तीखे नैन-नक्श, गोरा-चिट्टा रंग, दुल्हन सा मेकअप, बेहतरीन कपड़े कुल मिलाकर टीवी पर खबर पढ़ने वाली कोई भी लड़की बेहद खूबसूरत होती है. वो जितनी खूबसूरत होती है उससे कहीं ज्यादा आकर्षक टीवी पर दिखती है. वो पढ़ी-लिखी होती है. उस खूबसूरत चेहरे का दिमाग भी तेज होता है. वो अपनी बुद्दिमानी से प्रभावित करती है. अपनी तर्क शक्ति से घाघ नेताओं की बोलती बंद करती है.
आजकल महिलाएं टीवी न्यूज की दुनिया में पुरूषों से बाजी मार रही हैं. पुरुष भी जैसे होते हैं, उससे कहीं आकर्षक बनाकर उन्हें टीवी पर पेश किया जाता है. आकर्षक और खूबसूरत दिखने वाले महिला पुरुष एंकर किसी भी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों से ज्यादा पढ़ते-लिखते हैं, मेहनत करते हैं. पल-पल बदलती दुनिया के प्रत्येक घटनाक्रम से खुद को जोड़े रखते हैं. ये सब करना एंकर्स की व्यवासायिक बाध्यता होती है. लेकिन इससे भी कहीं ज्यादा जिस मोर्चे पर एंकर्स को जूझना पड़ता है वो है उनकी निजी जिन्दगी.
घर में बच्चा बीमार हो, बूढ़े माता-पिता में से किसी को डॉक्टर को दिखाना हो, पति या पत्नी से भयंकर झगड़ा हुआ हो, कोई आर्थिक तंगी हो, खुद की सेहत को लेकर कोई परेशानी, कुछ भी हो, अगर एंकरिंग करनी है तो दिमाग को चुस्त-दुरुस्त करना ही होगा. तमाम समस्याओं को भूल जाना होगा. पढ़-लिखकर एंकरिंग के लिए सज-संवर कर बैठ जाना होगा. और अपनी परेशानियों की शिकन भी मेकअप के पीछे छिपा लेनी होगी. जरा सोचिए ये काम कितना मुश्किल है. लेकिन आपको करना ही है. नहीं किया या जरा सी गलती की तो नौकरी जाने से कम में बात नहीं बनती. बॉस नर्मदिल हुआ तो नौकरी नहीं लेगा लेकिन एंकरिंग तो जरूर छीन लेगा.
ये सब इसलिए कहना पड़ा क्योंकि एक खबर ने झकझोर कर रख दिया. रायपुर में एक टीवी न्यूज एंकर सुरप्रीत कौर ने ब्रेकिंग न्यूज में अपने पति की मौत की खबर पढ़ी. एंकर सुरप्रीत कौर छत्तीसगढ़ के न्यूज चैनल आईबीसी-24 में काम करती हैं. शनिवार सुबह वह रोजाना की तरह ऑफिस आईं और न्यूज पढ़ने लगी. इसी दौरान महासमु्ंद जिले के पिथौरा में हुए एक सड़क हादसे...
तीखे नैन-नक्श, गोरा-चिट्टा रंग, दुल्हन सा मेकअप, बेहतरीन कपड़े कुल मिलाकर टीवी पर खबर पढ़ने वाली कोई भी लड़की बेहद खूबसूरत होती है. वो जितनी खूबसूरत होती है उससे कहीं ज्यादा आकर्षक टीवी पर दिखती है. वो पढ़ी-लिखी होती है. उस खूबसूरत चेहरे का दिमाग भी तेज होता है. वो अपनी बुद्दिमानी से प्रभावित करती है. अपनी तर्क शक्ति से घाघ नेताओं की बोलती बंद करती है.
