पहला मामला-
एक 16 साल की एक टीवी एक्ट्रेस को साथी कलाकार को किस करने के लिए कहा गया. एक्ट्रेस की मां ने जब हंगामा किया तो उसे शो से निकाला जा रहा है. ये टीवी एक्ट्रेस शो 'तू आशिकी' की लीड रोल 'पंक्ति' यानी जन्नत जुबैर रहमानी हैं, जो उम्र में बहुत छोटी होने के बावजूद भी लव स्टोरी पर बेस्ड शो कर रही हैं. पर क्या इसका मतबल ये है कि शो के प्रोड्यूसर्स एक नाबालिग बच्ची से किसिंग सीन की डिमांड रखेंगे.
स्पॉटबॉय की रिपोर्ट के मुताबिक, जन्नत को जैसे ही सीन के लिए एक्टर के गालों पर किस करने के लिए कहा गया, मेकर्स और उनकी मां के बीच झगड़ा शुरू हो गया. शो के प्रोड्यूसर्स इस बात से नाखुश हैं और वो जन्नत को शो से रिप्लेस करना चाहते हैं. मतलब साफ है, अगर किसी ने शो की डिमांड के हिसाब से काम करने से मना किया तो उसे शो से हाथ धोना पड़ेगा. भले ही उसकी उम्र उस सीन के लायक हो न हो या, वो कितनी ही टेलेंटेड हो न हो. ये घटना एक्टिंग में करियर बनाने वाले बच्चों के मन पर क्या असर डाल रही हैं ये कल्पना भी आप नहीं कर सकते.
दूसरा मामला-
टीवी पर आने वाले एक रिएलिटी शो में दीवारें उठाई जाती हैं, हाल ही में देखा कि एक बच्चे को शो से जाना पड़ा. वो कह रहा था कि गाते वक्त वो इतना नर्वस हो जाता है कि उसका गला चोक हो जाता है.
पहली बार 90 प्रतिशत से ज्यादा वोट पाने वाला बच्चा बाद में...
पहला मामला-
एक 16 साल की एक टीवी एक्ट्रेस को साथी कलाकार को किस करने के लिए कहा गया. एक्ट्रेस की मां ने जब हंगामा किया तो उसे शो से निकाला जा रहा है. ये टीवी एक्ट्रेस शो 'तू आशिकी' की लीड रोल 'पंक्ति' यानी जन्नत जुबैर रहमानी हैं, जो उम्र में बहुत छोटी होने के बावजूद भी लव स्टोरी पर बेस्ड शो कर रही हैं. पर क्या इसका मतबल ये है कि शो के प्रोड्यूसर्स एक नाबालिग बच्ची से किसिंग सीन की डिमांड रखेंगे.
स्पॉटबॉय की रिपोर्ट के मुताबिक, जन्नत को जैसे ही सीन के लिए एक्टर के गालों पर किस करने के लिए कहा गया, मेकर्स और उनकी मां के बीच झगड़ा शुरू हो गया. शो के प्रोड्यूसर्स इस बात से नाखुश हैं और वो जन्नत को शो से रिप्लेस करना चाहते हैं. मतलब साफ है, अगर किसी ने शो की डिमांड के हिसाब से काम करने से मना किया तो उसे शो से हाथ धोना पड़ेगा. भले ही उसकी उम्र उस सीन के लायक हो न हो या, वो कितनी ही टेलेंटेड हो न हो. ये घटना एक्टिंग में करियर बनाने वाले बच्चों के मन पर क्या असर डाल रही हैं ये कल्पना भी आप नहीं कर सकते.
दूसरा मामला-
टीवी पर आने वाले एक रिएलिटी शो में दीवारें उठाई जाती हैं, हाल ही में देखा कि एक बच्चे को शो से जाना पड़ा. वो कह रहा था कि गाते वक्त वो इतना नर्वस हो जाता है कि उसका गला चोक हो जाता है.
पहली बार 90 प्रतिशत से ज्यादा वोट पाने वाला बच्चा बाद में हर बार परफॉर्मेंस के दौरान चोक हो जाता था. तीन बार ऐसा होने के बावजूद भी वो आज गा रहा था. उसके नर्वस होने की वजह स्टेज या फिर पब्लिक फियर नहीं था, बल्कि बहुत से कारण थे जो ये हो सकते हैं- 1) बच्चे बड़ों के साथ परफॉर्म करते हैं, जिस वजह से उनमें हारने का डर बना रहता है. 2) शो लाइव है इसलिए ध्यान हमेशा पब्लिक वोटिंग पर रहता है कि कितने लोग उसे पसंद कर रहे हैं और वोट दे रहे हैं. दीवार उठेगी कि नहीं. 3) एंकर का बेहद प्रोफेशनल रवैया, जिसमें वो अपनी बातों से हौसला कम बल्कि बच्चों को डरा ज्यादा देता है, जैसे 'बहतर चुनेंगे तभी तो बेहतर सुनेंगे...' 4) इतने बड़े शो पर आने के बाद हारने का डर, माता-पिता की उम्मीदें टूटने का डर.
तो इतना कुछ तो काफी है उसका गला चोक करने के लिए. अब जरा सोचिए कि एक बच्चे के लिए इतना स्ट्रेस लेना और इसके चलते उसकी परफॉर्मेंस खराब होना क्या मायने रखता है. शो के जज भले ही उस वक्त ये कहें कि अभी तो उसने शुरूआत की है, अभी तो और आगे जाना है, इतना बड़ा प्लैटफॉर्म मिला ये क्या कम है. लेकिन क्या वाकई ये बच्चे के लिए सही है? नहीं !
