किसी ने ठीक कहा है कि खूबसूरती देखने वाले की आंखों में होती है. जिम्बाब्वे ने इसे साबित कर दिया. खूबसूरती को लेकर हमारी परिभाषा और नजर भले ही अलग हो लेकिन जरा इस अफ्रीकी देश का रुख कीजिए जहां एक ब्यूटी कॉन्टेस्ट के लिए 'बदसूरत' दिखने की होड़ मची रहती है.
जिम्बाब्वे का 'ब्यूटी कॉन्टेस्ट'
जिम्बाब्वे में पिछले चार वर्षों से 'mister ugly' प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है. इसमें पुरुष हिस्सा लेते हैं. 2012 से बाजी विलियम मैसविनू मार रहे थे. वह हरारे की सड़कों पर सब्जी बेचते हैं. लेकिन इस दफा विलियम चूक गए और जजों ने 42 वर्षीय मिसोन सेरे को जिम्बाब्वे के सबसे 'कुरूप व्यक्ति' के तौर पर चुना.
लेकिन अब बवाल मचा है. मैसविनू के समर्थकों ने जजों के फैसले पर नाराजगी जताई है. हालात इतने खराब हुए कि आयोजन स्थल पर हिंसा और तोड़फोड़ भी हुई. दूसरे प्रतियोगियों का भी आरोप है कि मिसोन को जिस आधार पर सबसे बदसूरत व्यक्ति चुना गया है, वह नियमों के मुताबिक नहीं है. नियमों के अनुसार चेहरे की बदसूरती प्राकृतिक होनी चाहिए जबकि मिसोन केवल टूटे दांत की वजह से खिताब जीतने में कामयाब रहे. मतलब, वह हैंडसम हैं बदसूरत नहीं.
मिसोर सेरे |
इस प्रतियोगिता का आयोजन डेविड मैचोवा करते आ रहे हैं. 2011 में हुए इसके पहले संस्करण में केवल पांच प्रतियोगियों ने हिस्सा लिया. लेकिन इसकी लोकप्रियता अब बढ़ी है. इस साल सर्वाधिक 36 लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन इस प्रतियोगिता के लिए कराया.
इस 'ब्यूटी कॉन्टेस्ट' का स्वागत है..
मिस यूनिवर्स, मिस वर्ल्ड, मिस अर्थ, फिर मिस्टर वर्ल्ड, और पता नहीं क्या क्या. पिछले 60-70 वर्षों...
किसी ने ठीक कहा है कि खूबसूरती देखने वाले की आंखों में होती है. जिम्बाब्वे ने इसे साबित कर दिया. खूबसूरती को लेकर हमारी परिभाषा और नजर भले ही अलग हो लेकिन जरा इस अफ्रीकी देश का रुख कीजिए जहां एक ब्यूटी कॉन्टेस्ट के लिए 'बदसूरत' दिखने की होड़ मची रहती है.
जिम्बाब्वे का 'ब्यूटी कॉन्टेस्ट'
जिम्बाब्वे में पिछले चार वर्षों से 'mister ugly' प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है. इसमें पुरुष हिस्सा लेते हैं. 2012 से बाजी विलियम मैसविनू मार रहे थे. वह हरारे की सड़कों पर सब्जी बेचते हैं. लेकिन इस दफा विलियम चूक गए और जजों ने 42 वर्षीय मिसोन सेरे को जिम्बाब्वे के सबसे 'कुरूप व्यक्ति' के तौर पर चुना.
लेकिन अब बवाल मचा है. मैसविनू के समर्थकों ने जजों के फैसले पर नाराजगी जताई है. हालात इतने खराब हुए कि आयोजन स्थल पर हिंसा और तोड़फोड़ भी हुई. दूसरे प्रतियोगियों का भी आरोप है कि मिसोन को जिस आधार पर सबसे बदसूरत व्यक्ति चुना गया है, वह नियमों के मुताबिक नहीं है. नियमों के अनुसार चेहरे की बदसूरती प्राकृतिक होनी चाहिए जबकि मिसोन केवल टूटे दांत की वजह से खिताब जीतने में कामयाब रहे. मतलब, वह हैंडसम हैं बदसूरत नहीं.
मिसोर सेरे |
इस प्रतियोगिता का आयोजन डेविड मैचोवा करते आ रहे हैं. 2011 में हुए इसके पहले संस्करण में केवल पांच प्रतियोगियों ने हिस्सा लिया. लेकिन इसकी लोकप्रियता अब बढ़ी है. इस साल सर्वाधिक 36 लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन इस प्रतियोगिता के लिए कराया.
इस 'ब्यूटी कॉन्टेस्ट' का स्वागत है..
मिस यूनिवर्स, मिस वर्ल्ड, मिस अर्थ, फिर मिस्टर वर्ल्ड, और पता नहीं क्या क्या. पिछले 60-70 वर्षों में ऐसी प्रतियोगिताओं ने खूब जोर पकड़ा है. साथ ही कई जगहों पर तो ये स्थानीय स्तर पर आयोजित होने लगे हैं. वैसे, इससे कोई शिकायत भी नहीं है. खूबसूरत दिखने की चाह भला किसे नहीं होती. आखिर सुदंरता की गारंटी परोसने वाले प्रोडक्ट्स की यूं ही बाजार में भरमार नहीं है. फोर्ब्स के एक आंकड़े के अनुसार 2012 में ब्यूटी प्रोडक्ट का बाजार 382 बिलियन डॉलर का था. इसमें 85 फीसदी उत्पाद तो महिलाओं से ही जुड़े हुए थे.
लेकिन इन सबके बीच 2011 में शुरू हुई इस mister ugly 'ब्यूटी कॉन्टेस्ट' का भी स्वागत होना चाहिए. आखिर दुनिया में केवल 'खूबसूरत' लोगों की ही पूछ क्यों हो. बात तो उनकी भी होनी चाहिए जिनका 'बदसूरत' चेहरा खूबसूरती की नई परिभाषा गढ़ रहा है.
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