'गुड वर्क' वो टर्म जो पुलिस महकमे में धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है. प्रायः 'गुड वर्क' को लेकर बुद्धिजीवियों और प्रबुद्ध वर्ग के अपने तर्क हैं. कहा जाता है कि ये सब मीडिया मैनेजमेंट के चोंचले हैं और इसके जरिये पुलिस अपनी कमियां छिपाती है. भले ही गुड वर्क प्रमोशन पाने का हथकंडा हो. लेकिन कभी कभी ये आत्मा की तृप्ति का माध्यम भी बन सकता है. विषय चूंकि पुलिस और गुड वर्क है इसलिए ये कथन थोड़ा अटपटा लग सकता है. लेकिन जब हम यूपी के महराजगंज के बरगदवा थाने के एसएचओ सुनील रॉय को देखते हैं तो महसूस यही होता है कि भले ही पुलिस महकमे को भ्रष्ट कहा जाए. मगर बावजूद इसके पुलिस विभाग में ऐसे तमाम पुलिस वाले हैं जो हमारे प्रेरणास्रोत हो सकते हैं.
दरअसल यूपी के महराजगंज में बतौर एसएचओ तैनात सुनील रॉय ने अपनी टीम के साथ मिलकर स्थानीय प्राथमिक विद्यालय को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी ली है. स्थानीय सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए पुलिसकर्मी रोज सुबह अपनी दिनचर्या से एक घंटा निकाल रहे हैं.
पुलिस वालों का ये प्रयास स्थानीय निवासियों को भी खूब पसंद आ रहा है. और शायद यही वो कारण है जिसके चलते पुलिसकर्मियों द्वारा पढ़ाने वाली कक्षाओं को अब 'थानेदार साहिब की कक्षाएं' कहा जा रहा है. मजेदार ये कि बच्चों की एक अच्छी संख्या इन पुलिस वालों से ज्ञान अर्जित करने आती है.
इतना जानकार सवाल हो सकता है कि आखिर पुलिस वालों को ये आईडिया आया कहां से? वजह है सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ. असल में योगी सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करने के लिए अधिकारियों को प्रोत्साहित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे.
सरकार के कार्यक्रम से...
'गुड वर्क' वो टर्म जो पुलिस महकमे में धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है. प्रायः 'गुड वर्क' को लेकर बुद्धिजीवियों और प्रबुद्ध वर्ग के अपने तर्क हैं. कहा जाता है कि ये सब मीडिया मैनेजमेंट के चोंचले हैं और इसके जरिये पुलिस अपनी कमियां छिपाती है. भले ही गुड वर्क प्रमोशन पाने का हथकंडा हो. लेकिन कभी कभी ये आत्मा की तृप्ति का माध्यम भी बन सकता है. विषय चूंकि पुलिस और गुड वर्क है इसलिए ये कथन थोड़ा अटपटा लग सकता है. लेकिन जब हम यूपी के महराजगंज के बरगदवा थाने के एसएचओ सुनील रॉय को देखते हैं तो महसूस यही होता है कि भले ही पुलिस महकमे को भ्रष्ट कहा जाए. मगर बावजूद इसके पुलिस विभाग में ऐसे तमाम पुलिस वाले हैं जो हमारे प्रेरणास्रोत हो सकते हैं.
दरअसल यूपी के महराजगंज में बतौर एसएचओ तैनात सुनील रॉय ने अपनी टीम के साथ मिलकर स्थानीय प्राथमिक विद्यालय को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी ली है. स्थानीय सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए पुलिसकर्मी रोज सुबह अपनी दिनचर्या से एक घंटा निकाल रहे हैं.
पुलिस वालों का ये प्रयास स्थानीय निवासियों को भी खूब पसंद आ रहा है. और शायद यही वो कारण है जिसके चलते पुलिसकर्मियों द्वारा पढ़ाने वाली कक्षाओं को अब 'थानेदार साहिब की कक्षाएं' कहा जा रहा है. मजेदार ये कि बच्चों की एक अच्छी संख्या इन पुलिस वालों से ज्ञान अर्जित करने आती है.
इतना जानकार सवाल हो सकता है कि आखिर पुलिस वालों को ये आईडिया आया कहां से? वजह है सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ. असल में योगी सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करने के लिए अधिकारियों को प्रोत्साहित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे.
सरकार के कार्यक्रम से प्रेरित होकर बरगदवा थाना पुलिस ने स्थानीय प्राथमिक विद्यालय को गोद लेकर एक कदम और आगे बढ़ाया. इस अनोखे प्रयास के बाद ये कहना कहीं से भी अतिश्योक्ति नहीं है कि एसएचओ रॉय रियल हीरो हैं और इनसे प्रेरणा लेकर हम एक बेहतर और शिक्षित भारत का निर्माण कर सकते हैं.
एसएचओ रॉय खुद एक शिक्षक शिक्षक रह चुके हैं जब उनसे इस प्रयास के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि,'हम बच्चों की देखभाल करेंगे. उनकी पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें आवश्यक स्टेशनरी उपलब्ध कराकर उनकी जरूरतों को भी पूरा किया जाएगा.
छात्रों और उनके बेहतर भविष्य को लेकर पुलिस वालों की सोच कितनी अच्छी है? इसका अंदाजा एसएचओ रॉय की उस बात से लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा है कि हम उन्हें सीखने और बढ़ने के लिए बेहतर माहौल देना चाहते हैं. बच्चों को उनकी शिक्षा में मदद करने में सक्षम होना मेरे लिए खुशी की बात होगी.
इस लेख की शुरुआत में ही हमने पुलिस और उसके गुड वर्क की बात की थी. साथ ही ये भी बताया था कि अमूमन इसका इस्तेमाल पुलिसवालों द्वारा प्रमोशन हासिल करने के लिए होता है. मगर जो गुड वर्क महराजगंज के बरगदवा में हो रहा है वो उनसे कहीं अलग है. एहसास यही होता है कि ऐसा बिलकुल नहीं है कि यूपी में पुलिस महकमा सिर्फ भ्रष्ट पुलिस वालों से भरा है.
विभाग में कुछ एसएचओ सुनील रॉय जैसे लोग भी हैं जो मई की इस भीषण गर्मी में बारिश की ठंडी बूंद सरीखे हैं. कितना अच्छा होता वो यूपी पुलिस जो 3 बदमाशों को पकड़कर उनके साथ साथ 4 तमंचे की तस्वीर बतौर गुड वर्क ट्वीट करती है. प्रेस रिलीज छापती है काश महराजगंज के इस थाने की. एसएचओ सुनील रॉय और उनकी टीम की भी फोटो उसी शिद्दत से ट्वीट करती.
मामले में हम सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ का भी जिक्र करेंगे. इस बात में कोई शक नहीं है कि 2017 में योगी के सत्ता संभालने के बाद यूपी में अपराध नियंत्रित हुआ है लेकिन जिस तरह सुनील रॉय और उनकी टीम ने 'मित्र पुलिस' की अवधारणा को धरातल पर चरितार्थ किया है बतौर मुख्यमंत्री उनके आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट तो आ ही सकता था.
बहरहाल, जो कुछ भी महारजगंज में हो रहा है, हमें इस बात का पूरा यकीन है आज नहीं तो कल उसे पहचान मिलेगी. और हमें इस बात का भी पूरा भरोसा है कि ऐसे प्रयास हों ऐसी डिमांड किसी और से नहीं बल्कि खुद जनता के खेमे से आएगी. तब का मंजर देखना अपने आप में खासा दिलचस्प होगा.
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