भारत एक ऐसा देश है जहां जितने रेपिस्ट हैं उससे ज्यादा रेपिस्ट और रेप का समर्थन करने वाले हैं. किसी 8 साल की बच्ची का रेप होता है तो उसके आरोपियों को बचाने के लिए तिरंगा यात्रा निकाली जाती है. 10 साल की बच्ची से रेप होता है तो उसके रेपिस्ट को बचाने के लिए कहा जाता है कि पीड़िता तो उससे प्यार करती थी और उसकी शादी करवा देनी चाहिए. इस बात से भी इंकार किया जाता है कि पीड़िता नाबालिग थी.
यकीन मानिए ऐसा हो रहा है. ट्विटर ट्रेंड पर लोग लगातार ये कह रहे हैं कि 10 साल की बच्ची की शादी उस रेपिस्ट से करवा देनी चाहिए. ये बात है गाज़ियाबाद रेप कांड की जहां मदरसे के एक स्टूडेंट और मौलवी ने मदरसे में 10 साल की एक बच्ची को कैद कर रखा था और उसका रेप किया. उसपर लोग ये कह रहे हैं कि उस बच्ची को आरोपी जिसका नाम शाहबाज़ है उससे प्यार था और उससे शादी करवा देनी चाहिए.
ये वही केस है जिसमें 21 अप्रैल को लड़की को मयूर विहार इलाके से अगवा कर लिया गया था. कुछ समय बाद वो लड़की गाज़ियाबाद के एक मदरसे से मिली थी. उस लड़की के जान-पहचान का एक आरोपी ही उसे लेकर आया था और रेप किया था. रेड के दौरान एक मौलवी को भी पकड़ा गया था. वो मौलवी पहले लड़की का पड़ोसी हुआ करता था. पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तारी हो गई है.
रेप हुआ, लड़की को बचाया गया, रिपोर्ट्स आई और इसके बाद शुरू हो गया ट्विटर का नाटक. सबसे पहले तो #JusticeFor... (पीड़िता का नाम) वाला हैशटैग चलाया गया और ट्वीट्स सामने आई कि मुस्लिम लड़की के बलात्कार पर बोलने वाले अब हिंदू लड़की के बलात्कार पर क्यों नहीं बोल रहे हैं? #SelectiveOutrage वाला मामला बताकर तूल दिया गया.
फिर अचानक #JusticeForG**taBhabhi ट्रेंड सामने आ गया. जी हां, 10 साल की पीड़िता को भाभी बुलाने का ट्रेंड. ऐसा बोला गया कि वो बच्ची आरोपी से प्यार करती थी और उस प्रेम प्रसंग को भाजपा ने रेप का नाम दे दिया. शुरुआती कुछ ट्वीट्स करने वालों में से NSI के नेता गौरव भारती भी थे.
NSI के लीडर ने भी इस तरह की ट्वीट की
ट्विटर पर ये ट्रेंड वायरल होने लगा
लगातार दो दिन से लोग इस मामले पर ट्वीट कर रहे हैं
बिना सोचे-समझे बिना किसी फैक्ट के ये ट्रेंड वायरल हो रहा है
रेप जैसे अपराध को हमेशा भारत में धार्मिक रंग दिया जाता है
धर्म और राजनीति दोनों को ही इस मामले से जोड़ा गया
ये सभी तस्वीरें साफ करती हैं कि लोगों की मानसिकता किस हद तक गिर चुकी है. बिना सोचे-समझे बिना किसी फैक्ट के सिर्फ एक ट्विटर ट्रेंड की बदौलत कोई भी किसी भी मामले में लिख देता है और ये भी नहीं समझा जाता कि आखिर विरोध हो किस बात का रहा है. आखिर ये किस देश में रह रहे हैं हम जहां जाहिलों की कमी नहीं. जहां किसी लड़की का रेप हो जाता है और लोगों को सिर्फ धार्मिकता दिखती है, जहां किसी बच्ची का कत्ल हो जाता है और फिर भी विवाद इस बात पर होता रहता है कि बच्ची हिंदू थी या मुस्लिम.
इसी बीच कुछ ऐसे लोग भी थे जो इस ट्रेंड का विरोध कर रहे थे, लेकिन शायद इन लोगों को ये नहीं पता कि इस मामले में ट्वीट कर-करके ये लोग भी इसी ट्रेंड को बढ़ावा दे रहे हैं और विरोध तो ठीक, लेकिन उसी हैशटैग को बढ़ावा दे रहे हैं जिसका विरोध हो रहा है. जिससे घिन आ रही है.
कुछ लोग इस मामले में गुस्सा भी दिखा रहे हैं
भई वाह.. मतलब इस कदर इंसानियत शर्मसार हो रही है, लेकिन यहां भी धर्म सामने आ गया है और रेपिस्ट को बचाने के लिए बस शादी ब्याह तक की बात होने लगी. एक समुदाय विशेष के लोग इसपर भाग लेने लगे और सभी मिलकर उस समुदाय को कोसने लगे. इस पूरे ट्रेंड में ऐसे लोग भी थे जो भले ही किसी भी धर्म के हों, लेकिन इसकी निंदा कर रहे थे. यकीन मानिए, किसी भी रेप पीड़िता के लिए ऐसा ट्रेंड चलाना, उसका समर्थन करना उतना ही निंदनीय है जितना कि रेप करना. एक तरह से लोग उस बच्ची की शादी रेपिस्ट से करने की बात कर रहे हैं ताकि पूरी जिंदगी उस बच्ची को अपने रेपिस्ट की शक्ल देखनी पड़े और उसे ये लगे कि सज़ा जुर्म करने वाले को नहीं बल्कि खुद उसको मिली है. इंसानियत के नाते नहीं तो अपने परिवार के नाते लोगों को इतना नहीं गिरना चाहिए कि उठना ही मुश्किल हो जाए. यकीन करना थोड़ा मुश्किल है कि ये लोग इसी समाज का हिस्सा है जहां हम रहते हैं और ऐसी मानसिकता वाले लोग आज इस रेपिस्ट का साथ दे रहे हैं तो कल किसी और को बचाएंगे, लेकिन गलत को गलत कहने वाली हिम्मत इनमें कभी नहीं आएगी.
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