शाहीन बाग का प्रदर्शन (Shaheen Bagh Protest) चंद लोगों से शुरू हुआ था और देखते ही देखते अब वहां भारी भीड़ जमा हो गई है. जब ये आंदोलन शुरू हुआ तो बहुत से लोगों ने माना कि सबको अपनी बात रखने का हक है, आवाज उठाने का हक है, हमारा देश लोकतांत्रिक है, जहां किसी की आवाज को दबा नहीं सकते. हालांकि, कुछ लोग शाहीन बाग के प्रदर्शन के खिलाफ शुरू से ही थे. वैसे लोकतंत्र की खूबसूरती यही है कि इसमें सबको बोलने, समर्थन करने और विरोध करने की इजाजत है, लेकिन कब तक? शाहीन बाग का प्रदर्शन शुरुआती दिनों में तो इतना शांत था कि उस पर किसी की नजर तक नहीं पड़ी. न तो पुलिस (Delhi Police) ने उन्हें रोका, ना ही सरकार (Modi Government) ने उसका हाल जानना चाहा. देखते ही देखते शाहीन बाग में चंद लोगों से शुरू हुआ CAA-NRC-NPR के खिलाफ प्रदर्शन अब लोगों हुजूम बन गया है. जिस सड़क पर प्रदर्शन हो रहा था, वह सड़क बंद कर दी गई, आसपास की दुकानें बंद हो गईं, लोगों को काम ठप हो गया और यहीं से शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन का विरोध शुरू हो गया. कल तक जो लोग शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को सही बता रहे थे, उनमें से अधिकतर लोग अब ये भी मान रहे हैं कि शाहीन बाग के प्रदर्शन की वजह से वहां के स्थानीय लोगों का जीना मुहाल हो गया है.
प्रोटेस्ट के खिलाफ प्रोटेस्ट
रविवार को तो शाहीन बाग में हो रहे प्रोटेस्ट के खिलाफ भी प्रोटेस्ट देखने को मिला. शुरुआत में चंद लोग आए और नारेबाजी करने लगे. धीरे-धीरे आसपास के करीब 150 लोग वहां पहुंच गए और शाहीन बाग खाली कराने के लिए नारेबाजी शुरू कर दी. वहां पहुंच बहुते से लोग अनुराग ठाकुर वाले नारे भी लगा रहा थे. वह बोल रहे थे, 'देश के गद्दारों को गोली मारो @#$%...
शाहीन बाग का प्रदर्शन (Shaheen Bagh Protest) चंद लोगों से शुरू हुआ था और देखते ही देखते अब वहां भारी भीड़ जमा हो गई है. जब ये आंदोलन शुरू हुआ तो बहुत से लोगों ने माना कि सबको अपनी बात रखने का हक है, आवाज उठाने का हक है, हमारा देश लोकतांत्रिक है, जहां किसी की आवाज को दबा नहीं सकते. हालांकि, कुछ लोग शाहीन बाग के प्रदर्शन के खिलाफ शुरू से ही थे. वैसे लोकतंत्र की खूबसूरती यही है कि इसमें सबको बोलने, समर्थन करने और विरोध करने की इजाजत है, लेकिन कब तक? शाहीन बाग का प्रदर्शन शुरुआती दिनों में तो इतना शांत था कि उस पर किसी की नजर तक नहीं पड़ी. न तो पुलिस (Delhi Police) ने उन्हें रोका, ना ही सरकार (Modi Government) ने उसका हाल जानना चाहा. देखते ही देखते शाहीन बाग में चंद लोगों से शुरू हुआ CAA-NRC-NPR के खिलाफ प्रदर्शन अब लोगों हुजूम बन गया है. जिस सड़क पर प्रदर्शन हो रहा था, वह सड़क बंद कर दी गई, आसपास की दुकानें बंद हो गईं, लोगों को काम ठप हो गया और यहीं से शाहीन बाग के विरोध प्रदर्शन का विरोध शुरू हो गया. कल तक जो लोग शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को सही बता रहे थे, उनमें से अधिकतर लोग अब ये भी मान रहे हैं कि शाहीन बाग के प्रदर्शन की वजह से वहां के स्थानीय लोगों का जीना मुहाल हो गया है.
