मजबूत महिला की पहचान (Strong women sign) क्या होती है? मजबूती से हमारा मतलब सिर्फ बलवान शरीर से नहीं है. यहां मजबूत होने का मतलब मानसिक मजबूती से भी है. आप किसी महिला को देखकर क्या तय कर पाते हैं कि वह ‘स्ट्रांग वुमेन’ की कैटेगरी में आती है या नहीं. मान लीजिए कोई महिला गाड़ी चला रही है तो उसे देखकर हमारे मन में एक विचार आता है?
वहीं एक महिला बिना पुरुष साथी कहीं जाती नहीं, और दूसरी अकेली चल पड़ती है. अब आप बताइये, दोनों में से किसे स्ट्रांग महिला की श्रेेणी में रखा जाएगा? चलिए महिलाओं की कुछ ऐसी ही बातों के बारे में आपको बताते हैं जिसे देखकर लोग यह मानते हैं कि कौन सी महिला मजबूत है...
जो महिला सोलो ट्रिप पर जा सकती है और बाइक भी चला सकती है
ये दोनों की काम भले ही छोटे लगते हैं कि अरे इसमें कौन सी बड़ी बात है लेकिन जब बात घर की महिला की आती है लोगों के विचार एकदम बदल जाते हैं. बाइक चलानी हो या अकेले ट्रिप पर जाना हो, मजबूत महिला इन दोनों कामों को चुनौती दे सकती है. हम किसी महिला को बाइक चलाते और उसके पिछली सीट पर पति को बैठे देखते हैं तो लगता है महिलाओं ने अपने आपको यहां तक तो बदल ही डाला है. वहीं जब अकेले ट्रेवल करने की बात होती है तो घरवालों का सबसे पहला सवाल यही रहता है कि लड़की जाति अकेले बाहर कैसे जाएगी लेकिन एक मजबूत महिला के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है. उसे ट्रिप पर जाने के लिए किसी का साथ ही जरूरत नहीं होती है.
वो महिला जो फालतू लोगों के लिए किसी क्रुएला से कम नहीं
आपने सुना होगा कि यार उस महिला के पास भी मत जाना वरना वो वॉट लगा देगी. उनकी पर्सनैलिटी इतनी तेज होती है कि फालतू लोगों को अपने पास फटकने भी...
मजबूत महिला की पहचान (Strong women sign) क्या होती है? मजबूती से हमारा मतलब सिर्फ बलवान शरीर से नहीं है. यहां मजबूत होने का मतलब मानसिक मजबूती से भी है. आप किसी महिला को देखकर क्या तय कर पाते हैं कि वह ‘स्ट्रांग वुमेन’ की कैटेगरी में आती है या नहीं. मान लीजिए कोई महिला गाड़ी चला रही है तो उसे देखकर हमारे मन में एक विचार आता है?
वहीं एक महिला बिना पुरुष साथी कहीं जाती नहीं, और दूसरी अकेली चल पड़ती है. अब आप बताइये, दोनों में से किसे स्ट्रांग महिला की श्रेेणी में रखा जाएगा? चलिए महिलाओं की कुछ ऐसी ही बातों के बारे में आपको बताते हैं जिसे देखकर लोग यह मानते हैं कि कौन सी महिला मजबूत है...
जो महिला सोलो ट्रिप पर जा सकती है और बाइक भी चला सकती है
ये दोनों की काम भले ही छोटे लगते हैं कि अरे इसमें कौन सी बड़ी बात है लेकिन जब बात घर की महिला की आती है लोगों के विचार एकदम बदल जाते हैं. बाइक चलानी हो या अकेले ट्रिप पर जाना हो, मजबूत महिला इन दोनों कामों को चुनौती दे सकती है. हम किसी महिला को बाइक चलाते और उसके पिछली सीट पर पति को बैठे देखते हैं तो लगता है महिलाओं ने अपने आपको यहां तक तो बदल ही डाला है. वहीं जब अकेले ट्रेवल करने की बात होती है तो घरवालों का सबसे पहला सवाल यही रहता है कि लड़की जाति अकेले बाहर कैसे जाएगी लेकिन एक मजबूत महिला के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है. उसे ट्रिप पर जाने के लिए किसी का साथ ही जरूरत नहीं होती है.
वो महिला जो फालतू लोगों के लिए किसी क्रुएला से कम नहीं
आपने सुना होगा कि यार उस महिला के पास भी मत जाना वरना वो वॉट लगा देगी. उनकी पर्सनैलिटी इतनी तेज होती है कि फालतू लोगों को अपने पास फटकने भी नहीं देती. मजबूत महिलाओं के अंदाज में एक रोब होता है इसलिए अगर कोई उनसे पंगा लेना चाहता भी है तो खुद को एक कदम पीछे ले लेता है. अगर गलती ने किसी ने उन्हें छेड़ दिया तो तब तो समझो उसकी शामत ही आई. वो आंखें ऐसे तरेंरेगी कि सामने वाले की नजरें नीची हो जाएं.
वो महिला जो किसी भी परिस्थिती में घबराती नहीं है
वो महिलाएं जो मुसीबत आने पर भी हिम्मत नहीं हारतीं. वो महिलाएं जिनकी शादी टूट जाए या ब्रेकअप हो जाए, परिवार में कोई गुजर जाए तो भी हालात से घबराती नहीं हैं. वे हिम्मत दिखाते हुए परिवार को संभाल लेती हैं और जिंदगी जीना नहीं भूलतीं.
