तीन तलाक के मामले में एक नई बहस ने जन्म लिया है. समाजवादी पार्टी नेता रियाज़ अहमद ने बयान दिया है कि 'तलाक कई स्टेज में दिया जाता है और तीन तलाक कुछ मामलों के लिए ही रखा गया है, उदाहरण के तौर पर अगर पत्नी किसी के साथ गलत संबंध रखे तो पति क्या करेगा? उसे मार देगा या तीन तलाक देकर उससे छुटकारा पाएगा?'. ये बहस भी इस कमेंट की तरह वाहियात है.
ये तो थी रियाज़ अहमद की बातें जो सपा के नेता हैं और तीन तलाक की पैरवी कर रहे हैं. इनकी बातें सुनकर लगता है जैसे तीन तलाक तो बस अल्लाह का दिया हुआ पैगाम है और वो बस इसकी पैरवी कर रहे हैं. जितनी बुरी ये बात लगती है उतनी ही बुरी इसपर लोगों की प्रतिक्रिया भी रही है. इस पोस्ट पर लोगों के कमेंट देखकर लगता है कि ये सिर्फ किसी व्यक्ति विशेष की सोच नहीं है.
यहां कोई इंसान हिंदू होने पर गर्व दिखा रहा है तो उसपर भी विरोध जताया जा रहा है कि आखिर पत्नी अगर किसी तरह की गलत हरकत करेगी तो क्या आप चुप बैठेंगे?
इस मुद्दे पर बहस और भी आगे बढ़ी पर तीन तलाक को सही ठहराने वाले व्यक्ति ने इसे सही ही माना. इसके आगे की बहस और भी दिलचस्प हो चली है.
यहां तो बहुविवाह को भी सही ठहराया जा रहा है. यहां...
तीन तलाक के मामले में एक नई बहस ने जन्म लिया है. समाजवादी पार्टी नेता रियाज़ अहमद ने बयान दिया है कि 'तलाक कई स्टेज में दिया जाता है और तीन तलाक कुछ मामलों के लिए ही रखा गया है, उदाहरण के तौर पर अगर पत्नी किसी के साथ गलत संबंध रखे तो पति क्या करेगा? उसे मार देगा या तीन तलाक देकर उससे छुटकारा पाएगा?'. ये बहस भी इस कमेंट की तरह वाहियात है.
ये तो थी रियाज़ अहमद की बातें जो सपा के नेता हैं और तीन तलाक की पैरवी कर रहे हैं. इनकी बातें सुनकर लगता है जैसे तीन तलाक तो बस अल्लाह का दिया हुआ पैगाम है और वो बस इसकी पैरवी कर रहे हैं. जितनी बुरी ये बात लगती है उतनी ही बुरी इसपर लोगों की प्रतिक्रिया भी रही है. इस पोस्ट पर लोगों के कमेंट देखकर लगता है कि ये सिर्फ किसी व्यक्ति विशेष की सोच नहीं है.
यहां कोई इंसान हिंदू होने पर गर्व दिखा रहा है तो उसपर भी विरोध जताया जा रहा है कि आखिर पत्नी अगर किसी तरह की गलत हरकत करेगी तो क्या आप चुप बैठेंगे?
इस मुद्दे पर बहस और भी आगे बढ़ी पर तीन तलाक को सही ठहराने वाले व्यक्ति ने इसे सही ही माना. इसके आगे की बहस और भी दिलचस्प हो चली है.
यहां तो बहुविवाह को भी सही ठहराया जा रहा है. यहां ये कहा जा रहा है कि दूसरी बीवी को भी उतना ही हक दिया जाता है जितना पहली बीवी को और जितना बाकी सबको.
यहां जनाब इस बात की पैरवी कर रहे हैं कि एक महिला के एक से ज्यादा पति नहीं हो सकते क्योंकि अगर उसे बच्चा होगा तो ये कैसे पता चलेगा कि वो आखिर किसका बच्चा है.
यहां भी महिलाओं पर तीन तलाक थोपने की बात हो रही है.
ये बहस जितनी आगे बढ़ती गई उतने ही विचलित कर देने वाले कमेंट्स लोगों के मिलते गए. लोग तीन तलाक को सही ठहरा रहे हैं क्योंकि वो इस्लाम के नियम कायदे के अनुसार है और ये सोच भी नहीं रहे कि ये इंसानियत को कहां लेकर आएगा. लोग ये तर्क दे रहे हैं कि अगर किसी की पत्नी ऐसा करेगी तो वो क्या करेगा, लेकिन अगर कोई पति ये करे तो? तब बीवी के पास क्या तीन तलाक देने का हक है? नहीं बिलकुल नहीं. वो अपनी मर्जी से इतनी आसानी से अलग नहीं हो सकती, तो पति को क्यों? क्यों पति किसी कोर्ट के चक्कर नहीं लगा सकता तलाक देने के लिए? ये मामला तो दोनों के लिए होगा ना.
यहां तो बहस का विषय ही बदल दिया गया है. जहां तक मुझे याद है वहां तीन तलाक का मुद्दा उठाया ही ऐसी महिलाओं के लिए गया था जिन्हें उनके पति वॉट्सएप पर, चिट्ठी लिखकर या फोन करके तीन तलाक दे देते हैं, किसी महिला को रोटी खराब बनाने के चलते तलाक दिया जाता है तो किसी को लड़की पैदा करने के चलते. बहस तो इस बात पर हो रही थी कि जिन महिलाओं के साथ अन्याय हो रहा था उनका क्या किया जाएगा और उन्हें क्यों इस प्राचीन प्रथा का मुजरिम बनना पड़े. ऐसी महिलाएं कहीं किसी के साथ गलत संबंध नहीं बना रही होतीं. वो कहीं किसी पुरुष की बेवफाई का शिकार हो जाती हैं. तीन तलाक के मुद्दे को महिलाओं के लिए उठाया गया था और इस बहस को एकदम पलट कर महिलाओं के चरित्र पर सवाल उठाना वाकई वाहियात है.
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