अगर कोई क्रिकेटर स्विमिंग का प्रचार करे, अगर कोई ब्रोकर किसी के बाल काटे या फिर कोई मांसाहारी पेटा का विज्ञापन करे तो आपको कैसा लगेगा? शायद अजीब, कुछ को गुस्सा भी आएगा कि ये कैसा मज़ाक है, कैसी हिपोक्रेसी.. लेकिन ऐसा ही कुछ वोग (Vogue) मैग्जीन ने किया है. औरतों के अधिकारों के लिए उस इंसान को चेहरे के रूप में पेश किया जो असल में कहीं से कहीं तक महिलाओं के अधिकारों की बात करती ही नहीं है.
वोग अरेबिया के कवर पेज में सऊदी की राजकुमारी का चेहरा है और उसे कार में ड्राइविंग सीट पर बैठे हुए दिखाया गया है. इसे इस बात का प्रतीक बताया जा रहा है कि अब जून 24 से सऊदी की महिलाएं कार चला पाएंगी. ये इसलिए भी एक छलावे जैसा लगता है क्योंकि मई में ही लगभग आधा दर्जन महिला एक्टिविस्ट को सऊदी में जेल भेजा गया है.
इस मैग्जीन के कवर में राजकुमारी हायफा बिंत अब्दुल्लाह अल सौद (पूर्व राजा अब्दुल्लाह की बेटी) हैं. ये एक विंटेज मर्सिडीज कार में बैठी हुई हैं और कैप्शन लिखा है “Driving Force”.
इस कवर को लेकर लोगों में गुस्सा इसलिए भी है क्योंकि भले ही 24 जून से महिलाओं के ड्राइव करने की पाबंदी को हटा दिया गया हो, लेकिन फिर भी कुछ दिन पहले ही कई महिला एक्टिविस्ट को धार्मिक और राष्ट्रीय स्थिरता पर अतिक्रमण के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया.
लोगों का मानना है कि ये सऊदी राजकुमारियां कभी भी महिलाओं के लिए कुछ नहीं करतीं और अपने देश में महिला अधिकारों के लिए कभी आवाज़ नहीं उठाई है. अब इन्हें कवर गर्ल बना दिया गया है और ये दिखाया जा रहा है कि ये महिलाओं का नेत्रत्व कर रही हैं. जब्कि असली एक्टिविस्ट सवालों के घेरे में हैं और जेल में सड़ रही हैं.
सोशल मीडिया पर इस मामले में लोगों का गुस्सा सामने आया..
राजकुमारी के वोग कवर में दिखने का मतलब विदेशी निवेश से भी जोड़ा जा सकता है कि ये एक सोची समझी मार्केटिंग है. पर इसे कभी भी महिला अधिकारों से नहीं जोड़ा जा सकता.
क्यों गिरफ्तार किया गया था उन एक्टिविस्ट को...
मई के मध्य में ही इमान अल नफ्जान, लोऊजैन अल हाथलौल, अज़ीज अल यूसफ, आएशा अल मानेआ, माधिहा अल अजरौश, वाला अल शुब्बर और हसह अल शेख को एक शाम उनके घरों से गिरफ्तार कर लिया गया था. इनके साथ ही दो मर्दों इब्राहिम मोदेमिघ और मोहम्मद अल राबे को भी गिरफ्तार किया गया. इन सबपर ये आरोप था कि इन्होंने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और देश के खिलाफ साजिश रचने में साथ दिया है. दरअसल, ये सभी महिलाओं के हक के लिए लड़ने वाले फेमिनिस्ट थे.
इनपर इल्जाम लगाया गया कि ये लोग विदेशियों के साथ मिलकर अपने काम को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं और साथ ही अपने नुमाइंदों को सरकार तक भी पहुंचा रहे हैं. इसमें बाहर से इन्हें आर्थिक मदद भी मिल रही है.
जितने लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था वो किसी न किसी तरह से महिलाओं के ड्राइविंग वाले नियम से जुड़े हुए थे. इनकी गलती क्या थी? सिर्फ इतनी कि ये सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से पहले महिलाओं के ड्राइव करने के लिए आंदोलन कर रहे थे और नियम लागू करने से पहले ही ड्राइविंग करना चाहते थे. इस गिरफ्तारी के बाद सऊदी को ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट ने काफी कुछ कहा.
सऊदी के अखबारों ने कहा कि उनके देश में गद्दारों की कोई जगह नहीं है और भले ही उन एक्टिविस्ट का कुछ भी कहना हो, लेकिन देश के नियम नहीं तोड़े जा सकते.
सऊदी किंग सलमान ने पिछले साल नवंबर में ये आदेश दिया था कि 24 जून 2018 से महिलाएं ड्राइविंग कर पाएंगी और ये 1990 के बाद से पहली बार हुआ था.
अब मामले की गंभीरता समझिए कि अगर कोई महिला आज ड्राइविंग करना चाहे तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
मतलब एक तरफ तो पिता ने महिलाओं को ड्राइव करने की लग्जरी दे दी (सऊदी की महिलाओं के लिए ये लग्जरी ही होगी) और दूसरी तरफ बेटे ने उन महिलाओं को ही गिरफ्तार कर लिया जो असल में इस बारे में कुछ कर रही थीं और लोगों को जाग्रुक कर रही थीं. कुल मिलाकर ये सिर्फ एक छलावा है जिसे सामने रखा गया है.
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