राजकुमार राव-पत्रलेखा शादी (Rajkummar Rao patralekhaa wedding) के पवित्र बंधन में बंध चुके हैं. अब इस जोड़े की शादी का वीडियो एक खास वजह से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में एक खास ऐसा पल है जिसमें राजकुमार राव पत्रलेखा की मांग भरते हैं. इसके बाद वे इशारे-इशारे में पत्रलेखा से अपने माथे पर सिंदूर (Sindoor) लगाने को कहते हैं. जिसके बाद पत्रलेखा भावुक होती हुई चुटकी भर सिंदूर लेकर राजकुमार के सिर पर लगा देती हैं.
वीडियो सामने आने के बाद राजकुमार राव के सिंदूर लगाने की चर्चा हर तरफ हो रही है. हालांकि यह किसी की अपनी पर्सनल च्वाइस है, ऐसा नहीं है कि सिंदूर लगाने से आप किसी से प्यार करते हैं और ना लगाने से नहीं करते हैं.
वैसे सिंदूर लगाना चाहिए या नहीं इसपर बहस कभी खत्म नहीं हो सकती. कई लोग तो यह भी कहते हैं कि सिर्फ महिलाएं ही पति के लिए सिंदूर, मंगलसूत्र, बिछिया और चूड़ी यानी सुहाग की निशानी क्यों पहनती हैं? पुरुष क्यों नहीं? आप बताइए क्या सिंदूर, बिंदी, लिपिस्टिक, चूड़ी, बिछिया किसी लड़के के ऊपर सूट करेंगी? ये अपने-अपने पहनावे की बात है. आपका मन करे तो सिंदूर लगाइए या मत लगाइए, ये पूरी तरह आपकी मर्जी है.
आज के जमाने में कई महिलाएं सिंदूर लगाती हैं और कई नहीं भी लगाती हैं. किसी को लगता है कि शादीशुदा को सुहागन की तरह रहना चाहिए तो कई को लगता है कि प्यार, सम्मान और गहरे रिश्ते के लिए सिंदूर की जरूरत नहीं है.
कई लोगों को यह पता है कि शादी के बाद सिंदूर से मांग भरते हैं, लेकिन ऐसा महिलाएं क्यों करती हैं? उन्हें इस बारे में ठीक से जानकारी नहीं है. तो चलिए आज हम सिंदूर लगाने के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व के बारे में बात करते हैं. ताकि जब कोई आपसे कहे कि एक...
राजकुमार राव-पत्रलेखा शादी (Rajkummar Rao patralekhaa wedding) के पवित्र बंधन में बंध चुके हैं. अब इस जोड़े की शादी का वीडियो एक खास वजह से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में एक खास ऐसा पल है जिसमें राजकुमार राव पत्रलेखा की मांग भरते हैं. इसके बाद वे इशारे-इशारे में पत्रलेखा से अपने माथे पर सिंदूर (Sindoor) लगाने को कहते हैं. जिसके बाद पत्रलेखा भावुक होती हुई चुटकी भर सिंदूर लेकर राजकुमार के सिर पर लगा देती हैं.
वीडियो सामने आने के बाद राजकुमार राव के सिंदूर लगाने की चर्चा हर तरफ हो रही है. हालांकि यह किसी की अपनी पर्सनल च्वाइस है, ऐसा नहीं है कि सिंदूर लगाने से आप किसी से प्यार करते हैं और ना लगाने से नहीं करते हैं.
वैसे सिंदूर लगाना चाहिए या नहीं इसपर बहस कभी खत्म नहीं हो सकती. कई लोग तो यह भी कहते हैं कि सिर्फ महिलाएं ही पति के लिए सिंदूर, मंगलसूत्र, बिछिया और चूड़ी यानी सुहाग की निशानी क्यों पहनती हैं? पुरुष क्यों नहीं? आप बताइए क्या सिंदूर, बिंदी, लिपिस्टिक, चूड़ी, बिछिया किसी लड़के के ऊपर सूट करेंगी? ये अपने-अपने पहनावे की बात है. आपका मन करे तो सिंदूर लगाइए या मत लगाइए, ये पूरी तरह आपकी मर्जी है.
