नींद ज्यादा आए तो भी दिक्कत और न आए तो भी दिक्कत. दिन भर ऑफिस में बैठे-बैठे उबासी लेने वाले लोग जब रात में सोने जाते हैं तो उन्हें नींद नहीं आती, कुछ लोगों को नींद बार-बार खुलने की तकलीफ होती है तो कुछ के लिए इन्सॉम्निया काल बन जाता है, तो कई नींद में चलने की बीमारी से ग्रसित रहते हैं. इन सबके अलावा भी कुछ तरह की कंडीशन होती हैं जहां लोग नींद में कुछ भी कर बैठते हैं और उन्हें पता ही नहीं चलता. कभी किसी को टेक्स्ट मैसेज भेज देते हैं, कभी खाना खा लेते हैं नींद में, तो कभी किसी को थप्पड़ मार देते हैं.
ये कंडीशन कहलाती है पैरासॉम्निया. नैश्नल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक इस कंडीशन से दुनिया के 10% लोग ग्रसित होते हैं. इसके दो स्टेज होते हैं. पहला REM स्लीप में. REM स्लीप स्टेज तब आती है जब इंसान को सोए हुए करीब 90 मिनट हो जाते हैं. पहला स्टेज लगभग 10 मिनट तक चलता है. जैसे-जैसे सोए हुए वक्त बढ़ता जाता है वैसे-वैसे REM स्लीप का समय भी बढ़ता है. इंसान के दिल की घड़कन तेज हो जाती है और सासें भी तेज चलने लगती हैं. इस दौरान बड़े गहरे सपने आते हैं. दिमाग ज्यादा एक्टिव रहता है.
पैरासॉम्निया का दूसरा स्टेज होता तब जब इंसान बहुत गहरी नींद में हो. पेनसिल्वेनिया के पीएचडी किए हुए प्रोफेसर फिलिप गहर्मेन का कहना है कि ये दो अहम कारणों से होता है. एक तो नींद की कमी और दूसरा स्ट्रेस के कारण.
पैरासॉम्निया के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं और इसके लक्षण भी कुछ अलग हैं...
1. नींद में चलना..
नींद में चलना या स्लीपवॉकिंग एक तरह का पैरासॉम्निया ही है. एक आम तरह की घारणा नींद में चलने वालों के बारे में है कि वो जो सपने में देख रहे हैं वो काम कर रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. नींद में चलना स्टेज 3 वाली नींद में होता है, इसलिए नींद में चलने वाले को...
नींद ज्यादा आए तो भी दिक्कत और न आए तो भी दिक्कत. दिन भर ऑफिस में बैठे-बैठे उबासी लेने वाले लोग जब रात में सोने जाते हैं तो उन्हें नींद नहीं आती, कुछ लोगों को नींद बार-बार खुलने की तकलीफ होती है तो कुछ के लिए इन्सॉम्निया काल बन जाता है, तो कई नींद में चलने की बीमारी से ग्रसित रहते हैं. इन सबके अलावा भी कुछ तरह की कंडीशन होती हैं जहां लोग नींद में कुछ भी कर बैठते हैं और उन्हें पता ही नहीं चलता. कभी किसी को टेक्स्ट मैसेज भेज देते हैं, कभी खाना खा लेते हैं नींद में, तो कभी किसी को थप्पड़ मार देते हैं.
ये कंडीशन कहलाती है पैरासॉम्निया. नैश्नल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक इस कंडीशन से दुनिया के 10% लोग ग्रसित होते हैं. इसके दो स्टेज होते हैं. पहला REM स्लीप में. REM स्लीप स्टेज तब आती है जब इंसान को सोए हुए करीब 90 मिनट हो जाते हैं. पहला स्टेज लगभग 10 मिनट तक चलता है. जैसे-जैसे सोए हुए वक्त बढ़ता जाता है वैसे-वैसे REM स्लीप का समय भी बढ़ता है. इंसान के दिल की घड़कन तेज हो जाती है और सासें भी तेज चलने लगती हैं. इस दौरान बड़े गहरे सपने आते हैं. दिमाग ज्यादा एक्टिव रहता है.
पैरासॉम्निया का दूसरा स्टेज होता तब जब इंसान बहुत गहरी नींद में हो. पेनसिल्वेनिया के पीएचडी किए हुए प्रोफेसर फिलिप गहर्मेन का कहना है कि ये दो अहम कारणों से होता है. एक तो नींद की कमी और दूसरा स्ट्रेस के कारण.
पैरासॉम्निया के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं और इसके लक्षण भी कुछ अलग हैं...
