गोरापन किसे नहीं पसंद. दादी-नानी के प्रचीन नुस्खों से लेकर मेडिकल स्टोर वाले भइया तक, हर किसी के पास गोरे करने के अपने अलग हथकंडे हैं. गोरेपन को लेकर हम भारतीयों में दीवानगी इस हद तक है कि, आज हम गोरा होने के लिए मोटा पैसा खर्च करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं. इन्हीं कारणों और 'गोरा होने के तरीकों' के मद्देनजर भारत इस लिहाज से एक बड़ा बाजार है. अप्राकृतिक तरीके का इस्तेमाल कर, क्षणिक गोरापन पाने वाला व्यक्ति एक पल के लिए इंजेक्शन ट्रीटमेंट से लेकर फेयरनस क्रीमों को देखकर खुश तो हो सकता है मगर वो सदा इतना खुश रहे ये कहना थोड़ा मुश्किल है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि इन प्रोडक्ट के इस्तेमाल के दूरगामी परिणाम बेहद घातक हैं.
जी हां, बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. अप्राकृतिक तरीके से व्यक्ति अपने आप को गोरा तो कर सकता है, मगर इसकी कीमत शायद उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ सकती है. इसे पढ़कर भले ही आप हैरत में पढ़ गए हों, मगर ये एक ऐसा सच है जिसे आज के समय में नकारना अपने आप में एक बड़ी भूल है. आज बाजार में काले को गोरा करने वाले जितने भी प्रोडक्ट मिल रहे हैं वो न सिर्फ कैंसर के जनक हैं बल्कि इनसे आपकी किडनी और हार्ट तक फेल हो सकते हैं. कहा जा सकता है कि फेयरनेस प्रोडक्ट का इस्तेमाल करके आप आपकी जान स्वयं जोखिम में डाल रहे हैं.
'हफिंगटन पोस्ट' में छपी एक रिपोर्ट पर यदि यकीन करें तो मिलता है कि, आज भारतीय बाजार में गोरा करने वाली जितनी भी फेयरनेस क्रीम और स्किन ट्रीटमेंट इंजेक्शन उपलब्ध हैं. उन सभी में कई हानिकारक केमिकल के अलावा स्टेरॉयड का प्रचुरता से इस्तेमाल किया जा रहा है. आपको बताते चलें कि लगातार होते...
गोरापन किसे नहीं पसंद. दादी-नानी के प्रचीन नुस्खों से लेकर मेडिकल स्टोर वाले भइया तक, हर किसी के पास गोरे करने के अपने अलग हथकंडे हैं. गोरेपन को लेकर हम भारतीयों में दीवानगी इस हद तक है कि, आज हम गोरा होने के लिए मोटा पैसा खर्च करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं. इन्हीं कारणों और 'गोरा होने के तरीकों' के मद्देनजर भारत इस लिहाज से एक बड़ा बाजार है. अप्राकृतिक तरीके का इस्तेमाल कर, क्षणिक गोरापन पाने वाला व्यक्ति एक पल के लिए इंजेक्शन ट्रीटमेंट से लेकर फेयरनस क्रीमों को देखकर खुश तो हो सकता है मगर वो सदा इतना खुश रहे ये कहना थोड़ा मुश्किल है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि इन प्रोडक्ट के इस्तेमाल के दूरगामी परिणाम बेहद घातक हैं.
जी हां, बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. अप्राकृतिक तरीके से व्यक्ति अपने आप को गोरा तो कर सकता है, मगर इसकी कीमत शायद उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ सकती है. इसे पढ़कर भले ही आप हैरत में पढ़ गए हों, मगर ये एक ऐसा सच है जिसे आज के समय में नकारना अपने आप में एक बड़ी भूल है. आज बाजार में काले को गोरा करने वाले जितने भी प्रोडक्ट मिल रहे हैं वो न सिर्फ कैंसर के जनक हैं बल्कि इनसे आपकी किडनी और हार्ट तक फेल हो सकते हैं. कहा जा सकता है कि फेयरनेस प्रोडक्ट का इस्तेमाल करके आप आपकी जान स्वयं जोखिम में डाल रहे हैं.
'हफिंगटन पोस्ट' में छपी एक रिपोर्ट पर यदि यकीन करें तो मिलता है कि, आज भारतीय बाजार में गोरा करने वाली जितनी भी फेयरनेस क्रीम और स्किन ट्रीटमेंट इंजेक्शन उपलब्ध हैं. उन सभी में कई हानिकारक केमिकल के अलावा स्टेरॉयड का प्रचुरता से इस्तेमाल किया जा रहा है. आपको बताते चलें कि लगातार होते स्टेरॉयड के इस्तेमाल से, आपकी स्किन पतली हो जाती है जिससे उसका टोन गोरा नजर आता है. स्टेरॉयड, आपकी स्किन को पतला करता जाता है जिससे आप गोरे नजर आते हैं और फिर एक समय ऐसा आता है जब आपकी त्वचा और मांस के बीच का अंतर लगभग समाप्त हो जाता है. बताया जाता है कि स्टेरॉयड का सबसे बड़ा अवगुण ये है कि ये स्किन को कब सड़ा दे न ये बात खुद मेडिकल साइंस जानती है और न खुद वो व्यक्ति जो इनका लगातार इस्तेमाल कर रहा है.
