हाल ही में अहमदाबाद, गुजरात (Ahmedabad, Gujarat) में Covid-19 के मृतकों के परिजनों को उनकी मृत्यु के दुःख के साथ-साथ एक और दुःख भी झेलना पड़ा. वह है मृतकों के गहनों और मोबाइल की चोरी का. लाशों के गहने गायब हो जाने की यह खबर सहसा निशब्द कर देती है. जिस देश में मृतात्मा की शांति के लिए पूजा होती है और उन्हें हाथ जोड़, चरणस्पर्श कर श्रद्धांजलि दी जाती है. उन पर पुष्प अर्पित किये जाते हैं. वहां की ऐसी घटना अपराधियों के प्रति मन भीषण घृणा से भर देती है. आखिर ये किस तरह की मानसिकता के लोग हैं जो लाशों को भी नहीं बख्शते? निश्चित रूप से ये इंसानी शरीर में छुपे संवेदनहीन गिद्ध ही हैं जिन्हें केवल एक मरी हुई देह नज़र आती है. जिसे लूटने के लिए ये आंख गड़ाये तत्पर बैठे होते हैं. गिद्ध को क्या फर्क पड़ता है, किसी की मौत से. उसे कहां जानना होता है कि लाश बनने की वज़ह क्या है? उसे तो अपनी ख़ुराक़ से मतलब.
चोरी को अंज़ाम कैसे दिया गया?
अहमदाबाद शहर इस समय बुरी तरह से कोरोना महामारी की चपेट में है. यहां पीड़ितों का आंकड़ा दस हजार (10,000) को पार कर चुका है. साथ ही साढ़े छः सौ( 650) से अधिक मौतों का स्याह मातम पसरा हुआ है. यहां इसी माह में कोविड अस्पताल से चार ऐसी ही चोरी के केसेस रिपोर्ट किये गए हैं. इन चोरों का अपराध करने का तरीक़ा हैरान कर देता है.
ये सिविल अस्पताल में पीपीई किट (PPE kit) पहनकर जाते थे. वैसे तो यह किट संक्रमण से खुद को बचाने के लिए होती है. लेकिन यहां चोरों ने इसे ख़ुद की पहचान मिटाने के लिए इस्तेमाल किया. शव सैनिटाइज करने के बहाने ये कोरोना (Coronavirus) से मरने वाले मरीजों के गहने उतार लेते...
हाल ही में अहमदाबाद, गुजरात (Ahmedabad, Gujarat) में Covid-19 के मृतकों के परिजनों को उनकी मृत्यु के दुःख के साथ-साथ एक और दुःख भी झेलना पड़ा. वह है मृतकों के गहनों और मोबाइल की चोरी का. लाशों के गहने गायब हो जाने की यह खबर सहसा निशब्द कर देती है. जिस देश में मृतात्मा की शांति के लिए पूजा होती है और उन्हें हाथ जोड़, चरणस्पर्श कर श्रद्धांजलि दी जाती है. उन पर पुष्प अर्पित किये जाते हैं. वहां की ऐसी घटना अपराधियों के प्रति मन भीषण घृणा से भर देती है. आखिर ये किस तरह की मानसिकता के लोग हैं जो लाशों को भी नहीं बख्शते? निश्चित रूप से ये इंसानी शरीर में छुपे संवेदनहीन गिद्ध ही हैं जिन्हें केवल एक मरी हुई देह नज़र आती है. जिसे लूटने के लिए ये आंख गड़ाये तत्पर बैठे होते हैं. गिद्ध को क्या फर्क पड़ता है, किसी की मौत से. उसे कहां जानना होता है कि लाश बनने की वज़ह क्या है? उसे तो अपनी ख़ुराक़ से मतलब.
चोरी को अंज़ाम कैसे दिया गया?
