पुरुषोत्तम ग्राम लिही जिला विदिशा मध्यप्रदेश से और दीप्ति कानपुर से सिविल सर्विस की तैयारी करने दिल्ली आए थे. एक ही कोचिंग में थे दोनों. पुरुषोत्तम की तमाम कोशिशों के बाद ये करार तय हो गया कि दीप्ति वल्द ह्रदयनारायण शर्मा निवासी कानपुर उसकी गर्लफ्रेंड है. इस बार पुरुषोत्तम का पहला वैलेंटाइन डे पड़ रहा था. उसने एक टाइम मटर पनीर से इस व्रत को रखा था. पुरुषोत्तम की तैयारियां जोरों पर थीं. वैलेंटाइन डे वीक की पूरी लिस्ट उसने अपने टेबल के सामने चस्पा कर दी थी. पहले दिन रोज डे था.
पुरुषोत्तम को थोड़ी राहत थी कि 20 रुपए में मामला सेट हो जाएगा. फिर भी उसने एक मोटा-मोटा बजट तो जोड़ ही लिया. फूलों की दुकान 8 किमी की दूरी पर थी. ऑटो से 50 जाने के और 50 आने के 100 हो गए. पुरुषोत्तम ने एक रोज पहले ही पूरा गिफ्ट सेट तैयार कर लिया. पहले एक गुलाब खरीदने का तय था, लेकिन फिर लगा एक से भले दो. फिर उसके साथ एक ग्रीटिंग कार्ड भी खरीदा. वह भी स्तरीय. पूरी आर्चीज गैलरी छानने के बाद 200 रुपए में एक ग्रीटिंग कार्ड का सौदा तय हुआ. गैलरी से निकलते-निकलते पुरुषोत्तम का मन हुआ एक गिफ्ट भी ले लूं. फिर सोचा अभी तो सात दिन और हैं, अभी सब हो जाएगा तो आगे क्या होगा.
इस तरह पुरुषोत्तम का पूरा पैकेज तैयार था. रात को फोन पर देर तक बहस चली कि किस होटल में मिला जाए. इस आयोजन का स्पॉन्सर कौन होगा? अभी यह तय नहीं था, इसलिए दोनों ने एक मध्यम वर्गीय रेस्टॉरेंट का चुनाव किया. पुरुषोत्तम तय समय पर घर से निकला. जैसे ही अपने कमरे का ताला लगाया, बगल में रहने वाले लड़के ने पूछ लिया. कहां जाने की तैयारी है? पुरुषोत्तम ने शर्माते हुए बताया "लंच पार्टी पर." उसके पैकेज से गुलाब बाहर आ रहा था. बंदा समझ गया रोज डे की तैयारी है.
पुरुषोत्तम को नहीं पता था कि जनाब अखिल भारतीय हिन्दू संस्कृति बचाव जनमंच के जिला...
पुरुषोत्तम ग्राम लिही जिला विदिशा मध्यप्रदेश से और दीप्ति कानपुर से सिविल सर्विस की तैयारी करने दिल्ली आए थे. एक ही कोचिंग में थे दोनों. पुरुषोत्तम की तमाम कोशिशों के बाद ये करार तय हो गया कि दीप्ति वल्द ह्रदयनारायण शर्मा निवासी कानपुर उसकी गर्लफ्रेंड है. इस बार पुरुषोत्तम का पहला वैलेंटाइन डे पड़ रहा था. उसने एक टाइम मटर पनीर से इस व्रत को रखा था. पुरुषोत्तम की तैयारियां जोरों पर थीं. वैलेंटाइन डे वीक की पूरी लिस्ट उसने अपने टेबल के सामने चस्पा कर दी थी. पहले दिन रोज डे था.