त्वचा विशेषज्ञों की माने तो, स्किन के लिए स्टेरॉयड या ये केमिकल किसी नशे के जैसे हैं. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि जैसे, किसी व्यक्ति को हानिकारक ड्रग्स की लत होती है और जब वो उसे नहीं मिलती तो वो बेकाबू हो जाता है. कुछ ऐसा ही हमारी स्किन के साथ भी है. एक बार लेने के बाद त्वचा को स्टेरॉयड की लत लग जाती है और जब व्यक्ति इसे छोड़ता है तो झुर्री पड़ी डार्क स्किन, चकत्ते, पस पड़े दानों के अलावा किडनी और हार्ट फेल हो जाते हैं जिससे व्यक्ति की मौत तक हो सकती है.
आज भारत में लोगों के पास पैसा बहुत है. व्यक्ति के पास जब पैसा ज्यादा होता है तो उसमें कुछ ऐसे शौक अपने आप आ जाते हैं जिनका कोई अर्थ नहीं होता. गोरापन पाना या फिर स्किन केयर भी एक ऐसा ही शौक है. जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों के कारण हम भारतियों का रंग या तो सांवला या फिर गेहुआं होता है. ऐसे होने के पीछे हमारी जेनेटिक कोडिंग एक प्रमुख वजह है और यही हमारे काले या गोरे होने का सबसे अहम कारण हैं.
वैज्ञानिकों की मानें तो मानव जीन में उपस्थित कोड 1000 वर्षों में एक बार बदलते हैं और ये बदलाव भी इतना हल्का होता है कि इसका स्किन कलर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. ऐसे में औरों के बीच गोरा और सुन्दर दिखाने के लिए हम कृतिम रास्ता अपनाते हैं और महंगे स्किन केयर ट्रीटमेंट लेते हैं. इसके अंतर्गत हमारे अन्दर इंजेक्शन से ग्लूटेथिओन प्रवाहित किया जाता है. ग्लूटेथिओन एक डाइट सप्लीमेंट है जो न सिर्फ शरीर को अप्राकृतिक उर्जा देता है बल्कि ये स्किन को ऑक्सीडेशन भी प्रदान करता है, जिससे कुछ समय के लिए स्किन में ग्लो अनुभव किया जाता है.
बताया जाता है कि ग्लूटेथिओन एक बेहद खतरनाक कंपाउंड है जो शरीर से पानी को खीच कर उसे कैलोरी में बदल देता है जिससे व्यक्ति की किडनी प्रभावित होती है. कहा जाता है कि ये कंपाउंड इतना खतरनाक है कि केवल इसकी उपस्थिति से इंसान मर सकता है.
तो क्या ऐसे प्रोडक्ट पर बैन लगना चाहिए
उसूलन इस प्रश्न का उत्तर हां है. मगर बाजार में भारी मांग के चलते और स्वास्थ्य सेवाओं में नजर अन्दाजी के तहत सजा न मिलने के कारण अलग-अलग कंपनियों को लगता है कि वो जैसे भी चाहें लोगों के स्वास्थ्य के साथ खेलें. कहा जा सकता है कि आज कम्पनियां इस बात से परिचित हैं कि उन्हें कोई कुछ कहेगा ही नहीं. देश की सरकार को सुझाव देते हुए बस यही कहा जा सकता है कि वो इस दिशा में गंभीर हो और इन जान लेवा प्रोडक्ट्स पर बैन लगाए साथ ही अगर कोई कंपनी दोषी पाई जाती है तो उस पर कठोर कार्यवाही की जाए.
यदि इन कंपनियों के फलने फूलने की वजहों पर गौर करें तो मिलता है कि, कंपनियां ये भी जानती हैं कि कोई दुर्घटना या इन प्रोडक्ट्स का साइड इफेक्ट होने पर भारत जैसे देश की जनता उसे स्वयं नजरंदाज कर देगी और कोई भी उसका कॉलर पकड़ उससे सवाल करने वाला नहीं रहेगा.
इन ब्यूटी प्रोडक्ट्स से हो जाएं सावधान
शरीर का वास्तविक रंग बदलने की कोई दवा नहीं है. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि यदि आपकी स्किन का टोन कम है तो आप चाहे लाख कुछ कर लें मगर वो कम ही रहेगा. यदि कोई आपसे ये कह रहा है कि 'फलां' प्रोडक्ट के इस्तेमाल से आपकी त्वचा का रंग बदल सकता है और आप गोरे हो सकते हैं तो ये और कुछ नहीं बस आपको छलने का एक माध्यम है. अतः यही कहा जा सकता है कि इससे पहले की बहुत देर हो जाए आपको इन ब्यूटी प्रोडक्ट्स से सावधान हो जाना चाहिए.
अंत में इतना ही की चाहे पुरुष हो या महिला सुन्दरता किसी प्रोडक्ट की मोहताज नहीं है. यदि आपका रंग कम या फिर आपका स्किन टोन हल्का है तो लाख जतन के बाद भी वो हल्का ही रहेगा. ऐसे में यदि आप उसे अप्राकृतिक रूप से गोरा कर लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए प्रयासरत हैं तो ये आपकी एक बड़ी भूल है. आपको जल्द ही संभल जाना चाहिए. कहीं ऐसा न हो कि जब तक आप संभलें बहुत देर हो जाए और आप ये कहें, 'अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत'.
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