अहमदाबाद शहर इस समय बुरी तरह से कोरोना महामारी की चपेट में है. यहां पीड़ितों का आंकड़ा दस हजार (10,000) को पार कर चुका है. साथ ही साढ़े छः सौ( 650) से अधिक मौतों का स्याह मातम पसरा हुआ है. यहां इसी माह में कोविड अस्पताल से चार ऐसी ही चोरी के केसेस रिपोर्ट किये गए हैं. इन चोरों का अपराध करने का तरीक़ा हैरान कर देता है.
ये सिविल अस्पताल में पीपीई किट (PPE kit) पहनकर जाते थे. वैसे तो यह किट संक्रमण से खुद को बचाने के लिए होती है. लेकिन यहां चोरों ने इसे ख़ुद की पहचान मिटाने के लिए इस्तेमाल किया. शव सैनिटाइज करने के बहाने ये कोरोना (Coronavirus) से मरने वाले मरीजों के गहने उतार लेते थे.
हम जानते हैं कि अधिकांश केसेस में शवों को पूरी तरह से सील करके ही परिजनों के हवाले किया जाता है. इसलिए किसी को भी इस बात की भनक तक नहीं लगती थी. उस समय घरवालों की मानसिक स्थिति भी ऐसी नहीं होती कि इतना सब सोच सकें. इस सन्दर्भ में शाहीबाग पुलिस ने दो युवकों की गिरफ़्तारी की है. प्राप्त जानकारी के अनुसार उन्होंने अपना जुर्म क़बूल लिया है.
घटना का ख़ुलासा कैसे हुआ?
स्थानीय निवासी शिवपूजन राजपूत ने बताया कि अस्पताल जाते समय उन्होंने ही अपनी वाइफ को इयररिंग्स पहने रहने को कहा था. उनकी मृत्यु होने के बाद वे एक अंतिम बार उन्हें देखना चाहते थे. तभी उन्होंने देखा कि उनकी पत्नी के 22,000 रु. कीमत के इयररिंग्स और मोबाइल फ़ोन गायब थे.
ऐसा ही एक अन्य मृतक उमेश के साथ भी हुआ जिनकी मृत्यु के बाद उनकी टाइटन घडी और स्मार्टफोन गायब था. अस्पताल प्रशासन को समय रहते सूचित किया गया. उसके बाद हडकंप मच गया. इंदौर, मध्यप्रदेश से भी ऐसी ही एक अमानवीय घटना की सूचना मिली है.
मानवता को शर्मसार करने का ये पहला किस्सा नहीं है!
गुजरात भूकंप के समय भी यही हुआ था. उस दौरान ऐसे कई दिल दहलाने वाले मामले सामने आये थे, जब मलबों के नीचे दबी लाशों के कान और हाथ काटकर चूड़ियां एवं अन्य जेवरात चुरा लिए गए थे.
कोरोना महामारी ने एक बार फिर मनुष्य की असलियत का पर्दाफ़ाश कर दिया है. एक तरफ़ हम हमारे उन कोरोना वॉरियर्स को देख गर्व करते हैं जो जान हथेली पर रख पूरे जी-जान से मरीज़ों की सेवा करने और उन्हें बचाने में लगे हैं तो वहीं दूसरी और ऐसे घृणित, निर्लज्ज लोग भी हैं जो लाश तक को नहीं छोड़ते.
ये मृतकों के शरीर से गहने लूट पूरी मानवता को शर्मसार कर देते हैं. अस्पताल में ये गुनाह करने वालों ने ठीक वैसा ही अपराध किया है जैसा आतंकवादी सैनिकों की वर्दी पहनकर करते आये हैं. देश भर में एक ओर जहां संक्रमण के डर से मरीजों के अंतिम संस्कार में उनके अपने घर वाले तक नहीं आ पा रहे हैं. दूर से ही अपने कलेजे पर पत्थर रख उन्हें अंतिम विदाई दे रहे हैं. ऐसे में इन चोरों के बेख़ौफ़ कृत्य पर क्या कहा जाए.
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