अक्सर देखने में आता है कि जिन महिलाओं के पति गुजर जाते हैं उन्हें समाज के लोग एक अलग नजरिए से देखने लगते हैं. प्रेमिकाओं का तो वैसे भी शादी से पहले अपने प्रेमी पर कोई अधिकार नहीं होता. उन्हें लोग एक हेय दृष्टि से देखते हैं. उसी समाज का दोहरा चेहरा तब देखने को मिलता है जब किसी का साथी शादी (Siddharth Shukla Shehnaz Gill) से पहले गुजर जाता है.
क्या आपने कभी गौर किया है कि इन महिलाओं पर क्या बीतती है...एक तो साथी के असमय निधन से ये सदमें में रहती हैं, उपर से लोगों के ताने उन्हें जीने नहीं देते. लोग तकलीफ तो कम करते नहीं है लेकिन बढ़ा जरूर देते हैं. साथ देते हैं तो सिर्फ सोशल मीडिया पर दिखावे के लिए.
असल में जिस तरह लोग शहनाज गिल को लेकर कॉमेंट कर रहे हैं उसे देखकर गुस्सा आना लाजिमी है. जब शहनाज गिल को लेकर खबरें चल रही थीं तो कई लोगों ने कहा यह सब दिखावा है. सोशल मीडिया के कई यूजर ने शहनाज गिल की बदहवाशी को एक्टिंग बताया. उनका कहना था कि ये सब सिर्फ दो महीने की बातें हैं. दो महीने बाद देखना कैसे ये सब बदलता है.
ऐसे लोगों से एक सवाल पूछना है कि वे क्या चाहते हैं कि शहनाज गिल जीना छोड़ दें या पूरी उम्र रोती रहें? हालांकि उनके फैंस उनके साथ हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि सिद्धार्थ शहनाज की दुनियां थे.
एक तो उन्होंने अपने सबसे करीबी साथी को खोया है उपर से ऐसी बातों से ट्रोल करने का क्या मतलब है. सुनने में आया है कि शहनाज और सिद्धार्थ दिसंबर में शादी करने वाले थे. ऐसे में शहनाज का दिल कितना टूटा हम अंदाजा नहीं लगा सकते... लोग हमेशा महिलाओं से महान बनने की उम्मीद क्यों करते हैं.
क्या किसी को सिर्फ रोते रहकर ही याद किया जा सकता है. खुद को संभालकर, हिम्मत...
अक्सर देखने में आता है कि जिन महिलाओं के पति गुजर जाते हैं उन्हें समाज के लोग एक अलग नजरिए से देखने लगते हैं. प्रेमिकाओं का तो वैसे भी शादी से पहले अपने प्रेमी पर कोई अधिकार नहीं होता. उन्हें लोग एक हेय दृष्टि से देखते हैं. उसी समाज का दोहरा चेहरा तब देखने को मिलता है जब किसी का साथी शादी (Siddharth Shukla Shehnaz Gill) से पहले गुजर जाता है.
क्या आपने कभी गौर किया है कि इन महिलाओं पर क्या बीतती है...एक तो साथी के असमय निधन से ये सदमें में रहती हैं, उपर से लोगों के ताने उन्हें जीने नहीं देते. लोग तकलीफ तो कम करते नहीं है लेकिन बढ़ा जरूर देते हैं. साथ देते हैं तो सिर्फ सोशल मीडिया पर दिखावे के लिए.
असल में जिस तरह लोग शहनाज गिल को लेकर कॉमेंट कर रहे हैं उसे देखकर गुस्सा आना लाजिमी है. जब शहनाज गिल को लेकर खबरें चल रही थीं तो कई लोगों ने कहा यह सब दिखावा है. सोशल मीडिया के कई यूजर ने शहनाज गिल की बदहवाशी को एक्टिंग बताया. उनका कहना था कि ये सब सिर्फ दो महीने की बातें हैं. दो महीने बाद देखना कैसे ये सब बदलता है.
ऐसे लोगों से एक सवाल पूछना है कि वे क्या चाहते हैं कि शहनाज गिल जीना छोड़ दें या पूरी उम्र रोती रहें? हालांकि उनके फैंस उनके साथ हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि सिद्धार्थ शहनाज की दुनियां थे.
एक तो उन्होंने अपने सबसे करीबी साथी को खोया है उपर से ऐसी बातों से ट्रोल करने का क्या मतलब है. सुनने में आया है कि शहनाज और सिद्धार्थ दिसंबर में शादी करने वाले थे. ऐसे में शहनाज का दिल कितना टूटा हम अंदाजा नहीं लगा सकते... लोग हमेशा महिलाओं से महान बनने की उम्मीद क्यों करते हैं.
क्या किसी को सिर्फ रोते रहकर ही याद किया जा सकता है. खुद को संभालकर, हिम्मत करके अगर कोई महिला आगे बढ़ रही है तो इसमें क्या बुराई है. क्या उसे जीने का हक नहीं. लोग बोल रहे हैं कि पब्लिक का स्नेह पाने के लिए ढोंग है, पॉपुलैरिटी पाने के लिए ढोंग हैं.
