सोशल मीडिया पर कई कहानियां ऐसी आती हैं जो कई दिनों तक हमारे दिमाग में घूमती रहती हैं. ऐसी ही एक फोटो वायरल हुई ट्रांसजेंडर के न्यूज़ पढ़ने की जिसे देख हर कोई हैरान रह गया. बात ही ऐसी थी क्योंकि न्यूज़ पढ़ने वाली एंकर का नाम तश्नुवा अनान शिशिर है. जो बांग्लादेश की पहली ट्रांसजेंडर न्यूज एंकर बनकर एक नया मुकाम हासिल किया है. तमाम ऐसे लोगों को लाइफ में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है जो कभी हालात तो कभी समाज की वजह से हार मान लेते हैं. लेकिन आपको क्या लगता है, क्या एक ट्रांसजेंडर से एंकर बनने का सफर आसान रहा होगा?
जिस समाज में आज भी ट्रांसजेंडर और LGBTQ (Lesbian, gay, bisexual, and transgender) को सामान्य नजरों से नहीं देखा जाता. लोग इन्हें ऐसे देखते हैं जैसे ये किसी दूसरे ग्रह से आए हों. lgbtq को जल्दी कोई काम पर भी नहीं रखना चाहता. दुनिया की तो छोड़ जो अपने घरवाले ही इन्हें अपनाने से इनकार कर देते हैं. चलिए आपको अब तश्नुवा अनान की कहानी बताते हैं.
समाज और परिवार में अपने सम्मान के लिए लड़ने वाली तश्नुवा अनान की इस तस्वीर के पीछे लंबा संघर्ष छिपा है. कॉन्फिडेंस से लबरेज तश्नुवा के दर्द को समझना भी एक तरह का सम्मान ही है. जब तश्नुवा ने बांग्लादेश की आजादी के 50वें साल में जब पहली बार न्यूज पढ़ा तो भले दिल में सुकून था लेकिन मुस्कुराते चेहरे के पीछे वो दर्द और आंसू भी थे जो इन्होंने इतने सालों में सहा था. जिस शख्स ने बड़ी मेहनत और दर्द झेलने के बाद सफलता पाई हो वो अपने संघर्ष के दिनों को याद जरूर करता है.
1- तश्नुवा को एक दिन अपने अंदर कुछ अलग महसूस हुआ कि शायद वह दूसरों से अलग है. इस...
सोशल मीडिया पर कई कहानियां ऐसी आती हैं जो कई दिनों तक हमारे दिमाग में घूमती रहती हैं. ऐसी ही एक फोटो वायरल हुई ट्रांसजेंडर के न्यूज़ पढ़ने की जिसे देख हर कोई हैरान रह गया. बात ही ऐसी थी क्योंकि न्यूज़ पढ़ने वाली एंकर का नाम तश्नुवा अनान शिशिर है. जो बांग्लादेश की पहली ट्रांसजेंडर न्यूज एंकर बनकर एक नया मुकाम हासिल किया है. तमाम ऐसे लोगों को लाइफ में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है जो कभी हालात तो कभी समाज की वजह से हार मान लेते हैं. लेकिन आपको क्या लगता है, क्या एक ट्रांसजेंडर से एंकर बनने का सफर आसान रहा होगा?
जिस समाज में आज भी ट्रांसजेंडर और LGBTQ (Lesbian, gay, bisexual, and transgender) को सामान्य नजरों से नहीं देखा जाता. लोग इन्हें ऐसे देखते हैं जैसे ये किसी दूसरे ग्रह से आए हों. lgbtq को जल्दी कोई काम पर भी नहीं रखना चाहता. दुनिया की तो छोड़ जो अपने घरवाले ही इन्हें अपनाने से इनकार कर देते हैं. चलिए आपको अब तश्नुवा अनान की कहानी बताते हैं.
