हम से कई लोग जब खुद को शीशे में देखते हैं तो अपने शरीर को देखकर बहुत बुरा लगता है. क्योंकि हमारे दिमागों में बॉलीवुड की छरहरी हिरोइनों की फिगर आइडियल बॉडी के रूप में बसी होती है. बहुत से लोग तो तनाव में आ जाते हैं, कि कैसे अभी से कमर कमरा बन गई. फिर खुद से वादे, कि अब जिम जाएंगे कि अब वॉक पर जाना है.
लेकिन जरा सोचिए कि अगर हमारे सामने वो आइडियल बॉडी ही न हो, इन्सपिरेशन ही न हो, तो क्या हम खुद के शरीर की कभी भी आलोचना कर पाएंगे?
अमेरिका के न्यूजर्सी में रहने वाली 40 साल की एक फिटनेस ट्रेनर जैनेल फ्लैनेगन इंस्टाग्राम पर अपनी टोन्ड बॉडी की तस्वीरें डालकर लोगों को काफी इंस्पायर करती हैं. लेकिन साथ ही साथ वो कुछ ऐसी तस्वीरें भी डालती हैं जिनके जरिए वो बाकी महिलाओं से अपील कर रही हैं कि वो परफैक्शन की दौड़ में न भागें.
ये तस्वीरें असल में एक मिनट के अंतर पर ली गई तस्वीरें हैं, जिनमें एक तरफ उनकी टोन्ड बॉडी दिखाई दे रही है और दूसरी तरफ ढ़ीली. एक तरफ साफ त्वचा दिख रही है तो दूसरी तरफ सैल्यूलाइड. एक तरफ पेट फ्लैट है, तो दूसरी तरफ ढ़ीला.
हम से कई लोग जब खुद को शीशे में देखते हैं तो अपने शरीर को देखकर बहुत बुरा लगता है. क्योंकि हमारे दिमागों में बॉलीवुड की छरहरी हिरोइनों की फिगर आइडियल बॉडी के रूप में बसी होती है. बहुत से लोग तो तनाव में आ जाते हैं, कि कैसे अभी से कमर कमरा बन गई. फिर खुद से वादे, कि अब जिम जाएंगे कि अब वॉक पर जाना है.
लेकिन जरा सोचिए कि अगर हमारे सामने वो आइडियल बॉडी ही न हो, इन्सपिरेशन ही न हो, तो क्या हम खुद के शरीर की कभी भी आलोचना कर पाएंगे?
अमेरिका के न्यूजर्सी में रहने वाली 40 साल की एक फिटनेस ट्रेनर जैनेल फ्लैनेगन इंस्टाग्राम पर अपनी टोन्ड बॉडी की तस्वीरें डालकर लोगों को काफी इंस्पायर करती हैं. लेकिन साथ ही साथ वो कुछ ऐसी तस्वीरें भी डालती हैं जिनके जरिए वो बाकी महिलाओं से अपील कर रही हैं कि वो परफैक्शन की दौड़ में न भागें.
ये तस्वीरें असल में एक मिनट के अंतर पर ली गई तस्वीरें हैं, जिनमें एक तरफ उनकी टोन्ड बॉडी दिखाई दे रही है और दूसरी तरफ ढ़ीली. एक तरफ साफ त्वचा दिख रही है तो दूसरी तरफ सैल्यूलाइड. एक तरफ पेट फ्लैट है, तो दूसरी तरफ ढ़ीला.
इन तस्वीरों के माध्यम से जैनेल महिलाओं को बताना चाहती हैं कि कोई भी परफैक्ट नहीं होता, ढ़ीली त्वचा और सैल्यूलाइड की परेशानी से वो भी घिरी हैं, और यही सच्चाई है. जिसे वो बहुत ही ईमानदारी के साथ सबसे सामने रख रही हैं.
जैनेल का ऐसा करना उन लोगों के लिए तो ठीक है जिन्हें अपने शरीर की खामियों को देखकर नकारात्मकता घेर लेती है, जो डिप्रेशन में चले जाते हैं. ये सलाह कि परफैक्शन के पीछे मत भागो इन्हें तो अवसाद से बाहर ला सकती है, लेकिन उनका क्या जो सिर्फ आलस्य के चलते अपनी कमर को कमरा बनाए हुए हैं. उनका क्या जिन्हें अपना थुलथुल शरीर भी बुरा नहीं लगता.
ऐसे लोगों के लिए परफैक्शन के पीछे भागना जरूरी है. ऐसे लोगों के लिए फ्लैट बैली और एब्स वाली तस्वीरें वास्तव में प्रेरणा हैं. ऐसे लोगों के लिए फिल्मी हिरोइन्स ही आइडियल होनी चाहिए और स्विमसूट पहने हुए उनकी आकर्षक तस्वीरों को देखकर जलन भी जरूर होनी चाहिए. क्योंकि जब तक ये मुंह चिड़ाती तस्वीरें हमारे सामने नहीं होंगी तब तक हम अपने शरीर को उस जैसा बनाने के लिए प्रेरित नहीं होंगे. ये उदाहरण और परफैक्ट बॉडी हमें जितनी जगह दिखाई दें उतना अच्छा क्योंकि कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित होना जरूरी है. इसलिए, परफैक्शन की दौड़ में भागिए. आपका क्या कहना है?
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.