बीते 5 जनवरी को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सलाह दी कि 15 साल से कम उम्र की बच्चियों का रेप करने वालों को मौत की सजा का प्रावधान किया जाए. पिछले महीने मध्य प्रदेश सरकार ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों का रेप करने वाले के लिए सजा-ए-मौत का प्रावधान किया था और ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बना.
हालांकि ऐसे कानूनों से कुछ बदलाव आएगा इसमें मुझे शक है. क्योंकि 2012 में हुए निर्भया के बाद बनाए गए जस्टिस वर्मा कमिटि ने भी मनचलों, रेपिस्टों को कड़ी सजा का प्रावधान किया था. हालांकि जस्टिस वर्मा ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि रेपिस्टों को मौत की सजा देने का कानून देश में रेप पर लगाम लगाने में कामयाब नहीं होगा.
बच्चों के साथ होने वाली छेड़छाड़ और रेप की घटनाएं कोई नई नहीं है. दुखद बात ये है कि इस तरह की घटनाओं के शिकार बच्चों के आरोपियों में अधिकतर लोग जान पहचान के होते हैं. घरों में रहने वाले होते हैं. अपने नाते रिश्तेदार में से होते हैं. इन हवसियों के सिर पर कोई सिंग भी नहीं लगी होती की उन्हें दूर से देखते ही पहचान लें.
कई बार जो 'शक्ल' से मवाली जैसे लगते हैं वो असल में शरीफ होते हैं और शराफत का चोले ओढ़े लोग वारदात कर जाते हैं. ये भी उतना ही सच है कि जो इंसान दिखने में शरीफ लगता हो वो शरीफ ही होगा इसकी गारंटी नहीं है. वैसे भी बच्चों के यौन शोषण के मामलों में ज्यादातर लोग जान पहचान वाले ही होते हैं. हालांकि किसी के भी लक्षण या व्यवहार के आधार पर सटीक पूर्वानुमान लगाना कि वो बाल शोषण करता है या नहीं, नामुमकिन है. लेकिन फिर भी एक किताब के द्वारा ऐसे लोगों के बारे में बताया गया है.
इस किताब को बाल शोषण करने वाले लोगों से पूछे गए सवालों के आधार पर लिखा गया...
बीते 5 जनवरी को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सलाह दी कि 15 साल से कम उम्र की बच्चियों का रेप करने वालों को मौत की सजा का प्रावधान किया जाए. पिछले महीने मध्य प्रदेश सरकार ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों का रेप करने वाले के लिए सजा-ए-मौत का प्रावधान किया था और ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बना.
हालांकि ऐसे कानूनों से कुछ बदलाव आएगा इसमें मुझे शक है. क्योंकि 2012 में हुए निर्भया के बाद बनाए गए जस्टिस वर्मा कमिटि ने भी मनचलों, रेपिस्टों को कड़ी सजा का प्रावधान किया था. हालांकि जस्टिस वर्मा ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि रेपिस्टों को मौत की सजा देने का कानून देश में रेप पर लगाम लगाने में कामयाब नहीं होगा.
बच्चों के साथ होने वाली छेड़छाड़ और रेप की घटनाएं कोई नई नहीं है. दुखद बात ये है कि इस तरह की घटनाओं के शिकार बच्चों के आरोपियों में अधिकतर लोग जान पहचान के होते हैं. घरों में रहने वाले होते हैं. अपने नाते रिश्तेदार में से होते हैं. इन हवसियों के सिर पर कोई सिंग भी नहीं लगी होती की उन्हें दूर से देखते ही पहचान लें.
कई बार जो 'शक्ल' से मवाली जैसे लगते हैं वो असल में शरीफ होते हैं और शराफत का चोले ओढ़े लोग वारदात कर जाते हैं. ये भी उतना ही सच है कि जो इंसान दिखने में शरीफ लगता हो वो शरीफ ही होगा इसकी गारंटी नहीं है. वैसे भी बच्चों के यौन शोषण के मामलों में ज्यादातर लोग जान पहचान वाले ही होते हैं. हालांकि किसी के भी लक्षण या व्यवहार के आधार पर सटीक पूर्वानुमान लगाना कि वो बाल शोषण करता है या नहीं, नामुमकिन है. लेकिन फिर भी एक किताब के द्वारा ऐसे लोगों के बारे में बताया गया है.
इस किताब को बाल शोषण करने वाले लोगों से पूछे गए सवालों के आधार पर लिखा गया है. इसके मुताबिक बच्चों का शोषण करने वालों को चार कटेगरी में बांट सकते हैं.
1- mysoped: ये लोग बच्चों का शोषण इसलिए करते हैं क्योंकि ये बच्चों को शारीरिक नुकसान पहुंचाने में इन्हें मजा आता है.
2- regressed child offender: यह व्यक्ति आम तौर पर वयस्कों के साथ संबंध रखता है. लेकिन किसी बच्चे का शोषण इसलिए करता है क्योंकि उसके जीवन में कोई तनावपूर्ण घटना घटी होती है. इस घटना की वजह से वो किसी को कंट्रोल करने के लिए बेताब रहता है.
3- fixated child offender: ये बचपन में ही साइको सेक्शुअल डेवलमेंट के शिकार हो जाते हैं. अपनी उम्र के लोगों के साथ उसका मिलना जुलना बहुत कम या नहीं होता है और आमतौर पर वो वयस्कों के आसपास असहज होता है. वह बच्चों से प्यार करता है और उन्हें चोट नहीं पहुंचाना चाहता. और इसलिए उसे ये लगता है कि वो बच्चों का शोषण नहीं बल्कि उनसे स्नेह कर रहा है.
4- naïve pedophile: ये वो होते हैं जिन्हें सही और गलत की कोई पहचान ही नहीं होती. ये अमूमन मानसिक रुप से विक्षिप्त होते हैं या असंतुलित व्यवहार वाले होते हैं. इन पर समाज के नियम लागू ही नहीं होते. न ये समाज के नियमों का पालन करने की स्थिति में होते हैं.
तो ये लिस्ट हो सकता है आपकी कुछ मदद करे ऐसे लोगों को पहचानने में. लेकिन फिर भी अपनी सतर्कता ही सुरक्षा है. साथ ही बच्चों को भी शिक्षा दें कि गुड टच और बैड टच क्या है. किसी के साथ कैसे रहें इत्यादि.
ये भी पढ़ें-
GRAPHIC: बच्चे के साथ नर्सों ने किया कुछ ऐसा कि दिल पसीज उठे..
ऐसे होता है एक बच्चे का जन्म...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.