आज के जमाने में कई महिलाएं सिंदूर लगाती हैं और कई नहीं भी लगाती हैं. किसी को लगता है कि शादीशुदा को सुहागन की तरह रहना चाहिए तो कई को लगता है कि प्यार, सम्मान और गहरे रिश्ते के लिए सिंदूर की जरूरत नहीं है.
कई लोगों को यह पता है कि शादी के बाद सिंदूर से मांग भरते हैं, लेकिन ऐसा महिलाएं क्यों करती हैं? उन्हें इस बारे में ठीक से जानकारी नहीं है. तो चलिए आज हम सिंदूर लगाने के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व के बारे में बात करते हैं. ताकि जब कोई आपसे कहे कि एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो, तब आप उसे जवाब दे सको.
हिंदू धर्म में बिना सिंदूर के शादी अधूरी मानी जाती है, यह तो आप जानते ही होंगे. आपने मोहब्बतें का वो गाना तो सुना होगा जब ऐश्वर्या गाते हुए शाहरुख से कहती हैं कि, 'चुटकी भर सिंदूर से अब ये मांग मेरी भर दो...' वैसे फिल्मों और टीवी सीरियल में सिंदूर का महत्व भर-भर के दिखाया जाता है लेकिन हम दिखावे नहीं असलियत की बात बता रहे हैं.
दरअसल, हिंदू धर्म में सिंदूर लगाने की प्रथा सदियों पुरानी है. रामायण में मां सीता के सिंदूर से मांग भरने का भी उल्लेख किया गया है. कहा जाता है कि मां सीता रोज श्रृंगार करते समय मांग में सिंदूर भरती थीं. एक दिन हनुमान जी ने माता सीता से पूछा कि आप प्रतिदिन सिंदूर क्यों लगाती हैं? तब मां सीता ने कहा था कि, सिंदूर लगाने से भगवान राम प्रसन्न होते हैं और प्रसन्न रहने से शरीर स्वस्थ रहता है और शरीर के स्वस्थ रहने से आयु बढ़ती है. हिंदू धर्म की मानें तो अगर पत्नी बीच मांग में सिंदूर भरती है तो उसके पति की अकाल मृत्यु नहीं होती.
बीच मांग से मतलब है, पूरा भरा हुआ सिंदूर...ना एक चुटकी और ना बालों से छिपाया हुआ. कहा जाता है कि सिंदूर, पति को हर मुसीबत से बचाता है. इतना ही नहीं अगर नवरात्र और दीवाली जैसे त्योहार के दिन पति अपनी पत्नी की मांग में सिंदूर लगाता है तो यह काफी शुभ माना जाता है. ऐसा करने से पती-पत्नी का रिश्ता भी मजबूत होता है.
कई देशों में लाल रंग को अच्छी किस्मत का प्रतीक माना जाता है. हिंदू धर्म में लाल रंग को शुभ माना जाता है. सुहागन महिलाओं के मांग में सिंदूर लगाने से भाग्य बढ़ता है और वैवाहिक जीवन सुखी रहता है. पत्नी की इस सकारात्मक उर्जा का पति के जीवन पर असर पड़ता है. जिससे पति की किस्मत और सेहत दोनों अच्छी रहती है.
पौराणिक कथाओं में सिंदूर के लाल रंग और माता सती की ऊर्जा को भी व्यक्त किया गया है. मान्यता है कि सिंदूर लगाने से माता पार्वती अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देती हैं.
सिंदूर को महिलाओं के सौन्दर्य से भी जो़डकर देखा जाता है. कई लोगों आपने कहते हुए भी सुना होगा कि देखो, कैसे सिंदूर लगाते से ही दुल्हन का चेहरा खिल गया. विवाहित महिलाओं के सिंदूर लगाने से उनकी सुंदरता और बढ़ जाती है. इतना ही नहीं सिंदूर में पारा होने की वजह से चेहरे पर उम्र के निशान यानी जल्दी झुर्रियां नहीं पड़तीं. महिलाओं का चेहरा खूबसूरत लगता है उम्र भी बढ़ती है.