इन लोगों के लिए रिश्ते के कोई मायने नहीं होते. क्यों इनका दिल पत्थर का होता है क्या? ग्लैमर ही तो इनके कमाई का जरिया है तो क्या ये अपना काम छोड़ दें, फिर इनका खर्चा कैसे चलेगा? आखिर लोगों जाने बिना जज करने के लिए कुछ लोग इतने उतावले क्यों हो जाते हैं? इसी तरह सुशांत के निधन के बाद लोग अंकिता लोखंडे को अक्सर ट्रोल करते रहते हैं. जबकि दोनों का पांच साल पहले ही ब्रेकअप हो चुका था. दोनों ही अपनी-अपनी लाइफ में आगे बढ़ चुके थे. आज भी लोग अंकिता को सुशांत के प्रेमिका के नाम से याद करते हैं.
वे खुश हों लें तो लोगों को दिक्कत हो जाती है. अपने बॉयफ्रेंड के साथ नजर आ जाएं तो उन्हें जली-कटी सुनाने लगते हैं. आखिर ये लोग क्या चाहते हैं, क्या वो विधवा की तरह जिंदगी जिएं लेकिन क्यों? वो भी तब जब दोनों पांच साल पहले ही अलग हो चुके थे. अंकिता के बाद सुशांत का नाम कृति सेनन, सारा अली खान और रिया चक्रवर्ती के साथ जुड़ चुका था. अंकिता तो सुशांत को भूलीं भी नहीं है लेकिन क्या वे अपनी जिंदगी में आगे ना बढ़ें? उनकी क्या गलती है? क्यों महिलाओं को बार-बार ट्रोल किया जाता है.
क्या वे सती बन जाएं या जीना छोड़ दें. उनके जीने का मतलब ये तो नहीं कि वे अपने साथी को भूल गईं हैं. क्या याद करने का मतलब हर वक्त रोते रहने का दिखावा करना है, हरदम चेहरे पर उदासी रहनी चाहिए? चाहें आम महिला हों या सेलेब्रिटी उनकी जिंदगी कैसे बसर होगी यह फैसला लोग क्यों करते हैं, हौसला देने की बजाय इल्जामों की बारिश या जज करने पर क्यों तुल जाते हैं.
मंदिरा बेदी जैसी मजबूत महिला को भी लोगों ने नहीं छोड़ा. पति राज कौशल के निधन के बाद पहली बार जब जिंदगी को सामान्य करती दिखीं तो लोग उन्हें भी ट्रोल करने लगे? उनका पति के साथ 25 सालों का साथ था. वो अपने पति को ज्यादा जानेंगी या ट्रोल करने वाले? उनके बच्चे हैं, माता-पिता हैं और वे ही कमाने वाली हैं. जब अकेले ही जिम्मेदारियां निभानी हैं तो रास्ता तो तलाशना पड़ेगा.
जब लोगों के घरों में कोई गुजर जाता है तो क्या वो खाना पीना छोड़कर चुपचाप सदमें बैठे रहते हैं? क्या वो भी दुनियां छोड़ देते हैं? नहीं ना, क्योंकि सभी को पता है कि जिंदगी की यही सच्चाई है...पता है बहुत मुश्किल होता है लेकिन जीन तो पड़ेगा. इंसान के सिर पर कई और जिम्मेदारियां होती हैं. परिवार होता है, सभी को देखना पड़ता है. जो लोग सदमें को नहीं बर्दाश्त कर पाते उनके साथ क्या होता है आपको पता है, ऐसे में उन्हें हिम्मत और साथ की जरूरत होता है ना की उनके प्यार को दिखाना बनाने की.
हां यह सच है कि हम जाने वाले को कभी भूल नहीं पाते. उनकी याद तो आती रहती है. उनके लिए प्यार कभी खत्म नहीं होता. लोग उम्मीद करते हैं कि महिलाएं जीवनसाथी के गुजर जाने के बाद हंसना छोड़ दें, हमेशा दुखी दिखें, पहनावा सिंपल कर लें, किसी और को जिंदगी में शामिल ना करें, साधारण जीवन अपना लें...
सीधे शब्दों में जीना ही छोड़ दें...ऐसा लगता है उसके प्यार जाने का गम उससे ज्यादा इन लोगों को है. उनपर शो ऑप का इल्जाम लगाने वाले खुद को देखना भूल जाते हैं...कहना आसान है लेकिन जिसका प्यार दूर होता है उसे ही समझ आता है, इसलिए कुछ बोलने से पहले जरा सोच लिया करें, सामने वाले की तकलीफ का आपको अंदाजा नहीं है...सबको एक ही तराजू में तौलना छोड़ दीजिए...सबका प्यार और दर्द एक ही होता है...शहनाज पहले ही लोगों के दिलों में जगह बना चुकी हैं, उनका दर्द किसी को एक्टिंग कैसे लग सकता है?
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