हम किसी बाजार में चल रहे हों या फिर अपने मोबाइल पर किसी ऑनलाइन बाजार को देख रहे हों. जैसे ही आंखों के सामने कोई डिस्काउंट आता है, आंखें उस पर कुछ देर के लिए टिक ही जाती हैं. अब वो दौर नहीं रहा जब सिर्फ किसी सामान की एमआरपी देखकर उसे खरीदा जाए. अब तो हर सामान पर डिस्काउंट खोजा जाता है. डिस्काउंट का नशा लोगों पर किस कदर चढ़ चुका है, इसका ताजा उदाहरण है वाराणसी के मॉल में हुई गोलीबारी. पुलिस के मुताबिक डिस्काउंट को लेकर झगड़ा हुआ, जिसके बाद गोलीबारी हो गई. ये तो ना ही दुकानदार ने सोचा होगा, ना ही किसी और ने कि डिस्काउंट की ये दास्तां मौत के दरवाजे तक भी पहुंच सकती है.
पहले वाराणसी का मामला जानिए
बुधवार की शाम को वाराणसी में अति सुरक्षित छावनी क्षेत्र में बने जेएचवी मॉल में कुछ बदमाशों ने गोलीबारी कर दी. मॉल में दो युवक एक जूते के शोरूम में घुसे और डिस्काउंट को लेकर किसी तरह का झगड़ा हो गया. बात इतनी बढ़ गई कि युवकों ने बंदूक निकाली और गोलियां चला दीं. इस घटना में दुकान के दो कर्मचारियों की मौत हो गई है और दो अन्य घायल हो गए हैं. जबकि फिल्मी अंदाज में ये बदमाश हत्याओं को अंजाम देकर फरार भी हो गए.
इस घटना के बाद मॉल की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो गए हैं. सवाल ये है कि आखिर इतने सुरक्षित क्षेत्र में बने मॉल के अंदर क्या चेकिंग नहीं होती है? और अगर होती है तो फिर बंदूक लेकर कोई अंदर कैसे घुस गया? मेटल डिटेक्टर में वह पकड़ा क्यों नहीं गया? साफ है कि सुरक्षा जांच में लगे किसी कर्मचारी ने दोनों युवकों को बंदूक के साथ मॉल के अंदर घुसने दिया. सुरक्षा में लापरवाही बरती गई है. इतना ही नहीं, इन युवकों ने दो बंदूकों से मॉल के...
हम किसी बाजार में चल रहे हों या फिर अपने मोबाइल पर किसी ऑनलाइन बाजार को देख रहे हों. जैसे ही आंखों के सामने कोई डिस्काउंट आता है, आंखें उस पर कुछ देर के लिए टिक ही जाती हैं. अब वो दौर नहीं रहा जब सिर्फ किसी सामान की एमआरपी देखकर उसे खरीदा जाए. अब तो हर सामान पर डिस्काउंट खोजा जाता है. डिस्काउंट का नशा लोगों पर किस कदर चढ़ चुका है, इसका ताजा उदाहरण है वाराणसी के मॉल में हुई गोलीबारी. पुलिस के मुताबिक डिस्काउंट को लेकर झगड़ा हुआ, जिसके बाद गोलीबारी हो गई. ये तो ना ही दुकानदार ने सोचा होगा, ना ही किसी और ने कि डिस्काउंट की ये दास्तां मौत के दरवाजे तक भी पहुंच सकती है.
पहले वाराणसी का मामला जानिए
बुधवार की शाम को वाराणसी में अति सुरक्षित छावनी क्षेत्र में बने जेएचवी मॉल में कुछ बदमाशों ने गोलीबारी कर दी. मॉल में दो युवक एक जूते के शोरूम में घुसे और डिस्काउंट को लेकर किसी तरह का झगड़ा हो गया. बात इतनी बढ़ गई कि युवकों ने बंदूक निकाली और गोलियां चला दीं. इस घटना में दुकान के दो कर्मचारियों की मौत हो गई है और दो अन्य घायल हो गए हैं. जबकि फिल्मी अंदाज में ये बदमाश हत्याओं को अंजाम देकर फरार भी हो गए.
