भाई-बहन का प्यार सारे रिश्तों से अलग होता है. यह पवित्र बंधन (Raksha Bandhan 2021) सच में बहुत खास है. तभी तो जेल में बंद भाइ को राखी को बांधने के लिए बहनें सुबह से पूजा की थाल लिए घंटों धूप में खड़ी रहीं. लाइन में लग कर अपनी बारी आने का इंतजा किया ताकि वे भाई को राखी बांध सकें, उनसे मिल सकें.
यह एक अलग बात है कि बहनों ने अपने भाई प्रेम के लिए ऐसा किया. राखी के बहाने ही सही लेकिन उन्हें जेल में बंद अपने भाई से मिलने का मौका तो मिला. हम यहां जेल में बंद लोगों पर अपराधी होने का इल्जाम नहीं लगा रहे, लेकिन एक बहन के लिए इससे ज्यादा कष्ट की बात क्या होगी कि वह रक्षाबंधन जेल में मना रही है. राखी के दिन भी उसका भाई जेल में है.
हर बहन रक्षाबंधन के दिन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्राथर्ना करती है, दुआ में उसकी सलामती मांगती है. कल्पना कीजिए उस बहन के दिल पर क्या बीती होगी जिसने अपने भाई को जेल में राखी बांधी होगी. अपने भाई को जेल में देखना किस बहन को अच्छा लगेगा?
यह त्योहार कम और तकलीफ ज्यादा होगी, भले ही यह सरकार की अच्छी पहल हो लेकिन भगवान ना करें कि किसी भाई-बहन को यह त्योहार इस तरह मनाना पड़े.
घंटों मील चलकर बहनें जेल के बाहर पहुंची और चिलचिलाती धूप में लाइन में लगी रहीं, इनकी नजरें अपने भाई से मिलने का इंतजार कर रही थीं. वे भाई को देखते ही रो पड़ीं, किसी ने भाई को दो साल बाद देखा तो किसी ने डेढ़ साल बाद. वो आज के दिन अपने भाई से आखिर क्या मांगती. ऐसे हालात का सामना करने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत पड़ती है.
बहनें कड़ी सुरक्षा के बीच भाई से मिल पाती हैं, उनके हांथ पर पुलिस की एक मोहर लगाती है, इस समय तो कोरोना निगेटिव रिपोर्ट की भी जरूरत है. पुलिस...
भाई-बहन का प्यार सारे रिश्तों से अलग होता है. यह पवित्र बंधन (Raksha Bandhan 2021) सच में बहुत खास है. तभी तो जेल में बंद भाइ को राखी को बांधने के लिए बहनें सुबह से पूजा की थाल लिए घंटों धूप में खड़ी रहीं. लाइन में लग कर अपनी बारी आने का इंतजा किया ताकि वे भाई को राखी बांध सकें, उनसे मिल सकें.
यह एक अलग बात है कि बहनों ने अपने भाई प्रेम के लिए ऐसा किया. राखी के बहाने ही सही लेकिन उन्हें जेल में बंद अपने भाई से मिलने का मौका तो मिला. हम यहां जेल में बंद लोगों पर अपराधी होने का इल्जाम नहीं लगा रहे, लेकिन एक बहन के लिए इससे ज्यादा कष्ट की बात क्या होगी कि वह रक्षाबंधन जेल में मना रही है. राखी के दिन भी उसका भाई जेल में है.
हर बहन रक्षाबंधन के दिन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्राथर्ना करती है, दुआ में उसकी सलामती मांगती है. कल्पना कीजिए उस बहन के दिल पर क्या बीती होगी जिसने अपने भाई को जेल में राखी बांधी होगी. अपने भाई को जेल में देखना किस बहन को अच्छा लगेगा?
यह त्योहार कम और तकलीफ ज्यादा होगी, भले ही यह सरकार की अच्छी पहल हो लेकिन भगवान ना करें कि किसी भाई-बहन को यह त्योहार इस तरह मनाना पड़े.
घंटों मील चलकर बहनें जेल के बाहर पहुंची और चिलचिलाती धूप में लाइन में लगी रहीं, इनकी नजरें अपने भाई से मिलने का इंतजार कर रही थीं. वे भाई को देखते ही रो पड़ीं, किसी ने भाई को दो साल बाद देखा तो किसी ने डेढ़ साल बाद. वो आज के दिन अपने भाई से आखिर क्या मांगती. ऐसे हालात का सामना करने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत पड़ती है.
बहनें कड़ी सुरक्षा के बीच भाई से मिल पाती हैं, उनके हांथ पर पुलिस की एक मोहर लगाती है, इस समय तो कोरोना निगेटिव रिपोर्ट की भी जरूरत है. पुलिस की कड़ी निगरानी से होते हुए एक-एक करके वे भाई से मिल पाईं, एक सीमित समय में ही उन्होंने राखी से लेकर अपनी सारी भावना उड़ेल दी, जैसे-तैसे सब निपटाना था. एक सवाल यह भी मन में आता है कि आखिर इन सब में बहनों की क्या गलती थी?
बहन का भाई के लिए प्यार तो समझ आता है, लेकिन उनका कष्ट देखकर तो दिल यही कहता है कि कोई भी भाई अपनी बहन को ऐसे दिन न दिखाए. बात सिर्फ उनकी मेहनत की नहीं है, बात है उस तकलीफ की जो अपने भाई को देखकर उन्हें महसूस हो रही होगी… आज जब वे राखी बांधने के बाद खाली हांथ लौटी होंगी...अपनी आंखों में उदासी के बादल लिए तो क्या सोच रही होंगी? पता नहीं ये बदली छंटेगी या नहीं...कब मुलाकात होगी, शायद अगली राखी!
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