दो अलग-अलग घरों की एक कहानी है लेकिन अंजाम अलग-अलग है. एक परिवार ने बेटे की खुशी-खुशी किन्नर से शादी करवाई तो दूसरे लड़के के घरवालों ने किन्नर बहू को घर से बाहर निकाल दिया. एक की सास देखकर खुश हुई तो वहीं दूसरी की सास बहू को देखते ही बेहोश हो गई.
हम यहां प्यार के दो जोड़ों की बात कर रहे हैं. दोनों लड़कों को अलग-अलग किन्नर से प्यार हुआ, शादी की लेकिन किसी को परिवार का साथ मिला तो किसी को दुत्कार. एक परिवार ने बेटे और किन्नर बहू को अपना लिया तो दूसरे ने घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया. कहानी एक लेकिन दोनों के प्यार का अंजाम अलग हुआ.
प्यार की राह आसान नहीं होती, ना ही हर बार अंजाम सुखद होता है. मंजिल मिलने से पहले हजार मुश्किलें आती हैं, कोई हार मानकर मजबूरी में दूर हो जाता है तो कोई अपने प्यार को पाने के लिए जान लगा देता है. जब प्यार किसी से किन्नर से हो तब तो आप कल्पना कीजिए कि क्या होता है.
हमारे समाज में भले बातें बड़ी-बड़ी की जाएं, लेकिन आज भी ऐसे लोग हैं जो किन्नर को हीन भावना से देखते हैं. उन्हें दूj से भले नमस्ते कर लें लेकिन जब बात अपनाने की आती है तो जैसे भूकंप आ जाता है.
वैसे तो कहा जाता है कि प्यार में कुछ मायने नहीं रखता लेकिन जब बात किन्नर की आती है तो इसे प्यार नहीं कुछ और ही माना जाता है. इस पर एक सीरियल भी प्रसारित होता था, ‘शक्ति अस्तित्व के एहसास की...’ इन दोनों कहानियों में समाज का अंतर साफ दिखता है.
पहली कहानी
महाराष्ट्र में जब एक नौजवान दूल्हे ने शादी की तो लोग चर्चा करने लगे, क्योंकि दुल्हन कोई लड़की नहीं बल्कि ट्रांसजेंडर थी. दोनों ने घरवालों के आशीर्वाद के साथ लव कम अरेंज मैरिज की थी. यह...
दो अलग-अलग घरों की एक कहानी है लेकिन अंजाम अलग-अलग है. एक परिवार ने बेटे की खुशी-खुशी किन्नर से शादी करवाई तो दूसरे लड़के के घरवालों ने किन्नर बहू को घर से बाहर निकाल दिया. एक की सास देखकर खुश हुई तो वहीं दूसरी की सास बहू को देखते ही बेहोश हो गई.
हम यहां प्यार के दो जोड़ों की बात कर रहे हैं. दोनों लड़कों को अलग-अलग किन्नर से प्यार हुआ, शादी की लेकिन किसी को परिवार का साथ मिला तो किसी को दुत्कार. एक परिवार ने बेटे और किन्नर बहू को अपना लिया तो दूसरे ने घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया. कहानी एक लेकिन दोनों के प्यार का अंजाम अलग हुआ.
प्यार की राह आसान नहीं होती, ना ही हर बार अंजाम सुखद होता है. मंजिल मिलने से पहले हजार मुश्किलें आती हैं, कोई हार मानकर मजबूरी में दूर हो जाता है तो कोई अपने प्यार को पाने के लिए जान लगा देता है. जब प्यार किसी से किन्नर से हो तब तो आप कल्पना कीजिए कि क्या होता है.
हमारे समाज में भले बातें बड़ी-बड़ी की जाएं, लेकिन आज भी ऐसे लोग हैं जो किन्नर को हीन भावना से देखते हैं. उन्हें दूj से भले नमस्ते कर लें लेकिन जब बात अपनाने की आती है तो जैसे भूकंप आ जाता है.
वैसे तो कहा जाता है कि प्यार में कुछ मायने नहीं रखता लेकिन जब बात किन्नर की आती है तो इसे प्यार नहीं कुछ और ही माना जाता है. इस पर एक सीरियल भी प्रसारित होता था, ‘शक्ति अस्तित्व के एहसास की...’ इन दोनों कहानियों में समाज का अंतर साफ दिखता है.
पहली कहानी
महाराष्ट्र में जब एक नौजवान दूल्हे ने शादी की तो लोग चर्चा करने लगे, क्योंकि दुल्हन कोई लड़की नहीं बल्कि ट्रांसजेंडर थी. दोनों ने घरवालों के आशीर्वाद के साथ लव कम अरेंज मैरिज की थी. यह कमाल की लव स्टोरी मनमाड जैसे छोटे से शहर में रहने वाली महंत शिवलक्ष्मी और येवले के संजय झाल्टे की है. दोनों ने नागपुर के एक प्राचीन नागेश्वर महादेव मंदिर में शादी की. दोनों की कहानी टिक-टॉक से शुरू हुई. संजय ने शिवलक्ष्मी को टिक टॉक पर फॉलो किया था. दोनों की दोस्ती के बाद मेलजोल बढ़ने लगा और धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में बदल गई. प्यार के बाद दोनों अपने रिलेशनशिप को लेकर गंभीरता से सोचने लगे और इस रिश्ते को आगे बढ़ाने का फैसला किया.