समाज और परिवार में अपने सम्मान के लिए लड़ने वाली तश्नुवा अनान की इस तस्वीर के पीछे लंबा संघर्ष छिपा है. कॉन्फिडेंस से लबरेज तश्नुवा के दर्द को समझना भी एक तरह का सम्मान ही है. जब तश्नुवा ने बांग्लादेश की आजादी के 50वें साल में जब पहली बार न्यूज पढ़ा तो भले दिल में सुकून था लेकिन मुस्कुराते चेहरे के पीछे वो दर्द और आंसू भी थे जो इन्होंने इतने सालों में सहा था. जिस शख्स ने बड़ी मेहनत और दर्द झेलने के बाद सफलता पाई हो वो अपने संघर्ष के दिनों को याद जरूर करता है.
1- तश्नुवा को एक दिन अपने अंदर कुछ अलग महसूस हुआ कि शायद वह दूसरों से अलग है. इस मंजिल तक पहुंचने के लिए तश्नुवा ने कई परेशानियों का सामना किया जिसमें एक यौन हिंसा भी है. वह कई सालों तक लगातार यौन हिंसा का शिकार हुईं क्योंकि उन्हें चुप रहने की धमकी दी जाती थी.
2- तश्नुवा के अनुसार हालात ऐसी हो गई थी कि कई बार सुसाइड करने का भी ख्याल आया लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. जब इंसान हर तरफ से हार जाता है और जीना मुश्किल हो जाता है तो बस एक ही रास्ता नजर आता है, लेकिन तश्नुवा ने हार नहीं मानी. लाइफ में कितने ही गम क्यों ना हो मन में कभी खुदकुशी का ख्याल भी नहीं लाना चाहिए.
3- तश्नुवा की लाइफ में परेशानियां बढ़ती ही जा रही थीं. जिस समय वो खुद से सामना नहीं कर पा रही थीं उसी वक्त पिता ने बात करनी बंद दी. इसके बाद तश्नुवा के माता-पिता ने उन्हें घर से बाहर जाने को भी कह दिया. वह पड़ोसियों के सामने खड़ी भी नहीं रह सकती थीं, क्योंकि पड़ोसी उनके बारे में अलग तरह की बातें करते थे. आखिरकार तश्नुवा को घऱ छोड़ना ही पड़ा, क्योंकि उनके पास और कोई दूसरा रास्ता बचा नहीं था.
4- तश्नुवा ने घर तो छोड़ दिया लेकिन अपने जज्बे को नहीं छोड़ा. वह ढाका आईं और यहां अकेले ही रहने लगीं. इसके बाद वह नारायणगंज चली गईं जहां हार्मोन थेरेपी लेने के बाद थियेटर में काम करने लगीं. इसके साथ ही अपनी पढ़ाई जारी रखी और पब्लिक हेल्थ में मास्टर डिग्री हासिल करने वाली पहली ट्रांसजेंडर बन गईं.
5- तश्नुवा की लाइफ तब बदली जब उन्हें न्यूज एंकर के ऑडिशन के लिए बुलाया गया. इसके पहले भी तश्नुवा ने कई चैनलों में बात की थी लेकिन उन लोगों ने तो साफ मना कर दिया. ऑडिशन के लिए बुलाने वाला चैनल भी तश्नुवा को एंकर बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. यह तश्नुवा की मेहनत ही थी कि बिना किसी बैकग्राउंड डिग्री और एक्सपीरियंस के वह आखिरकार एंकर बन गईं.
6- तश्नुवा ने जब पहला बुलेटिन खत्म किया तो लोग तालियां बजा रहे थे. तश्नुवा ने उस पिता का नाम रोशन किया जिसने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया. खुशी के इस पल में तश्नुवा की आंखें भर आईं. तश्नुवा का मानना है कि 'किसी भी ट्रांसजेंडर के साथ वो ना हो जो मेरे साथ हुआ'. समाज में रहने वाले हर इंसान को उसकी काबिलियत के आधार पर काम मिले.
तश्नुवा जैसे ना जाने कितने लोग अपनी शारीरिक बनावट, रंग-रूप के आधार पर भेदभाव का शिकार होते हैं और संघर्ष करते हैं. समाज में बराबरी और अपने अधिकार के लिए ऐसे लोगों को आज भी स्ट्रगल करना पड़ रहा है. क्या आपको नहीं लगता कि तश्नुवा जैसे लोगों को भी समाज में जीने का उतना ही हक है जितना हमारा और आपका.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.