पुरुषोत्तम को थोड़ी राहत थी कि 20 रुपए में मामला सेट हो जाएगा. फिर भी उसने एक मोटा-मोटा बजट तो जोड़ ही लिया. फूलों की दुकान 8 किमी की दूरी पर थी. ऑटो से 50 जाने के और 50 आने के 100 हो गए. पुरुषोत्तम ने एक रोज पहले ही पूरा गिफ्ट सेट तैयार कर लिया. पहले एक गुलाब खरीदने का तय था, लेकिन फिर लगा एक से भले दो. फिर उसके साथ एक ग्रीटिंग कार्ड भी खरीदा. वह भी स्तरीय. पूरी आर्चीज गैलरी छानने के बाद 200 रुपए में एक ग्रीटिंग कार्ड का सौदा तय हुआ. गैलरी से निकलते-निकलते पुरुषोत्तम का मन हुआ एक गिफ्ट भी ले लूं. फिर सोचा अभी तो सात दिन और हैं, अभी सब हो जाएगा तो आगे क्या होगा.
इस तरह पुरुषोत्तम का पूरा पैकेज तैयार था. रात को फोन पर देर तक बहस चली कि किस होटल में मिला जाए. इस आयोजन का स्पॉन्सर कौन होगा? अभी यह तय नहीं था, इसलिए दोनों ने एक मध्यम वर्गीय रेस्टॉरेंट का चुनाव किया. पुरुषोत्तम तय समय पर घर से निकला. जैसे ही अपने कमरे का ताला लगाया, बगल में रहने वाले लड़के ने पूछ लिया. कहां जाने की तैयारी है? पुरुषोत्तम ने शर्माते हुए बताया "लंच पार्टी पर." उसके पैकेज से गुलाब बाहर आ रहा था. बंदा समझ गया रोज डे की तैयारी है.
पुरुषोत्तम को नहीं पता था कि जनाब अखिल भारतीय हिन्दू संस्कृति बचाव जनमंच के जिला संयोजक के ओहदे पर हैं. जैसे ही पुरुषोत्तम बाबू ऑटो से निकले, रास्ते में हो गई सघन जांच. पुरुषोत्तम बाबू ने कहा, "चाहे जितना मार लो, लेकिन पैकेज को हाथ न लगाओ, बहुत खर्चा हुआ है." आखिरकार, उस संयोजक ने पड़ोसी का मान रखते हुए पुरुषोत्तम को क्लीन चिट दे दी. लेकिन सशर्त. शर्त यह थी कि पुरुषोत्तम ग्रीटिंग कार्ड पर 100 बार "भारत माता की जय" लिखकर देगा. उसने सबके सामने ही झट-झट सौ बार भारत माता की जय लिख दिया. उसे लगा कि अब हाथ पर झंडा बांधने को कहेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
जब पुरुषोत्तम रेस्टोरेंट पहुंचा तो इससे पहले कि पूरा वाकया सुनाता दीप्ति ने देरी का कारण पूछ-पूछकर उसके नाक, कान, गले सबमें दम कर दिया. पुरुषोत्तम का धैर्य टूटने ही वाला था कि दीप्ति के मुंह से निकला "जानू, मैं कितनी परेशान थी तुम्हारे लिए." ये सुनते ही पुरुषोत्तम का गुस्सा ठंडा हो गया. जब दीप्ति ने पुरुषोत्तम के गालों पर अंगुली के निशान देखे तो हैरानी जताते हुए उसने अपनी हथेली उसके गालों पर चला दी. पुरुषोत्तम को जैसे 420 बोल्ट का झटका लग गया हो. जब दीप्ति ने कार्ड में "भारत माता की जय" लिखा देखा तो आग बबूला हो गई. "ये क्या?" "उनकी मां की..." ये जवाब देकर पुरुषोत्तम ने खुद पर काबू पाया. इतने में लंच आ गया, लेकिन पुरुषोत्तम ने गले से निवाला नीचे नहीं उतरा. दीप्ति ने दबाकर खाया और 2000 का नोट कैश काउंटर पर निकाल दिया. 2000 का नोट देखकर मालिक बिझक गया. पुरुषोत्तम ने 500-500 के दो नोट निकाले और ये मामला भी सलटाया. दोनों ने हैप्पी हैप्पी वाले रोज डे की थपकियां देते हुए विदा ली. घर पुरुषोत्तम ने रोज डे का बजट जोड़ा तो 1675 रुपए था. बदले में मिला 20 रुपए का rose पुरुषोत्तम ने टेबल पर सजा लिया.
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