1. नींद में चलना..
नींद में चलना या स्लीपवॉकिंग एक तरह का पैरासॉम्निया ही है. एक आम तरह की घारणा नींद में चलने वालों के बारे में है कि वो जो सपने में देख रहे हैं वो काम कर रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. नींद में चलना स्टेज 3 वाली नींद में होता है, इसलिए नींद में चलने वाले को जगाना मुश्किल होता है और ये बहुत खतरनाक भी साबित हो सकता है. नींद में चलने वालों को दूसरे दिन उदासी, आलस, चिड़चिड़ापन और इन्सॉम्निया भी हो सकता है.
2. बातें करना या चिल्लाना..
ये काफी आम है. ठंड में अक्सर लोग नींद में बोलते हैं. इसके अलावा, टीनएजर भी अक्सर नींद में बोलते हैं या चिल्लाते हैं. कई बार लोग नींद में उठकर बैठ जाते हैं, उनकी आंखें खुली होती हैं, लेकिन वो गहरी नींद में सो रहे होते हैं. ये अक्सर बच्चों के साथ होता है. नींद में डर जाना भी काफी कॉमन है. इसे बुरे सपनों से नहीं जोड़ना चाहिए.
3. मैसेज भेजना...
नींद में किसी को टेक्स्ट मैसेज भेजना चौंकाने वाला जरूर है, लेकिन ये सच है. पर खुद ही सोचिए कितने लोग अलार्म में आधी नींद में भी स्नूज बटन का इस्तेमाल करते हैं.
विलानोवा यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक 300 बच्चों में से 25 से 35% ने ये माना कि वो नींद में टेक्स्ट मैसेज भेज चुके हैं. ये इंसान के लिए खतरनाक तो नहीं, लेकिन हां इसके कारण शर्मिंदगी जरूर हो सकती है.
4. गाड़ी चलाना..
यूनिवर्सिटी ऑफ मिनासोटा के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी के असोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर माइकल हौवेल का कहना है कि कुछ non-REM पैरासॉम्निया काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं. उनके पास कुछ समय पहले एक मरीज आया था जो नींद में चलते-चलते कार ड्राइव करने लगा था. उसकी नींद तब खुली जब कार पेड़ से टकरा गई थी.
उसने सोने के लिए नींद की गोली ली थी. नींद की गोली लेने से non-REM पैरासॉम्निया के लक्षण बढ़ जाते हैं. ड्रग्स के कारण आप सोते रहते हैं, जब्कि शरीर को जागना होता है.
5. खाना बनाना और खाना...
प्रोफेसर फिलिप गहर्मेन के अनुसार वो एक ऐसी महिला को जानते हैं जो किचन में जाकर कच्चे प्याज सेब समझकर खा जाती थी. जागने पर उसे कुछ याद नहीं रहता था. स्लीप ईटिंग भी इसी के अंतरगत आता है. कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि नींद में खाने वाले हमेशा कैलोरी से भरपूर खाना खाते हैं या फिर ऐसा खाना जिसमें कोई न्यूट्रिशन नहीं होते. इससे वजन बढ़ सकता है, दांतों की समस्या हो सकती है या चोट भी लग सकती है.
6. सेक्स करना...
स्लीप सेक्स या सेक्ससॉम्निया एक ऐसी बीमारी है जो सुनने में जितनी अजीब लगती है असल में होती भी है. एक रिसर्च के मुताबिक 8% लोग इस बीमारी से ग्रसित होते हैं. ये मर्दों में तीन गुना ज्यादा होता है. इसमें हस्थमैथुन से लेकर सेक्स तब सब कर लेते हैं.
7. अपने सपनो को हकीकत बनाना...
जहां ये लाइन फिल्मी लगेगी वहीं सच्चाई इससे कुछ अलग है. असल में ये काफी खतरनाक साबित हो सकता है. कई बार नींद में सपनो में जो करते हैं वो हकीकत में कर रहे होते हैं. चाहें दौड़ना हो, चाहें आग जलाना हो, या किसी को मारना हो. कई बार नींद में हमारी नसें पैरालाइज हो जाती हैं ताकि कोई ऐसी हरकत न हो सके, लेकिन फिर भी कई बार शरीर में नसें पैरालाइज नहीं हो पाती हैं और इससे काफी समस्या खड़ी हो जाती है.
अगर किसी को ऊपर दिए गए लक्षणों में से कुछ भी किसी के साथ हो रहा है तो एक बार डॉक्टर से सलाह लेना सही रहेगा.
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