इस घटना के बाद मॉल की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो गए हैं. सवाल ये है कि आखिर इतने सुरक्षित क्षेत्र में बने मॉल के अंदर क्या चेकिंग नहीं होती है? और अगर होती है तो फिर बंदूक लेकर कोई अंदर कैसे घुस गया? मेटल डिटेक्टर में वह पकड़ा क्यों नहीं गया? साफ है कि सुरक्षा जांच में लगे किसी कर्मचारी ने दोनों युवकों को बंदूक के साथ मॉल के अंदर घुसने दिया. सुरक्षा में लापरवाही बरती गई है. इतना ही नहीं, इन युवकों ने दो बंदूकों से मॉल के अंदर गोलियां चला दीं, दो लोगों की मौत हो गई और वह बड़ी आसानी से मॉल से निकल कर फरार हो गए... सुरक्षा कर्मचारी क्या सो रहे थे? मामले की जांच पूरी होने पर मॉल की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी अधिकारियों की गर्दन भी इसमें फंसना तय है.
आखिर डिस्काउंट इतना अहम क्यों बन गया है?
अगर एक डिस्काउंट के लिए मामला गोलीबारी तक पहुंच सकता है तो ये तो साफ है कि डिस्काउंट बेहद खास बन चुका है. लेकिन क्यों? ग्राहकों को लुभाने के लिए डिस्काउंट नाम के जिस हथियार का इस्तेमाल कंपनियां कर रही हैं, वह वाराणसी के मॉल में जानलेवा बन गया. डिस्काउंट का ये खेल मॉल या छोटे बाजारों से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग तक में खूब चलता है. और चले भी क्यों नहीं, लोग उन प्रोडक्ट को अधिक खरीदते हैं, जिनकी एमआरपी पर अधिक डिस्काउंट मिलता है. डिस्काउंट ग्राहकों को अपनी ओर खींचता है और कंपनियां इसे मार्केटिंग टूल की तरह इस्तेमाल करती हैं. डिस्काउंट कितना खास है, इसका अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि सिर्फ डिस्काउंट देने वाली कंपनियां तक बन चुकी हैं.
आप Groupon जैसी कंपनी का उदाहरण ले सकते हैं, जिसका पूरा बिजनेस ही डिस्काउंट पर टिका हुआ है. किस प्रोडक्ट पर कितना डिस्काउंट मिलेगा, ये सब आप Groupon पर जान सकते हैं. यहां तक कि कंपनी खुद भी कई तरह से डिस्काउंट ऑफर करती है. अब तो जैसे लोगों के मन में ये डाल दिया गया है कि जब तक उन्हें अच्छा डिस्काउंट नहीं मिलेगा, तब तक कोई सामान खरीदने से उन्हें नुकसान होगा. यही वजह है कि सभी लोग डिस्काउंट के लिए एक दुकान से दूसरी दुकान या एक वेबसाइट से वेबसाइट पर भटकते नजर आ जाते हैं.
आज के दौर में डिस्काउंट कंपनियों के लिए बहुत जरूरी हो गया है. पहला तो ये नए ग्राहक बनाने में मदद करता है और दूसरा ये कि इसकी मदद से आप पुराने ग्राहकों को रोके रख सकते हैं. मार्केटिंग की एक फेमस लाइन है- 'कुछ भी फ्री नहीं होता.' ये लाइन पूरी तरह से सच है. आपको कंपनियां डिस्काउंट अपनी जेब से नहीं देतीं, बल्कि उसी प्रोडक्ट पर मिलने वाले मार्जिन में से थोड़ा डिस्काउंट के रूप में आपको दे देती हैं. यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि डिस्काउंट देने से कंपनियों को कम फायदा होता है, लेकिन अगर इसकी वजह से ग्राहकों की संख्या बहुत अधिक बढ़ जाए तो? अगर कोई कंपनी एक ग्राहक से 10 रुपए कमाती है और उसके बदले 5 रुपए का डिस्काउंट देने पर उसे 3-4 या उससे भी अधिक ग्राहक मिल जाएं तो प्रति ग्राहक सिर्फ 5 रुपए की कमाई होगी, लेकिन सबको जोड़कर देखें तो कंपनी की कमाई पहले से काफी बढ़ जाएगी. अब तो आप भी समझ ही गए होंगे कि डिस्काउंट का खेल कंपनियों के लिए क्यों जरूरी है.
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