पत्नी और प्रेमिका तनाव (stress) देती है इस बारे में आपका क्या कहना है? क्या आपको भी लगता है कि महिलाएं सिर्फ पुरुषों को तनाव देने के लिए जन्म लेती हैं? समझ नहीं आता कि सौरव गांगुली (sourav ganguly) ने यह बात क्या सोचकर कही होगी.
हुआ यूं कि गुड़गांव के इवेंट में किसी ने सौरव गांगुली से पूछा कि वह तनाव का सामना कैसे करते हैं? इस सवाल का सीरियस जवाब देने की बजाय वे मजाक में उड़ा ले गए. हंसते हुए उन्होंने कहा कि 'जीवन में कोई तनाव नहीं है. सिर्फ बीवी और गर्लफ्रेंड ही तनाव देती हैं.' अगर वे अपनी पत्नी की वजह से इतना ही तनावपूर्ण जीवन जी रहे होते को यह बात इतना मुस्कुराकर तो नहीं कहते. तनाव में रहने वाले इंसान को इतनी आसानी ने हंसी कहां आएगी?
अब आप राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (National Family Health Survey) को ही ले लीजिए, जिसे अगर सौरव गालुंली देख लें तो उनका भी दिमाग ठनक जाए. यह सर्वे 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों पर किया गया है. जिसके अनुसार, 30 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने पति के हाथों पिटाई को सही बताया. मतलब एक तो महिला पति से पिटती रहे, घर का सारा काम करती रहे, ससुराल वालों के ताने सुनती रहे, पति की धौंस सहती रहे, बच्चों की देखरेख भी करती रहे लेकिन तनावग्रसित वह नहीं उसके साथ रहने वाले पुरुष हो जाते हैं क्यों? ये कहां का इंसाफ है?
पुरुष तो दिन भर बाहर भी रहते हैं और शायद ही वे दिन में कबी खुद से पत्नी को फोन लगाते हों, घर आते से शायद ही वे कभी बैठकर पत्नी से उसके बारे में बातें करते हों, उन्हें तो घर पर भी खुद को बिजी ही रहना होता है. कभी मोबाइल में तो कभी लैपटॉप में...अपना गुस्सा, अपनी झुंझलाहट भी वे पत्नी पर आसानी से उतार देते हैं फिर एक सॉरी बोलने में भी उन्हें शर्मिदगी लगती है क्योंकि उनका यही मानना होता है कि पुरुष प्रजाति तो ऐसी ही होती है. पत्नी इतने सारे काम करके, उनकी चिंता करके. उनके लिए व्रत करके भी उन्हें तनाव ही देती है. इस हिसाब से देखा जाए...
पत्नी और प्रेमिका तनाव (stress) देती है इस बारे में आपका क्या कहना है? क्या आपको भी लगता है कि महिलाएं सिर्फ पुरुषों को तनाव देने के लिए जन्म लेती हैं? समझ नहीं आता कि सौरव गांगुली (sourav ganguly) ने यह बात क्या सोचकर कही होगी.
हुआ यूं कि गुड़गांव के इवेंट में किसी ने सौरव गांगुली से पूछा कि वह तनाव का सामना कैसे करते हैं? इस सवाल का सीरियस जवाब देने की बजाय वे मजाक में उड़ा ले गए. हंसते हुए उन्होंने कहा कि 'जीवन में कोई तनाव नहीं है. सिर्फ बीवी और गर्लफ्रेंड ही तनाव देती हैं.' अगर वे अपनी पत्नी की वजह से इतना ही तनावपूर्ण जीवन जी रहे होते को यह बात इतना मुस्कुराकर तो नहीं कहते. तनाव में रहने वाले इंसान को इतनी आसानी ने हंसी कहां आएगी?
अब आप राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (National Family Health Survey) को ही ले लीजिए, जिसे अगर सौरव गालुंली देख लें तो उनका भी दिमाग ठनक जाए. यह सर्वे 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों पर किया गया है. जिसके अनुसार, 30 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने पति के हाथों पिटाई को सही बताया. मतलब एक तो महिला पति से पिटती रहे, घर का सारा काम करती रहे, ससुराल वालों के ताने सुनती रहे, पति की धौंस सहती रहे, बच्चों की देखरेख भी करती रहे लेकिन तनावग्रसित वह नहीं उसके साथ रहने वाले पुरुष हो जाते हैं क्यों? ये कहां का इंसाफ है?
