दसवीं, बारहवीं के रिजल्ट आ चुके हैं. कुछ टॉपर नए भविष्य के सपनों में खोए हैं तो एक बदनसीब टॉपर वो भी है जो जेल की सलाखों के पीछे हवा खा रहा है. खैर. हमारा मुद्दा ये नहीं है कि किसने टॉप किया, कैसे किया, किस सब्जेक्ट में किया वगैरह-वगैरह. हम बात कर रहे हैं दसवीं के बाद के करियर ऑप्शन की.
दसवीं के बाद ज्यादातर बच्चे या तो इंजीनियरिंग की तरफ मुड़ जाते हैं या फिर डॉक्टरी की ओर. लेकिन हम आपको एक चौंकाने वाला आंकड़ा बताने जा रहे हैं जिसके बारे में हमने शायद ही सोचा होगा. ये तो हर किसी को पता है कि IIT और ITI में सिर्फ अल्फाबेट्स के हेरफेर का ही अंतर नहीं है बल्कि IIT में पढ़ने वाले काबिल और ITI करने वालों पर नालायक का लेबल रेडीमेड चिपका हुआ आता है.
लेकिन अब ये सीन बिल्कुल बदल चुका है. अब 90 प्रतिशत नंबर लाने वाले बच्चे भी आईटीआई का रूख कर रहे हैं. हालांकि आईटीआई में एडमिशन के लिए दसवीं फेल के बच्चों भी अप्लाई कर सकते हैं, लेकिन बीते सालों में ये संख्या कम होती जा रही है. पिछले साल दसवीं में 80 प्रतिशत से ज्यादा नंबर लाने वाले 2000 से ज्यादा छात्रों ने आईटीआई का दामन थामा.
ये और बात है कि आईटीआई में एडमिशन लेने वाले ज्यादातर छात्रों की संख्या उनकी है जिन्हें 50-60 प्रतिशत नंबर आए हों. फैक्टरियों में कामगारों की बढ़ती मांग को देखकर आज के छात्रों के लिए आईटीआई एक अच्छा और नौकरी की गारंटी वाला करियर ऑप्शन बन गया है. भारत सरकार के एपेरेन्टिस एक्ट में आईटीआई पास करने वाले छात्रों के लिए नौकरी सुनिश्चित करने की सुविधा है.
पिछले कुछ सालों में इंजीनियरिंग के छात्रों की नौकरी और उसकी अनिश्चितता के कारण इस सेक्टर की तरफ से लोगों का मोहभंग होता जा रहा है. यहां तक कि बेरोजगार इंजीनियरों की बढ़ती संख्या...
दसवीं, बारहवीं के रिजल्ट आ चुके हैं. कुछ टॉपर नए भविष्य के सपनों में खोए हैं तो एक बदनसीब टॉपर वो भी है जो जेल की सलाखों के पीछे हवा खा रहा है. खैर. हमारा मुद्दा ये नहीं है कि किसने टॉप किया, कैसे किया, किस सब्जेक्ट में किया वगैरह-वगैरह. हम बात कर रहे हैं दसवीं के बाद के करियर ऑप्शन की.
दसवीं के बाद ज्यादातर बच्चे या तो इंजीनियरिंग की तरफ मुड़ जाते हैं या फिर डॉक्टरी की ओर. लेकिन हम आपको एक चौंकाने वाला आंकड़ा बताने जा रहे हैं जिसके बारे में हमने शायद ही सोचा होगा. ये तो हर किसी को पता है कि IIT और ITI में सिर्फ अल्फाबेट्स के हेरफेर का ही अंतर नहीं है बल्कि IIT में पढ़ने वाले काबिल और ITI करने वालों पर नालायक का लेबल रेडीमेड चिपका हुआ आता है.
लेकिन अब ये सीन बिल्कुल बदल चुका है. अब 90 प्रतिशत नंबर लाने वाले बच्चे भी आईटीआई का रूख कर रहे हैं. हालांकि आईटीआई में एडमिशन के लिए दसवीं फेल के बच्चों भी अप्लाई कर सकते हैं, लेकिन बीते सालों में ये संख्या कम होती जा रही है. पिछले साल दसवीं में 80 प्रतिशत से ज्यादा नंबर लाने वाले 2000 से ज्यादा छात्रों ने आईटीआई का दामन थामा.
ये और बात है कि आईटीआई में एडमिशन लेने वाले ज्यादातर छात्रों की संख्या उनकी है जिन्हें 50-60 प्रतिशत नंबर आए हों. फैक्टरियों में कामगारों की बढ़ती मांग को देखकर आज के छात्रों के लिए आईटीआई एक अच्छा और नौकरी की गारंटी वाला करियर ऑप्शन बन गया है. भारत सरकार के एपेरेन्टिस एक्ट में आईटीआई पास करने वाले छात्रों के लिए नौकरी सुनिश्चित करने की सुविधा है.
पिछले कुछ सालों में इंजीनियरिंग के छात्रों की नौकरी और उसकी अनिश्चितता के कारण इस सेक्टर की तरफ से लोगों का मोहभंग होता जा रहा है. यहां तक कि बेरोजगार इंजीनियरों की बढ़ती संख्या को देखकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इंजीनियरिंग कॉलेजों को बंद कर आईटीआई सेंटर खोलने की बात तक कह डाली थी.
देश में रोजगार की समस्या कोई नई बात नहीं है. लेकिन टेक्निकल फील्ड में रोज घटती जॉब सिक्योरिटी ने सबको अलग-अलग करियर ऑप्शन खंगालने पर मजबूर कर रही है. आईटीआई करने वाले छात्रों में जॉब की मौजूदा सिक्योरिटी को देखते हुए ये एक देर आए दुरुस्त आए वाला कदम साबित हो सकता है.
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