माता लक्ष्मी को भी सिंदूर बहुत प्रिय है. सिंदूर माता लक्ष्मी के सम्मान का भी प्रतीक माना जाता है. मां लक्ष्मी की पूजा करने के लिए भी सिंदूर को जरूर शामिल किया जाता है. माना जाता है कि मां लक्ष्मी पृथ्वी पर सिर्फ पांच स्थानों पर रहती हैं जिसमें पहला स्थान स्त्री के सिर का वह स्थान है जहां वह सिंदूर लगाती है. इसलिए घर में सुख-शांति बनी रहती है. महिलाओं को इसिलए देवी माना जाता है और उनका अपमान करने से मना किया जाता है.
वहीं वैज्ञानिक पक्ष की बात करें तो विवाहित महिलाएं सिर के बीच जहां सिंदूर लगाती हैं, उसे अध्यात्म में ‘ब्रह्मरंध्र’कहा जाता है. इसे एक ग्रंथि के रूप में जाना जाता है. विज्ञान के अनुसार, महिलाओं का ये स्थान बहुत ही नाजुक होता है. सिंदूर में पारा होता है, जिसे लगाने से वह स्थान ठंडा रहता है.
वैज्ञानिक तर्क की मानें तो शादी के बाद महिलाओं की जिंदगी में काफी बदलाव आते हैं. ऐसे में उन्हें तनाव होता है लेकिन सिंदूर में पारा नामक पदार्थ होने की वजह से उनकी टेंशन भी कम हो जाती है. सिंदूर में पारा धातु होता है जिसे लगाने से विधुत ऊर्जा नियंत्रण होती है. इस वजह से नकारात्मकता, सिर दर्द, अनिद्रा और मस्तिष्क से जुड़े सभी रोग भी दूर ही रहते हैं. विज्ञान भी इस बात को मानता है कि शादी के बाद महिलाएं सिंदूर लगा सकती हैं.
हां वैज्ञानिक लाभ लेने के लिए सिंदूर शुद्ध होना चाहिए. पहले जमाने के सिंदूर में एक रस होता था जो फायदेमंद होता है लेकिन आजकल बाजार में नकली सिंदूर का चलन बढ़ गया है, जिसे लगाने से कई महिलाओं को परेशानी भी होती है. यानी जो सिंदूर ज्यादातर बाजार में मिल रहा है वो प्राकृतिक नहीं है.
पहले के सिंदूर में जिसमें पारा यानी मरक्यूरी डाला जाता था जो फायदेमंद होता था. अगर सिंदूर में पारा का इस्तेमाल किया जाएगा तो उसका बहुत अधिक होगा. पारा वाला सिंदूर इतना सस्ता नहीं मिलेगा. हो सकता है कि आप जिस सिंदूर को ओरिजनल मानकर खरीद रही हैं वह नकली है.
अगर सिंदूर नकली होगा तो आपको वह फायदा भी नहीं मिलेगा जो आयुर्वेदिक सिंदूर से मिलता है. आयुर्वेदिक यानी ओरिजनल सिंदूर अनिद्रा, सिर दर्द, झुर्रियों का न पड़ना, मन की शांति, पिट्यूटरी ग्लैंड को स्टिमुलेट कर सकता है. इनता समझ जाइए कि आजकल मार्केट में जो सिंदूर सरेआम बिक रहे हैं प्राचीन काल के सिंदूर जैसे नहीं है.
मतलब साफ है कि सिंदूर लगाने से मिलने वाले लाभ लेने के लिए ध्यान रखें कि वह शुद्ध हो. सिंदूर के बारे में विज्ञान और आयुर्वेद ने जो भी दावे किए हैं वे तभी सही साबित हो सकते हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सिंदूर के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व हो बताना था. अब सिंदूर लगाना या ना लगाना आपकी मर्जी है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.