तीसरा मामला-
एक सिंगिंग रियलिटी शो में एक बच्ची को किस किए जाने को लेकर हम एक बेहतरीन सिंगर को खोने की कगार पर हैं.
होली पर शो के जज पापोन ने अपने फेसबुक पेज पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें वो बच्चों के साथ होली खेल रहे थे, होली की मस्ती में उन्होंने एक कंटेस्टेंट को किस किया. और बस वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
इस वीडियो पर लोगों ने विरोध जताया और सुप्रीम कोर्ट की एक वकील ने नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) को इस हरकत के खिलाफ लेटर लिखा. जिसमें चिंता जताई गई कि पापोन ने बच्ची को गलत तरीके से किस किया. और उन्हें बाकी बच्चों की सेफ्टी और सिक्योरिटी की चिंता है.
पापोन ने बच्ची का फायदा उठाने के लिए किस किया या फिर वो उसे एक छोटी बच्ची जैसा ही प्यार दे रहे थे, इस बात पर आज भी लोग अलग-अलग राय रखते हैं. लेकिन नतीजा तो यही निकला कि एक सिंगर को शो छोड़ना पड़ा और उसके चरित्र पर हमेशा के लिए दाग लग गया. जिसका खामियाजा उन्हें उठाना ही पड़ेगा. हालांकि वो बच्ची और उसके पेरेंट्स पापोन का साथ दे रहे हैं. और कह रहे हैं कि पापोन के इरादे गलत नहीं थे. हां बेशक इरादे गलत नहीं होंगे, लेकिन यहां एक बात जरूर कहना चाहुंगी कि अगर वहां आपकी या मेरी बेटी होती तो हमें बुरा जरूर लगता.
देखिए क्या कहना है उस बच्ची का-
Before passing any more derogatory remarks on him and using such disrespectful, insulting hashtags, go and watch the full video#IStandByPapon https://t.co/INMiDPjPC4 ???? pic.twitter.com/eKapDB70h
— Huma Shahper (@shahper_huma) February 24, 2018
बहरहाल ये तीनों ही मामले ऐसे नहीं हैं कि इन्हें जाने दिया जाए. बल्कि एक सीख है कि आगे ऐसा न हो. और इसके लिए सरकार को अब गंभीरता से सोचने की जरूरत है. फिलहाल तो NCPCR ने आश्वासन दिया है कि वो टीवी कलाकारों के लिए बने गाइडलाइन में संशोधन करने पर विचार कर रहा है.
NCPCR के अनुसार उन्हें बच्चों से संबंधित और भी कई शिकायतें मिल रही हैं जिसमें कहा जा रहा है कि बच्चों से 12 घंटों से भी ज्यादा काम करवाया जाता है.
टीवी शोज में बच्चों के भाग लेने के लिए गाइडलाइंस 2011 में बनी थीं. जिसमें कुछ बाते तो साफ साफ लिखी गई हैं, कि -
- किसी भी बच्चे को इस तरह के रोल या परस्थिति में नहीं डाला जाए जो बच्चे के मुताबिक न हो, या उसे शर्मिंदा होना पड़े. बच्चे की उम्र, परिपक्वता, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक विकास और संवेदनशीलता पर ध्यान दिया जाना जरूरी है.
- बच्चों से काम लेने के दौरान उनकी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्थिति और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखा जाए.
- रिएलिटी शो प्रतियोगिता पर आधारित नहीं होने चाहिए. किसी भी बच्चे को उपहास, अपमान या निराशा या कड़े कमेंट्स या फिर ऐसा व्यवहार जो उनके भावनात्मक स्वास्थ्य को असर करे नहीं होना चाहिए.
- माता या पिता में से एक को बच्चे के साथ होना ही चाहिए.
- प्रोडक्शन का वातावरण हर तरीके से बच्चे के लिए सुरक्षित होना चाहिए.
- शूटिंग के दौरान बच्चे को भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक तौर पर संभालने के लिए माता या पिता को होना जरूरी है. जबकि बच्चे के खराब प्रदर्शन की वजह से निराशा दिखाने वाले माता-पिता की भी काउंसलिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए.
- अगर बच्चा कभी भी तनाव में आ जाए तो निर्माता को ये सुनिश्चित करना होगा कि वहां एक चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर एक कॉल पर उपलब्ध हो.
पर बावजूद इन सारी बातों के हम टीवी पर बच्चों को बड़ों के साथ प्रतियोगिता में भाग लेते देख रहे हैं. फिर बच्चों पर भावनात्मक रूप से प्रभाव भी पड़ते देख रहे हैं. ऐसे रोल करते देख रहे हैं जो उनकी उम्र के मुताबिक भी नहीं हैं. चैनल और शो के निर्माता कुछ गाइडलाइन्स मान रहे हैं तो कुछ को अनदेखा कर रहे हैं. मामला चाहे शो में हिस्सा लेने वाले बच्चों का हो या फिर शो के जज का, पर कोई भी मामला हल्का नहीं है. आज वो बच्चा जो टीवी पर दिख रहा है उसे देश के करोड़ों बच्चे देखते हैं और सीख लेते हैं. पापोन वाले मामले को देखने-समझने वाले एक नहीं करोड़ों माता-पिता हैं जो इस मामले को लेकर अपने मन में बच्चों के लिए कई निर्णय ले रहे होंगे.
इसलिए बेहद जरूरी है कि NCPCR टीवी इंडस्ट्री के प्रति थोड़ा कठोर रवैया अपनाए. उन्हें ये बताए कि सुरक्षित वातावरण देने के अलावा बच्चों से कितनी दूरी बनाई जाए, उनके कितना करीब जाया जाए और बिना समय गंवाए गाइडलाइंस में संशोधन करे, जिसमें बच्चों का हित हो और किसी का अहित भी न हो.
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