दोनों ही पढ़े-लिखे हैं, शिवलक्ष्मी ने एमए बीएड की पढ़ाई पूरी की है तो वहीं संजय 12वीं तक पढ़े हैं और आगे की पढ़ाई जारी रखे हुए हैं. वैलेंटाइन डे के मौके पर संजय ने शिवलक्ष्मी को प्रपोज किया और दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. उन दोनों के सबसे बड़ा डर था कि समाज और परिवार को कैसे मनाया जाए.
दोनों ने अपने घरवालों के साथ बैठकर इस पर बात की और उन्हें दुनिया के बदलाव और अपने रिश्ते की अहमियत को समझाया. परिवार के लोगों ने उनकी भावनाओं समझा और शादी के लिए मान गए. इसके बाद दोनों की शादी परंपरागत रीति रिवाजों ले साथ संपन्न हई. साथ ही दोनों ने लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए बहुत कम लोगों को इस शादी में शामिल किया.
शिवलक्ष्मी का कहना है कि “भारतीय संस्कृति में लड़की शादी के बाद अपने पति के घर ससुराल जाती है. मुझे कभी नहीं लगा था कि मुझे एक बहू के रूप में स्वीकार किया जाएगा, लेकिन हम दोनों के परिवार ने समाज के सभी रूढ़ी परंपराओं से ज्यादा हमारे रिश्ते को अहमियत दी. मुझे अपने नाम की तरह सही मायने में एक लक्ष्मी के रूप के स्वीकारा. ये सब एक सपने की तरह है. जाहिर है में बहुत खुश हूं.”
सिर्फ इतना ही नहीं संजय के घरवाले खुद शिवलक्ष्मी के घर उनका हाथ मांगने के लिए गए थे. जिसके बाद शिवलक्ष्मी के भाई ने भी तुरंत मंजूरी दे दी. अब दोनों साथ में एक नॉर्मल कपल की तरह जींदगी जी रहे हैं.
वहीं संजय का मानना हैकि हमें पता है कि समाज के सभी लोग इस रिश्ते का समर्थन नहीं करेंगे लेकिन मेरे लिए हमारा परिवार ही समाज है. हम लोगों के विरोध पर ध्यान नहीं देते हैं, हम जानते हैं कि हमारा बच्चा नहीं हो सकता, अभी तो हम अपनी लाइफ जी रहे हैं अगर लगा भविष्य में एक एक बच्चा गोद ले लेंगे.
दूसरी कहानी
यह मामला सासाराम जिले के करगहर का है. यहां गोलू नाम के लड़के को किन्नर से प्यार हो गया. असल में गोलू पहले एक नाच पार्टी में काम करता था. इसी बीच उसकी मुलाकात पानापुर की रहने वाली किन्नर नंदनी से प्यार में पड़ गया. दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खाईं और शादी कर ली. उन्हें पता था कि उन्हें समाज के लोग नहीं अपनाएंगे इसलिए वे घर नहीं आए.
गोलू अपनी किन्नर पत्नी नंदनी के साथ करगहर में एक किराए के मकान में रह रहा था. जब घरवालों को इस बात की जानकारी लगी तो वे बेटे पर दबाव बनाने लगे कि वो किन्नर बहू से अलग हो जाए, लेकिन जब किसी तरह बात नहीं बनी तो वे लोग अपने बेटे को बातें बनाकर घर ले आए. नंदनी को जब पता चला तो वो पति को खोजते हुए अपने ससुराल पहुंच गई. जहां बहू के रूप में किन्नर को देखते ही उसी सास बेहोश हो गई.
नंदनी पानी छिड़कर सास हो होश में लाने की कोशिश की लेकिन जब सास को होश आया तो उसने बहू को घर से बाहर निकाल दिया. परिवार वाले किसी भी शर्त पर अपनी बहू को स्वीकार करने को तैयार नहीं हुए. अब इसे आप चाहे समाज का डर कहें या लोकलाज. इसके बाद बेटा भी अपनी पत्नी के साथ ही चला गया.
इन दोनों सच्ची घटनाएं हैं, जिनसे साफ पता चलता है कि समाज में हर तरह की सोच वाले लोग रहते हैं. एक वो जो दुनिया की परवाह करते हैं और खुद सुखी नहीं रहते. दूसरे वो जो समाज का सोचते जरूर हैं लेकिन अपने प्रगतिशील विचारों के साथ लाइफ में आगे बढ़ते हैं और खुश रहते हैं. क्या किन्नर इंसान नहीं होते, फिर आज भी उन्हें ज्यादातर लोग छोटी नजरों से क्यों देखते हैं...
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