जो महिला रूढ़िवादी सोच को बदलने की क्षमता रखती है
कई महिलाओं को अपनी जिंदगी अपनी घरवालों के हिसाब से ही जीना पड़ता है. लेकिन आज की मजबूत महिला अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीती है. वह बाहर भले ही काम करती है लेकिन रसोई में पति की मदद लेने में झिझक नहीं करती. वह अपन लाइफ को खुलकर जीने में यकीन रखती है. जो रूढ़िवादी सोच को बदलने के लिए आवाज उठाती है. जिसमें यह बताया गया है कि महिलाओं को ही सारी घर की जिम्मेदारी उठानी चाहिए.
जो महिला फाइनेंशियली खुद पर डिपेंड रहती है
एक महिला तभी मजबूत हो सकती है जो अपना खर्चा खुद उठाने की ताकत रखती हो. तभी वह आत्मनिर्भर रह सकती है. जो महिला घऱ के पेपर से लेकर बैंक का फॉर्म खुद भर सकती है. जो किसी कागजाती काम के लिए किसी के ऊपर निर्भर नहीं रहती. वह जॉब करती है और खुद अपनी जिंदगी की बॉस होती है.
जो महिला अपने फैसले खुद लेती है
किसी महिला को शादी करनी है या नहीं करनी है. बच्चे करने है या नहीं करने हैं, तलाक लेना है या दूसरी शादी करनी है, नौकरी बदलनी है या उसे कहां पढ़ना है, किस क्षेत्र में नौकरी करनी है या किसी सहेली के घर जाना है... हमारे कहने का मतलब यह है कि जो अपने जीवन से जुड़े सारे फैसले खुद ले सकती है. हो सकता है कि वह फेल हो जाए लेकिन वह हर स्थिति के लिए खुद को तैयार रखती है.
जो महिला अपने लिए आवाज उठाना जानती है
जो महिला अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा सकती है. जो अपने ऊपर हो रहे जुर्म को सहन नहीं करती है. जो अपने अधिकारों की बात करती है. वह महिला मानसिक रूप से काफी मजबूत होती है. मजबूत महिला न पति के दबाव में खुद को मॉडर्न दिखाने के लिए न जींस पहनेगी ना ही पति के कहने पर खुद को साड़ी में बांधेगी.
जो महिला अपनी भावना को व्यक्त करना जानती है
जो महिला अपना भावनाओं को बिना दिल में बोझ लिए बोलने की क्षमता रखती हो. जो यह खुलकर बोल सके कि चाहें बात प्यार के जिक्र की हो या दूरी बनाने की. जो अपनी इच्छा और अनिच्छा दोनों खुलकर बता सके. अगर कोई महिला खुद की इच्छा के लिए बोलना सीख गई वह हमेशा खुश रहेगी और उसका परिवार भी खुश रहेगा.
जो महिला खुद को परेफेक्ट दिखाने की प्रेशर नहीं लेती है
पति की चाय में चीनी तो कम नहीं होगी. सासू मां ने कहा है अब तो खाना बनाना आना ही चाहिए. खुद को जिंदा रखने के लिए यह एक बेसिक गुण है जो सभी को सीखना चाहिए चाहें पुरुष हो या महिला लेकिन असलियत क्या है यह आपको भी पता है. कीजिए सब कीजिए लेकिन अपने बारे में सोचना मत भूल जाइए क्योंकि ऐसा कौन है जिसमें कोई कमी नहीं है. कुछ महिलाएं खुद को हर चीज में परफेक्ट दिखाने के प्रेशर में जीती हैं लेकिन एक मजबूत महिला को पता होता है कि दुनिया में कुछ भी परफेक्ट नहीं है. कमियां सबमें होती हैं. इसलिए यह सोचना छोड़ दीजिए कि कल बिरयानी खराब हो गई तो मेहमानों के सामने आपकी बेइज्जती हो जाएगी.
वो महिला जो खुद के लिए जीती हैं
मजबूत महिला जिंदगी को खुलकर जीना जानती हैं. वह खुद को सिर्फ घर तक बांध कर नहीं रख सकतीं. वे खुद को बदलने की कोशिश करती रहती हैं. वे कुछ ना कुछ नया सीखते रहती हैं. वे खुद को सिर्फ किचन तक समेट कर नहीं रखतीं, उन्हें होममेकर कहलाना पसंद है. वे बाहर घूमने भी जाती हैं और जिंदगी को खुल कर जीती भी हैं. बच्चे और पति उनकी जिंदगी हैं लेकिन वे खुद को भी याद रखती हैं.
ऐसी बहुत सी छोटी-छोटी बातें हैं जो एक मजबूत महिला की निशानी होती है. ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ शहर की महिलाएं ही मजबूत होती है. गांव की महिलाएं भी माडर्न और मजबूत होती हैं. मजबूत महिला अकेले में रो सकती है लेकिन बच्चों के सामने उसकी आवाज कड़क ही निकलती है. वह अपने परिवार का खर्च भी चला सकती है और दुश्मनों का सामना भी कर सकती है.
मजबूत महिला दुनिया की परवाह न करके सबसे पहले अपने बारे में सोचती है...यानी उसकी प्रायोरिटी वह खुद होती है. वह अपने कल को बेहतर बनाने की कोशिश करती है लेकिन किसी के दबाव की वजह से नहीं बल्कि खुद की खुशी के लिए...
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