प्रोटेस्ट के खिलाफ प्रोटेस्ट
रविवार को तो शाहीन बाग में हो रहे प्रोटेस्ट के खिलाफ भी प्रोटेस्ट देखने को मिला. शुरुआत में चंद लोग आए और नारेबाजी करने लगे. धीरे-धीरे आसपास के करीब 150 लोग वहां पहुंच गए और शाहीन बाग खाली कराने के लिए नारेबाजी शुरू कर दी. वहां पहुंच बहुते से लोग अनुराग ठाकुर वाले नारे भी लगा रहा थे. वह बोल रहे थे, 'देश के गद्दारों को गोली मारो @#$% को.' धीरे-धीरे वहां महिलाएं भी जा पहुंचीं. वैसे ये कहना गलत नहीं है कि शाहीन बाग के प्रदर्शन के खिलाफ राजनीति हो रही है, लेकिन इसे भी झुठलाया नहीं जा सकता है कि इस प्रदर्शन की वजह से स्थानीय लोग बहुत परेशान हो गए हैं. खासकर कारोबारी, जिनकी दुकानें नहीं खुल पा रही हैं. वैसे देखा जाए तो इन सबके लिए जिम्मेदार भी खुद शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी हैं, जिन्होंने विरोध करने का मन तो बनाया, लेकिन ये नहीं सोचा कि उनकी वजह से उनके ही अपने दोस्त-साथी नाराज हो सकते हैं. उन्होंने लोगों को परेशानी नहीं होने देने की कोई व्यवस्था नहीं की.
ये शाहीन बाग है, कोई जंतर-मंतर या पार्लियामेंट का चौराहा नहीं
शाहीन बाग प्रदर्शन के साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इससे कोई नेता या सरकार प्रभावित नहीं हो रही है, बल्कि इसका पूरा असर पड़ रहा है वहां के लोगों पर, आम जनता पर. अगर यही प्रदर्शन जंतर-मंतर में होता तो इससे आम जनता प्रभावित नहीं होती. हां अगर यही प्रदर्शन संसद के सामने होता तो वहां से पुलिस अब तक इन्हें हटाने के लिए कोशिशें कर चुकी होती या फिर खुद सरकार ने सामने आकर बात करने की कोशिश की होती. अब क्योंकि ये प्रदर्शन शाहीन बाग में है, जहां से सरकार को आना-जाना ही नहीं है तो कोई प्रदर्शनकारियों की सुध नहीं ले रहा है.
प्रदर्शनकारियों की गलती उन्हें ही भारी पड़ रही है
वैसे प्रदर्शनकारी भी इसके लिए जिम्मेदार हैं, क्योंकि उनकी तरफ से भी बात करने वाला कोई नहीं. भाजपा की ओर से ये बात कई बार कही जा चुकी है कि बात करें तो किससे करें? अब भले ही इसे भाजपा का बहाना कह लीजिए, लेकिन वो बहाना बनाने का मौका भी शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने ही दिया है. वह कहते हैं कि जब तक नागरिकता कानून वापस नहीं लिया जाता, तब कोई बातचीत नहीं होगी, लेकिन ये नहीं सोचते कि उनके प्रदर्शन से आम जनता को कितनी दिक्कत हो रही है.
शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों पर कुछ समय पहले भी सवाल उठना शुरू हुए थे कि उनकी वजह से लोगों को दफ्तर जाने में दिक्कत हो रही है, बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कत हो रही है, मरीज अस्पताल जाने में परेशानी उठा रहे हैं और दुकानों बंद होने से करोड़ों का नुकसान हुआ है. उस समय प्रदर्शनकारियों ने कहा था कि वह कोई रास्ता निकालेंगे, जिससे लोगों को भी परेशानी ना हो और उनका प्रदर्शन भी चलता रहे, लेकिन वो दिन है और आज का दिन है. प्रदर्शन हो रहा है, सड़कें बंद हैं, दुकानें बंद हैं और लोग परेशान हैं. आखिरकार अब लोगों का सब्र भी जवाब देने लगा है. कुछ लोग सरकार को कोस रहे हैं तो कुछ शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को.
अभी क्या हैं शाहीन बाग के हालात?
शाहीन बाग में पिछले 51 दिनों से नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है. सड़क बंद होने की वजह से बच्चे से लेकर बूढ़े तक हर किसी को दिक्कत हो रही है. दफ्तर और स्कूल जाने वालों को पहले को मुकाबले कई घंटे अतिरिक्त यात्रा करनी पड़ रही है, ऊपर से जगह-जगह जाम की स्थिति से भी निपटना पड़ रहा है. महिलाएं अपने बच्चों को लेकर परेशान हैं. देखा जाए तो शाहीन बाग के आस-पास रहने वाले लोगों का गुस्सा सिर्फ शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नहीं है, बल्कि सरकार के भी खिलाफ है. एक महिला ने कहा है कि नेता अपनी राजनीति कर रहे हैं और परेशान हम हो रहे हैं. ऐसे में लोगों के सामने सिर्फ एक ही विकल्प दिख रहा है कि वह शाहीन बाग को जबरन खाली कराने की कोशिश करें या उनके खिलाफ प्रदर्शन करें. सरकार को भी अब कोई कदम उठा लेना चाहिए, वरना अगर शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ज्यादा लोग सड़क पर आ गए तो ये टकराव आमने सामने का हो जाएगा, जो देखते ही देखते हिंसक हो जाएगा.
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