सोशल मीडिया पर लोगों का हाल उस कहावत की तरह है जो बचपन में हमें चिढ़ाने के लिए अक्सर कही जाती थी- कौआ कान ले गया और हम कान देखने के बदले कौआ के पीछे भागने लगते हैं. इस एड के बाद भी यही हुआ.
इस्लाम से जुड़ा कुछ भी बोलना सोशल मीडिया पर आग लगा देने के लिए काफी है. खासकर अगर कोई कमेंट हिजाब पहने महिलाओं के बारे में या उनकी तरफ से आया हो. मजे की बात ये है कि ज्यादातर मामलों में लोग मामले की तह तक जाने के बजाए जितना सुना उतने पर ही आग उगलना शुरु कर देते हैं.
हाल ही में ट्विटर पर फिर से हल्ला मचा. इस बार निशाना मलेशिया का एड था, जिसमें एक हिजाब पहनी हुई महिला को शैंपू लगाते हुए दिखाया गया था. अब ऐसे भद्दे कांसेप्ट पर लोग पागल हो गए. कई लोगों ने इस्लाम की शिक्षाओं का गुणगान करना शुरू कर दिया और उन महिलाओं के उदाहरण भी देने लगे जो खुशी से इस परंपरा का पालन करती हैं. कुछ लोगों ने शैम्पू कंपनी को ऐसा एड बनाने के लिए आड़े हाथों लिया.
अपना मत रखने और ओपिनियन देने के चक्कर में लोगों ने एड में एक बहुत ही जरुरी प्वाइंट मिस कर दिया. वो प्वाइंट था- जिस एड को लोग गालियां देने में बिजी थे दरअसल वो 2006 के सनसिल्क शैंपू के एड का मजाक उड़ाने के लिए बनाया गया था. ना कि ये इस बात का प्रचार कर रहा था कि लड़कियां हिजाब पहनकर शैंपू लगाया करें.
Cilisos.my की एक रिपोर्ट के मुताबिक दो मिनट का ये वीडियो एस्कार्व्स नाम की एक कंपनी ने प्रोमोशन के लिए बनाया था. एस्कार्व्स स्कार्फ बनाने वाली एक कंपनी है. और मुस्लिम औरत का हिजाब पहनकर शैम्पू लगाना सिर्फ ये दिखाने के लिए था कि एस्कार्व्स के स्कार्फ आखिर कितने आरामदायक हैं.
यही नहीं वेबसाइट ने ब्रांड की एड को अंग्रेजी में अनुवाद किया है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस बात को समझ सकें कि आखिर एड किसी बारे में है और क्या मैसेज देना चाहता है.
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इस्लाम से जुड़ा कुछ भी बोलना सोशल मीडिया पर आग लगा देने के लिए काफी है. खासकर अगर कोई कमेंट हिजाब पहने महिलाओं के बारे में या उनकी तरफ से आया हो. मजे की बात ये है कि ज्यादातर मामलों में लोग मामले की तह तक जाने के बजाए जितना सुना उतने पर ही आग उगलना शुरु कर देते हैं.
हाल ही में ट्विटर पर फिर से हल्ला मचा. इस बार निशाना मलेशिया का एड था, जिसमें एक हिजाब पहनी हुई महिला को शैंपू लगाते हुए दिखाया गया था. अब ऐसे भद्दे कांसेप्ट पर लोग पागल हो गए. कई लोगों ने इस्लाम की शिक्षाओं का गुणगान करना शुरू कर दिया और उन महिलाओं के उदाहरण भी देने लगे जो खुशी से इस परंपरा का पालन करती हैं. कुछ लोगों ने शैम्पू कंपनी को ऐसा एड बनाने के लिए आड़े हाथों लिया.
अपना मत रखने और ओपिनियन देने के चक्कर में लोगों ने एड में एक बहुत ही जरुरी प्वाइंट मिस कर दिया. वो प्वाइंट था- जिस एड को लोग गालियां देने में बिजी थे दरअसल वो 2006 के सनसिल्क शैंपू के एड का मजाक उड़ाने के लिए बनाया गया था. ना कि ये इस बात का प्रचार कर रहा था कि लड़कियां हिजाब पहनकर शैंपू लगाया करें.
Cilisos.my की एक रिपोर्ट के मुताबिक दो मिनट का ये वीडियो एस्कार्व्स नाम की एक कंपनी ने प्रोमोशन के लिए बनाया था. एस्कार्व्स स्कार्फ बनाने वाली एक कंपनी है. और मुस्लिम औरत का हिजाब पहनकर शैम्पू लगाना सिर्फ ये दिखाने के लिए था कि एस्कार्व्स के स्कार्फ आखिर कितने आरामदायक हैं.
यही नहीं वेबसाइट ने ब्रांड की एड को अंग्रेजी में अनुवाद किया है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस बात को समझ सकें कि आखिर एड किसी बारे में है और क्या मैसेज देना चाहता है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.