जिस दिन पुरुष रसोई में बर्तन धोने लगें, महिलाओं की जिंदगी बदल जाए....मगर अफसोस ऐसा होता नहीं है. डींग मारना अलग बात है और हर रोज रसोई में बर्तन धोना अलग. आप कितने ऐसे पुरुषों को जानते हैं जो अपने घरों में बर्तन धोते हों. मैं तो ऐसे किसी एक पुरुष को नहीं जानती. कभी-कभी गिड़गिड़ाने पर एक दो प्लेट धो लेना अलग बात है और हर रोज नियमति रूप से इसे अपनी जिम्मेदारी समझकर बर्तन धोना अलग. हां जो पुरुष धोते हैं वे बधाई के पात्र हैं मगर जो नहीं धोते हैं, वे विम के ऐड को चिपकाकर वाहवाही ना लूटें.
असल में विमबार का नया ऐड चर्चा में है. इसमें एक लड़का कहता है कि मैं आज थोड़ा थका हुआ महसूस कर रहा हूं, क्योंकि मैंने कल रात सारे बर्तन धोए. मैं अपनी मां की मदद करता हूं. इस पर मिलिंद सोनम कहते हैं कि. वाह बेटा तुम्हारा डींग मारना असरदार था. अब इस विम ब्लैक से सुबह, दोपहर, रात जितना मन करे बर्तन धोओ औऱ डींग मारते रहे. मतलब पुरुषों को बर्तन धोने के लिए अलग तरह का विम बार चाहिए, मगर क्यों? क्या पुरुषों की ताकत महिलाओं से कम है या फिर उनके धोने के टाइम बर्तन बदल जाते हैं.
विम के इस ऐड को पहले देखिए-
बात चाहें, गांवों की हो या शहरों की, रसोई में बर्तन धोना महिलाओं का ही काम रहा. महिलाएं कल भी बर्तन धोती थीं, आज भी धोती हैं औऱ आगे भी धोती रहेंगी. जमाना कहां से कहा चला गया मगर बर्तन साफ करने की जिम्मेदारी महिलाओं को ही मिलती है. अगर एक दिन काम वाली बाई छुट्टी पर चली जाए तो पुरुषों को कोई फर्क नहीं पड़ता मगर महिलाओं की परेशानी बढ़ जाती है, क्योंकि उन्हें पता रहता है कि दोनों टाइम के बर्तन उन्हें ही...
जिस दिन पुरुष रसोई में बर्तन धोने लगें, महिलाओं की जिंदगी बदल जाए....मगर अफसोस ऐसा होता नहीं है. डींग मारना अलग बात है और हर रोज रसोई में बर्तन धोना अलग. आप कितने ऐसे पुरुषों को जानते हैं जो अपने घरों में बर्तन धोते हों. मैं तो ऐसे किसी एक पुरुष को नहीं जानती. कभी-कभी गिड़गिड़ाने पर एक दो प्लेट धो लेना अलग बात है और हर रोज नियमति रूप से इसे अपनी जिम्मेदारी समझकर बर्तन धोना अलग. हां जो पुरुष धोते हैं वे बधाई के पात्र हैं मगर जो नहीं धोते हैं, वे विम के ऐड को चिपकाकर वाहवाही ना लूटें.
असल में विमबार का नया ऐड चर्चा में है. इसमें एक लड़का कहता है कि मैं आज थोड़ा थका हुआ महसूस कर रहा हूं, क्योंकि मैंने कल रात सारे बर्तन धोए. मैं अपनी मां की मदद करता हूं. इस पर मिलिंद सोनम कहते हैं कि. वाह बेटा तुम्हारा डींग मारना असरदार था. अब इस विम ब्लैक से सुबह, दोपहर, रात जितना मन करे बर्तन धोओ औऱ डींग मारते रहे. मतलब पुरुषों को बर्तन धोने के लिए अलग तरह का विम बार चाहिए, मगर क्यों? क्या पुरुषों की ताकत महिलाओं से कम है या फिर उनके धोने के टाइम बर्तन बदल जाते हैं.
विम के इस ऐड को पहले देखिए-
बात चाहें, गांवों की हो या शहरों की, रसोई में बर्तन धोना महिलाओं का ही काम रहा. महिलाएं कल भी बर्तन धोती थीं, आज भी धोती हैं औऱ आगे भी धोती रहेंगी. जमाना कहां से कहा चला गया मगर बर्तन साफ करने की जिम्मेदारी महिलाओं को ही मिलती है. अगर एक दिन काम वाली बाई छुट्टी पर चली जाए तो पुरुषों को कोई फर्क नहीं पड़ता मगर महिलाओं की परेशानी बढ़ जाती है, क्योंकि उन्हें पता रहता है कि दोनों टाइम के बर्तन उन्हें ही धोने पड़ेंगे.
अपना इंप्रेशन जमाने के लिए घर में महिलाओं की मदद कराने का ढोंग अच्छा है, मगर सच्चाई आपको भी पता है और हमको भी. ऊपर से आप इस ऐ़ड को मजाक के रूप में पेश कर रहे हैं, फिर पुरुष इस मैसेज को सीरियस कैसे लेंगे? आपने तो उनको डींग मारने का एक बहाना दे दिया.
यह गलतफैमी अपने दिमाग से निकाल दीजिए कि, इस ऐड को देखने के बाद पुरुष बर्तन धोने लगेंगे. यह सब मार्केटिंग का फंडा है जो बड़ा ही बेढंग तरीके से फिल्माया गया है. जिस तरह फेयर एंड लवली को पुरुषों के लिए बना दिया गया, उसी तरह ब्लैक रंग के विम जेल लिक्विड को बाजार में उतार दिया गया है. जबकि रंगों का कोई जेंडर नहीं होता है. जिसे बर्तन धोना होगा उसे विम बार के रंग से मतलब नहीं रहेगा. ना ही उन्हें किसी खास जेल की जरूरत होगी. असल में इस ऐड का असल जिंदगी से कोई लेना-देना ही नहीं है.
ऐसा भी नहीं है कि, यह ऐड देखकर महिलाएं ब्लैक वाला विम जेल बाजार से खरीद कर ले आएंगी और उसे बर्तनों के ढेर के पास रखेंगी तो पति आकर बर्तन धोने लगेंगे. नहीं, उस काले वाले जेल से भी बर्तन धोने वली महिला ही होगी. इसलिए महिलाओं की भावनाओं के साथ खेलना बंद कीजिए, क्योंकि बर्तन धोना उनका ही काम है औऱ यह परम सत्य है. जिस दिन किसी घऱ में मैं पुरुषों को बर्तन धोता देखूंगी, उस दिन सोचूंगी कि इस विम जेल का क्या करना है. फिलहाल यह किसी काम का नहीं है...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.