तालिबान, क्या नाम सुनते ही आपको गुस्सा आता है. उपर से लड़ाके सुनकर किसी जानवर की छवि दिमाग में घूमती है. अब जो आंतक इन लोगों ने अफगानिस्तान में फैलाया है उसकी वजह से वहां के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. वे किसी तरह अपने देश को छोड़कर निकलना चाहते हैं, जो मुमकिन नहीं हो पा रहा है.
ऐसा नहीं है कि अफगानिस्तान के लोगों को अपने वतन से प्यार नहीं है लेकिन अब हालात पहले जैसे नहीं रहे. सबसे ज्यादा परेशानी वहां की महिलाओं को हैं, क्योंकि तालिबान कानून ने उनकी आजादी का गला घोंट दिया है. हालांकि तालिबान की तरफ से हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया था कि महिलाओं को शरिया कानून के तहत हक देगा. इसमें महिलाओं को कुछ खास जगहों पर काम करने की आजादी होगी, वो उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकेंगी. तालिबान ने कहा था कि महिलाओं को डरने की जरूरत नहीं है. हम उनकी इज्जत करेंगे.
असल में ये तालिबान की चाल थी कि लेकिन पिछले कुछ दिनों में महिलाओं के साथ जो कुछ हुआ वो तालिबान का असली चेहरा उजागर करता है. चलिए एक नजर हम उन घटनाओं पर डालते हैं कि कैसे तालिबानी कब्जे के बाद वहां की महिलाओं की जिंदगी बदलती गई.
1- यह बात पिछले महीने की है जब तालिबान केवल सीमांत इलाकों पर ही कब्जा कर पाया था. असल में तालिबान कल्चरल कमीशन ने इमामों और मौलवियों को 15 साल से ज्यादा उम्र की लड़कियों और 45 साल से कम उम्र की विधवा महिलाओं की लिस्ट बनाकर देने का आदेश दिया था. इन महिलाओं और लड़कियों की शादी तालिबानी लड़ाकों से कराकर उन्हें पाकिस्तान के वजीरिस्तान ले जाने की बात सामने आई.
इस आदेश के अनुसार, गैर-मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों का धर्मांतरण कर मुस्लिम बनाया गया. अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए तालिबान ऐसी ओछी हरकत करता...
तालिबान, क्या नाम सुनते ही आपको गुस्सा आता है. उपर से लड़ाके सुनकर किसी जानवर की छवि दिमाग में घूमती है. अब जो आंतक इन लोगों ने अफगानिस्तान में फैलाया है उसकी वजह से वहां के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. वे किसी तरह अपने देश को छोड़कर निकलना चाहते हैं, जो मुमकिन नहीं हो पा रहा है.
ऐसा नहीं है कि अफगानिस्तान के लोगों को अपने वतन से प्यार नहीं है लेकिन अब हालात पहले जैसे नहीं रहे. सबसे ज्यादा परेशानी वहां की महिलाओं को हैं, क्योंकि तालिबान कानून ने उनकी आजादी का गला घोंट दिया है. हालांकि तालिबान की तरफ से हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया था कि महिलाओं को शरिया कानून के तहत हक देगा. इसमें महिलाओं को कुछ खास जगहों पर काम करने की आजादी होगी, वो उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकेंगी. तालिबान ने कहा था कि महिलाओं को डरने की जरूरत नहीं है. हम उनकी इज्जत करेंगे.
असल में ये तालिबान की चाल थी कि लेकिन पिछले कुछ दिनों में महिलाओं के साथ जो कुछ हुआ वो तालिबान का असली चेहरा उजागर करता है. चलिए एक नजर हम उन घटनाओं पर डालते हैं कि कैसे तालिबानी कब्जे के बाद वहां की महिलाओं की जिंदगी बदलती गई.
1- यह बात पिछले महीने की है जब तालिबान केवल सीमांत इलाकों पर ही कब्जा कर पाया था. असल में तालिबान कल्चरल कमीशन ने इमामों और मौलवियों को 15 साल से ज्यादा उम्र की लड़कियों और 45 साल से कम उम्र की विधवा महिलाओं की लिस्ट बनाकर देने का आदेश दिया था. इन महिलाओं और लड़कियों की शादी तालिबानी लड़ाकों से कराकर उन्हें पाकिस्तान के वजीरिस्तान ले जाने की बात सामने आई.
इस आदेश के अनुसार, गैर-मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों का धर्मांतरण कर मुस्लिम बनाया गया. अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए तालिबान ऐसी ओछी हरकत करता रहा है. तालिबान ने कई लड़कियों को चाइल्ड ब्राइड के रूप में अपने आदमियों को बेच दिया. महिलाओं को सेक्स स्लेव बनाने वाली खबरों सच्चाई है. कई अफगानिस्तान की महिलाओं ने बताया है कि लड़ाके आते हैं और मिलाओं और बच्चियों को उठाकर ले जाते हैं, उनके साथ गंदे काम करते हैं.
2- तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो सभी महिलाएं बुर्के में नजर आने लगीं. सड़कों पर महिलाओं का निकलना बंद हो गया. इसका उदाहरण हैं सीएनएन की चीफ रिपोर्टर जो एक दिन पहले साधारण कपड़े में थीं और एक दिन बाद बुर्के में नजर आने लगीं. तालिबानी लड़ाकों ने काबुल एयरपोर्ट पर उन महिलाओं को गोली मार दी, जिन्होंने हिजाब नहीं पहना था. महिलाएं और लड़कियां खुद को बचाने के लिए घरों में कैद हो गईं हैं. सिर्फ उम्रदराज महिलाएं ही घर से बाहर निकलती हैं वो भी घर के पुरुष के साथ. अभी कल की ही खबर है, तालिबान ने एक तरफ तो कहा था कि उनके राज में महिलाओं को बुर्का पहनना जरूरी नहीं है, लेकिन हिजाब जरूरी है. इस बयान के कुछ घंटे बाद ही उस महिला को परिवार के सामने गोली मार दी गई, क्योंकि उसने सार्वजिनिक रूप से बुर्का नहीं पहना था.
3- तालिबान ने सलीमा मजारी को पकड़ लिया गया है. सलीमा अफगानिस्तान की पहली महिला गवर्नर हैं, जिन्होंने पिछले कुछ समय में तालिबान के खिलाफ आवाज़ बुलंद की है. तालिबान अपने खिलाफ उठ रही हर आवाज को दबाना चाहता है. तालिबान ने महिलाओं के पर काट दिए हैं और उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया है. फिलहाल किसी को पता नहीं है कि सलीमा ठीक भी हैं या नहीं.
4- तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद काबुल की सड़कों पर जिन विज्ञापनों और पोस्टरों पर महिलाओं की तस्वीरें थीं, उन्हें भी हटा दिया गया या उनपर कालिख पोत दी गई. दुकानों में भी महिला मॉडल की तस्वीरों पर पुताई कर दी गई. तालिबान को महिलाओं की तस्वीरों से भी समस्या है, तो सोचिए उनकी जिंदगी कैसी होगी.
5- कब्जे के पहले दिन कई महिला कर्मचारियों को दफ्तर से घर भेज दिया गया और कहा गया कि वे अपनी जगह परिवार के किसी पुरुष को नौकरी पर भेज दें. वहीं टीवी और रेडियो में महिलाओं के काम करने पर भी पाबंदी लगा दी गई. टीवी पर विदेशी शो का टेलीकास्ट रोक दिया गया. सरकारी चैनलों से इस्लामी संदेश दिए जा रहे हैं. एक दिन पहले महिला एंकर बेहेश्टा अर्घंद ने तालिबान के मीडिया विंग से जुड़े मावलावी अब्दुलहक हेमाद से इंटरव्यू लिया था.
दूसरी तरफ तालिबानियों ने सरकारी टीवी चैनल की एंकर खादिजा अमीन को बर्खास्त कर दिया. उनकी जगह पर एक पुरुष तालिबानी एंकर को बैठाया गया. वहीं एक दूसरी महिला एंकर शबनम दावरान के अनुसार हिजाब पहनने और आईडी कार्ड लाने के बाद भी उन्हें ऑफिस में घुसने नहीं दिया गया. उनसे कहा गया है कि तालिबानी राज में उन्हें घर जाना होगा.
6- तालिबान हर जगह महिलाओं की मौजूदगी पर पहरा बैठा रहा है. अफगानिस्तान में पली-बढ़ी होमीरा रेजाई के अनुसार मुझे काबुल से खबरें मिल रही हैं. वहां तालिबानी घर-घर जाकर महिला एक्टिविस्टों की तलाश कर रहे हैं. इसके अलावा महिला ब्लॉगर्स, यूट्यूबर्स की भी खोज की जा रही हैं ताकि उन पर बंदिश लगाई जा सके. होमीरा ने बताया कि तालिबानी हर उस महिला को तलाश कर रहे हैं, जो अफगानिस्तानी समाज के विकास से जुड़ा कोई काम कर रही हो. महिला पत्रकारों के भागने की बात सामने आ रही है...
7- तालिबान ने कई स्कूलों को बर्बाद कर दिया और 20 लाख लड़कियों को फिर से घरों में कैद कर दिया. अब महिलाओं को नहीं पता कि इनका भविष्य क्या होगा. यह वही दौर है जब महिलाओं को सम्मेलन में जाने की इजाजत नहीं थी, इसलिए अगर महिलाओं कोे जीना है तो शरिया कानून का पालन करना होगा. वरना कोड़े भी बरसाए जा सकते हैं या शायद गोली ही मार दी जाए. ऐसे हालात में कोई कैसे कह दे कि सहर जल्दी होगी…वे लड़कियां जो कुछ दिनों पहले तक आजाद थीं, खुलकर सांस ले रही थीं, आज वे घरों में छिपने को मजबूर हैं, उनकी आंखों में भय है. उनकी जिंदगी में अचानक आया यह तूफान कब थेमगास, काश कोई बता पता...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.