आजकल महिलाएं टीवी न्यूज की दुनिया में पुरूषों से बाजी मार रही हैं. पुरुष भी जैसे होते हैं, उससे कहीं आकर्षक बनाकर उन्हें टीवी पर पेश किया जाता है. आकर्षक और खूबसूरत दिखने वाले महिला पुरुष एंकर किसी भी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों से ज्यादा पढ़ते-लिखते हैं, मेहनत करते हैं. पल-पल बदलती दुनिया के प्रत्येक घटनाक्रम से खुद को जोड़े रखते हैं. ये सब करना एंकर्स की व्यवासायिक बाध्यता होती है. लेकिन इससे भी कहीं ज्यादा जिस मोर्चे पर एंकर्स को जूझना पड़ता है वो है उनकी निजी जिन्दगी.
घर में बच्चा बीमार हो, बूढ़े माता-पिता में से किसी को डॉक्टर को दिखाना हो, पति या पत्नी से भयंकर झगड़ा हुआ हो, कोई आर्थिक तंगी हो, खुद की सेहत को लेकर कोई परेशानी, कुछ भी हो, अगर एंकरिंग करनी है तो दिमाग को चुस्त-दुरुस्त करना ही होगा. तमाम समस्याओं को भूल जाना होगा. पढ़-लिखकर एंकरिंग के लिए सज-संवर कर बैठ जाना होगा. और अपनी परेशानियों की शिकन भी मेकअप के पीछे छिपा लेनी होगी. जरा सोचिए ये काम कितना मुश्किल है. लेकिन आपको करना ही है. नहीं किया या जरा सी गलती की तो नौकरी जाने से कम में बात नहीं बनती. बॉस नर्मदिल हुआ तो नौकरी नहीं लेगा लेकिन एंकरिंग तो जरूर छीन लेगा.
ये सब इसलिए कहना पड़ा क्योंकि एक खबर ने झकझोर कर रख दिया. रायपुर में एक टीवी न्यूज एंकर सुरप्रीत कौर ने ब्रेकिंग न्यूज में अपने पति की मौत की खबर पढ़ी. एंकर सुरप्रीत कौर छत्तीसगढ़ के न्यूज चैनल आईबीसी-24 में काम करती हैं. शनिवार सुबह वह रोजाना की तरह ऑफिस आईं और न्यूज पढ़ने लगी. इसी दौरान महासमु्ंद जिले के पिथौरा में हुए एक सड़क हादसे की खबर आई तो सुरप्रीत ने एक ब्रेकिंग न्यूज पढ़ी. ये खबर उनके पति की मौत की खबर थी. महासमुंद के एनएच-353 पर लहरौद पड़ाव गांव के पास पांच लोग डस्टर कार से रायपुर लौट रहे थे. कार हादसे का शिकार हो गई और तीन लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. दो की स्थिति गंभीर है.
हालांकि जब सुरप्रीत अपने रिपोर्टर से लाइव बात कर रही थीं तब उन्हें पति के एक्सीडेंट का नहीं पता था लेकिन डस्टर कार और पांच लोगों का कार में होना उन्हें आशंकित कर गया. न्यूज पढ़ने के बाद उन्होंने घर फोन करके कंफर्म किया और फूट-फूटकर रोने लगीं.
देखिए वीडियो-
अब आप अंदाजा लगाइए क्या गुजरी होगी इस एंकर पर. ऐसे कई किस्से न्यूज इंडस्ट्री में हुए हैं. एंकर्स की जिन्दगी जितनी आसान लगती है उससे कहीं ज्यादा मुश्किल और कठिन होती है. हम एंकर्स के माता-पिता भी जानते हैं कि एंकरिंग करते समय हमें फोन ना किया जाए और वो लोग कभी करते भी नहीं हैं. गलती से मिल भी जाए तो तुरंत काट देते हैं. लेकिन सोचिए एक के बाद एक दस फोन अगर घर से आ जाएं और ऑन एयर होने पर एंकर वो फोन उठा भी नहीं पाए तो कलेजा बैठ जाता है. फिर अगर ब्रेक में मौका मिले और ये पता चले कि पिताजी काफी सीरियस हैं और मां को दरकार है एक एंबुलेंस की जो पिता को फौरन अस्पताल पहुंचाना चाहती हैं, लेकिन उसके लिए भी एंकर को इंतजार करना पड़ता है और तभी ब्रेक खत्म हो जाता है, और एंकर तुरंत न्यूज पढ़ने लगता है. उसका चेहरा पिता की गंभीर स्थिति जानते हुए भी सामान्य हो जाता है, वो चर्चा में आए गेस्ट से बात करने लगता है. खैर ब्रेक खत्म होने पर दूसरे एंकर को फोन किया जाता है उसके आने तक अपने भावों को छुपाकर सामान्य दिखते हुए खबर पढ़ती रहनी पढ़ती है. ये हुआ था मेरे अजीज आजतक के एंकर संजीव चौहान के साथ.
