलग-अलग उम्र के जोड़ों को देखा गया, लेकिन सबके नतीजे लगभग एक जैसे ही रहे. इसमें वो जोड़े भी रहे जो पहले से ही बच्चों के माता-पिता हैं.
लीड रिसर्चर जस्टिन लैवनर का कहना है कि रिश्ते का समय इतना कम असर डालेगा ये नहीं पता था. शादी करना जोड़ों के लिए उत्साह का कारण जरूर बन सकता है, कई लोग शादी के बाद जिंदगी में होने वाले बदलावों के बारे में सोचते ही नहीं हैं.
जितना सोचा जाता है उससे काफी ज्यादा बदलाव होता है लोगों की जिंदगी में. एक अन्य रिसर्च में ये भी सामने आया है कि घरेलू काम में मदद करने वाले मर्द ज्यादा बेहतर पति साबित होते हैं और उनकी शादी ज्यादा टिकाऊ और खुशहाल होती है.
यकीनन शादी के बाद होने वाले बदलावों के बारे में उतना नहीं सोचा जाता जितना असल जिंदगी पर फर्क पड़ता है. सिर्फ एक दूसरे के लिए ही नहीं बल्कि जिंदगी में मायने रखने वाले अन्य लोगों के लिए भी शादीशुदा जोड़ा बदल जाता है. समय कम देना, झुंझला जाना, एक दूसरे से साथ हल्की नोक-झोंक करना या फिर अपने पार्टनर की बात नहीं मानना ये बहुत आम बात है. लेकिन अगर बदलाव की बात करें तो पति और पत्नी दोनों को ही ये समझना चाहिए कि ये बदलाव शादी का असली रंग होता है और अगर इसे समझने में थोड़ी भी गलती की तो वो घातक साबित हो सकता है.
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