मेरा हाल भी अंजलि जैसा होता...यह कहना है दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) का. नहीं यह आसान नहीं है. भगवान ना करे कि जिस तरह अंजलि को 12-13 किलोमीटर कार से घसीटा गया वैसा किसी और लड़की के साथ हो. स्वाति मालीवाल के साथ बदसलूकी हुई है और इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है, क्योंकि आखिरकार हैं तो वे एक लड़की ही. छे़ड़खानी करने वालों को लगता है कि लड़की है तो छेड़ा जा सकता है...लड़की है क्या कर लेगी? लड़की है मतलब कमजोर है? लड़की है कहां जाएगी?
मामला तब सामने आया जब स्वाति मालीवाल ने ट्वीट किया कि "कल देर रात मैं दिल्ली में महिला सुरक्षा के हालात Inspect कर रही थी. एक गाड़ी वाले ने नशे की हालत में मुझसे छेड़छाड़ की और जब मैंने उसे पकड़ा तो गाड़ी के शीशे में मेरा हाथ बंद कर मुझे घसीटा. भगवान ने जान बचाई. यदि दिल्ली में महिला आयोग की अध्यक्ष सुरक्षित नहीं, तो हाल सोच लीजिए."
रिपोर्ट्स के अनुसार, बुधवार रात करीब 3 बजे स्वाति मालीवाल दिल्ली महिला सुरक्षा के हालातों का जायजा ले रही थीं. कुछ खबरें ऐसी भी हैं कि मालीवाल एक न्यूज चैनल के साथ मिलकर एक स्टिंग ऑपरेशन कर रही थीं कि रात में लड़कियों के लिए दिल्ली कितनी सुरक्षित है. बहरहाल घटना एम्स के गेट नंबर दो के पास की है. एक बलेनो कार ड्राइवर ने उन्हें गंदे इशारे कर छेड़खानी की. उसने स्वाति मालीवाल को गंदी नीयत से कार में बैठने को कहा. उन्होंने मना कर दिया. इसके बाद वह कुछ दूर जाकर दोबारा मुड़ा और उन्हें फिर से गाड़ी में बैठने को कहने लगा. उसने शराब पी रखी थी. जब मालीवाल ने उसे फटकारा तो उसने गाड़ी का शीशा ऊपर कर लिया, उसमें उनका हाथ फंस गया. गाड़ी वाले ने उन्हें 10 से 15 मीटर तक घसीटा. चैनल वालों ने इस पूरे वीडियो को शूट किया, जो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है. हालांकि, वीडियो में देखा जा सकता है कि 10-15 मीटर घसीटे जाने वाली बात बढ़ा चढ़ाकर कही गई है. दिल्ली पुलिस ने कहा कि दस मिनट के भीतर ही...
मेरा हाल भी अंजलि जैसा होता...यह कहना है दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) का. नहीं यह आसान नहीं है. भगवान ना करे कि जिस तरह अंजलि को 12-13 किलोमीटर कार से घसीटा गया वैसा किसी और लड़की के साथ हो. स्वाति मालीवाल के साथ बदसलूकी हुई है और इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है, क्योंकि आखिरकार हैं तो वे एक लड़की ही. छे़ड़खानी करने वालों को लगता है कि लड़की है तो छेड़ा जा सकता है...लड़की है क्या कर लेगी? लड़की है मतलब कमजोर है? लड़की है कहां जाएगी?
मामला तब सामने आया जब स्वाति मालीवाल ने ट्वीट किया कि "कल देर रात मैं दिल्ली में महिला सुरक्षा के हालात Inspect कर रही थी. एक गाड़ी वाले ने नशे की हालत में मुझसे छेड़छाड़ की और जब मैंने उसे पकड़ा तो गाड़ी के शीशे में मेरा हाथ बंद कर मुझे घसीटा. भगवान ने जान बचाई. यदि दिल्ली में महिला आयोग की अध्यक्ष सुरक्षित नहीं, तो हाल सोच लीजिए."
रिपोर्ट्स के अनुसार, बुधवार रात करीब 3 बजे स्वाति मालीवाल दिल्ली महिला सुरक्षा के हालातों का जायजा ले रही थीं. कुछ खबरें ऐसी भी हैं कि मालीवाल एक न्यूज चैनल के साथ मिलकर एक स्टिंग ऑपरेशन कर रही थीं कि रात में लड़कियों के लिए दिल्ली कितनी सुरक्षित है. बहरहाल घटना एम्स के गेट नंबर दो के पास की है. एक बलेनो कार ड्राइवर ने उन्हें गंदे इशारे कर छेड़खानी की. उसने स्वाति मालीवाल को गंदी नीयत से कार में बैठने को कहा. उन्होंने मना कर दिया. इसके बाद वह कुछ दूर जाकर दोबारा मुड़ा और उन्हें फिर से गाड़ी में बैठने को कहने लगा. उसने शराब पी रखी थी. जब मालीवाल ने उसे फटकारा तो उसने गाड़ी का शीशा ऊपर कर लिया, उसमें उनका हाथ फंस गया. गाड़ी वाले ने उन्हें 10 से 15 मीटर तक घसीटा. चैनल वालों ने इस पूरे वीडियो को शूट किया, जो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है. हालांकि, वीडियो में देखा जा सकता है कि 10-15 मीटर घसीटे जाने वाली बात बढ़ा चढ़ाकर कही गई है. दिल्ली पुलिस ने कहा कि दस मिनट के भीतर ही आरोपी को पकड़ लिया गया. यह भी पता चला है कि वह शराब के नशे में था.
इस पूरे मामले में आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं, लेकिन जो बात सबसे खरी है वो ये कि नशे में देर रात ड्राइविंग कर रहा एक शख्स किस कदर खतरनाक हो सकता है. ऐसे में महिलाएं कहां से सुरक्षित होंगी. स्वाती मालीवाल भले एक स्टिंग के लिए देर रात घर से बाहर निकली हों, लेकिन उन्होंने उन महिलाओं की पीड़ा को तो सामने ला ही दिया, जो किसी मजबूरी में देर रात घर से बाहर निकलना पड़े. किसी आम महिला के साथ जब रात में ऐसा कोई हादसा होता है तो लोग उसी पर ही उंगली उठा देते हैं कि वह इतनी रात बाहर क्या कर रही थी? यानी महिलाओं को सुरक्षित रहना है तो वे घरों से बाहर निकलना ही छोड़ दें.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.