आजतक में हमारे बॉस सुप्रिय प्रसाद कई बार पुरानी यादों का जिक्र करते हुए उपहार कांड की खबर बताते हैं कि कैसे उपहार अग्नि कांड की खबर पढ़ते समय एसपी सिंह रो पड़े थे. उपहार कांड की रिपोर्टिंग करते समय अलका सक्सेना भी रोई थीं. संजय पुगलिया एसपी की डेथ की खबर पढ़ते समय खुद पर काबू नहीं कर पाए थे. उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. दीपक चौरसिया लातूर में भूकंप की रिपोर्टिंग करते-करते इतने विचलित हुए कि बस उनके आंसू नहीं निकले लेकिन दीपक चौरसिया की रिपोर्टिंग देखने वाले तक गमगीन हो गए थे. दीपक बमुश्किल अपने आंसू रोक पाए थे.
एंकर्स के अपने आप पर काबू नहीं कर पाने की कुछ घटनाएं दूरदर्शन और आकाशवाणी में भी हुईं हैं. इंदिरा गांधी की हत्या की खबर पढ़ते समय जेवी रमण का गला रूंध गया था. इसी खबर को जब अंग्रेजी में तेजेश्वर पढ़ रहे थे तो उनका भी यही हाल हुआ था. इंदिरा गांधी की हत्या की खबर सलमा सुल्तान से भी नहीं पढ़ी जा रही थी. आकाशवाणी पर इंदिरा गांधी की खबर पढ़ते हुए अशोक वाजपेयी की आवाज भर्रा गई थी. पाकिस्तान के एक एंकर स्कूल पर आतंकवादी हमले की रिपोर्टिंग करते समय एक पाकिस्तानी एंकर फूट-फूट कर रोई थी. सिर्फ एंकर्स ही नहीं न्यूज रूम में काम करने वाले हर शख्स की स्थिति कभी-कभी ऐसी होती है.
एक घटना हमारे चैनल में भी हुई थी. माधवराव सिंधिया के हैलिकॉप्टर क्रैश की जब खबर आई तो आजतक के स्टाफ ने इसे पहले एक नेता की खबर के रूप में लिया लेकिन कुछ ही देर में जब पता चला कि उसी हैलिकॉप्टर में हमारे दो साथी पॉलिटिकल रिपोर्टर रंजन झा और कैमरामैन गोपाल सिंह बिष्ट की भी मृत्यु हो गई है तो पूरा आजतक गमगीन था, स्टाफ की आंखों में आंसू थे लेकिन टीवी पर खबर चल रही थी. बहुत सारे लोग रो रहे थे लेकिन साथ ही काम करना उनकी मजबूरी भी थी. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि टीवी न्यूज चैनल में काम करने वाले हर इंसान के जीवन में कभी ना कभी ऐसा कोई ना कोई पल जरूर आया होगा.
अपने ही पति की मौत की खबर पढ़ना दिल दहला देती है. पत्रकारिता में विषम परिस्थितियों में काम करना पड़ता है. एंकर, रिपोर्टर, प्रोड्यूसर, टेक्निकल स्टाफ को अपनी भावनाओं पर काबू रख कर काम करना पड़ता है. लेकिन आज आईबीसी की एंकर के साथ जो हुआ उसने पूरी टीवी न्यूज इंडस्ट्री को झकझोर कर रख दिया है.
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