पुरुष तो दिन भर बाहर भी रहते हैं और शायद ही वे दिन में कबी खुद से पत्नी को फोन लगाते हों, घर आते से शायद ही वे कभी बैठकर पत्नी से उसके बारे में बातें करते हों, उन्हें तो घर पर भी खुद को बिजी ही रहना होता है. कभी मोबाइल में तो कभी लैपटॉप में...अपना गुस्सा, अपनी झुंझलाहट भी वे पत्नी पर आसानी से उतार देते हैं फिर एक सॉरी बोलने में भी उन्हें शर्मिदगी लगती है क्योंकि उनका यही मानना होता है कि पुरुष प्रजाति तो ऐसी ही होती है. पत्नी इतने सारे काम करके, उनकी चिंता करके. उनके लिए व्रत करके भी उन्हें तनाव ही देती है. इस हिसाब से देखा जाए तब तो पत्नी को मानसिक बीमार होकर भर्ती ही हो जाना चाहिए. पत्नी का अघर दो बार फोन आ जाए कि कहां हो तो पति को टेंशन हो जाती है. पत्नी अगर यह बोल दे कि आज घर जल्दी आ जाना तो पति का दिमाग खराब हो जाता है. भले ही पत्नी के लिए पति पूरी दुनिया ही क्यों ना बन जाएं. ऐसा लगता है कि रिश्ता निभाने की जिम्मेदारी सिर्फ पत्नी की है.
एक तो महिलाएं पति का हाथों प्रताड़ित पिट रही हैं फिर वे पति को परमेश्वर मानकर इसे सही बता रही हैं. सौरव दादा ने यह टिप्पणी भले ही मजाक में कही हो लेकिन यह बात हर महिला के दिल में चुभने वाली.
ये बातें बताती हैं कि असल जीवन में तवान में कौन है महिलाएं या पुरुष? सौरव गांगुली की जगह अगर ये महिलाएं कहती हैं कि हमारे तनाव की वहज पुरुष हैं तो समझ भी आता...और कम से कम इन 30 प्रतिशत महिलाओं को यह कहने का तो पूरा हक है.
वहीं ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के वैज्ञानिकों का कहना है कि महिलाएं लंबे समय तक घर का काम ही करती रहती हैं. इसलिए वे पुरुषों की तुलना में अधिक तनाव में रहती हैं. NFHS का सर्वे बताता है कि ज्यादातर घरों में महिलाओं की हालात दोयम दर्जे की है.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की 75% से अधिक महिलाएं पतियों के हाथों पिटाई को सही मानती हैं. पिटाई की वजह बताती है कि पति की नजरों में उसकी पत्नी की क्या अहमियत है. अगर महिलाएं घर या बच्चों पर ध्यान ने दे पाईं तो पीटी जाएंगी, पति को सेक्स के लिए मना कर दिया तो पीटी जाएंगी, ठीक से खाना न बनाया तो भी पीटी जाएंगी...मतलब बात कोई भी हो पीटी को महिलाएं ही जाएंगी...क्योंकि समाज की नजर में महिलाओं की यही औकात है और सौरव गांगुली कहते हैं कि तनाव की वजह महिलाएं हैं.
वैसे आपकी तसल्ली के लिए बता दें कि शिकागो विश्वविद्यालय की शोध में यह साबित हो चुका है कि कमिटेड रिलेशनशिप या शादीशुदा लोगों में तनाव से संबंधित हार्मोन कम बनता है...लेकिन पतियों ने तो पहले से ही तय कर लिया है कि महिलाओं के साथ कैसे व्यवहार करना है. पति की प्रताजि का यह मानता है कि महिलों को इज्जत देने से उनका मन बढ़ जाता है फिर वे अपनी ड्यूटी सही तरीके से नहीं निभाएंगी.
सौरव गांगुली को ये असलियत जरूर जाननी चाहिए तभी उनकी गलतफैमी दूर होगी कि ज्यादा पीड़ित और तनाव में कौन है? महिलाओं से अगर इतनी ही समस्या है तो फिर ऐसे लोगों को तो शादी ही नहीं करनी चाहिए या फिर गर्लफ्रेंड बनानी ही नहीं चाहिए. पिछले कुछ सालों पर पत्नियों के ऊपर खूब जोक्स बनाए जाते हैं. लोग एक-दूसरे को बीवीयों का मजाक उड़ाते हुए चुटकले भेजते हैं और हंसते हैं. ऐसा करके उनके आत्मा को शांति मिल जाती है. हमें तो ऐसे लोगों की सोच पर ही तरस आती है. पत्नी और प्रेमिका के लिए ऐसी सोच रखने वाले तब रंग बदल लेते हैं जब बात अपनी बेटी या बहन की आती है.
देखिए लोग सौरव गांगुली को कैसे ट्रोल कर रहे हैं-
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.